Edited By ,Updated: 16 Sep, 2016 01:22 AM
वैसे तो प्रत्येक सरकार सत्ता में आने के समय यही कहती है कि वह देश में अन्य समस्याएं हल करने के साथ-साथ बेरोजगारी की समस्या दूर करने के भी भरसक प्रयास ...
वैसे तो प्रत्येक सरकार सत्ता में आने के समय यही कहती है कि वह देश में अन्य समस्याएं हल करने के साथ-साथ बेरोजगारी की समस्या दूर करने के भी भरसक प्रयास करेगी परंतु वास्तव में ऐसा होता नहीं।
यही कारण है कि भारत में बेरोजगारों की संख्या लगातार बढ़ रही है। देश की कुल जनसंख्या के लगभग 11 प्रतिशत अर्थात कम से कम 12 करोड़ लोगों को नौकरी की तलाश है। इनमें लगभग आधी महिलाएं हैं व शिक्षित युवाओं की संख्या सर्वाधिक है। इसीलिए आज ‘छोटी’ समझी जाने वाली नौकरियों के लिए भी उच्च शिक्षित युवा आवेदन करने को विवश हो रहे हैं।
वर्ष 2015 में उत्तर प्रदेश में चपरासी पद के लिए आमंत्रित आवेदन पत्रों के जवाब में लगभग 23 लाख उम्मीदवारों ने आवेदन किया था। इसके लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता 5वीं क्लास उत्तीर्ण रखी गई थी परंतु आवेदकों में पांचवीं उत्तीर्ण उम्मीदवार तो केवल 53,426 ही थे।
इसके विपरीत छठी से बारहवीं कक्षा तक पढ़े उम्मीदवारों की संख्या 20 लाख से अधिक थी और इनमें 7.5 लाख इंटर पास के अलावा 1.52 लाख इंजीनियर, एम.बी.ए., पोस्ट ग्रैजुएट, ग्रैजुएट व 255 उम्मीदवार पी.एचडी. थे।
इसी प्रकार फरवरी 2016 में कोरबा में ‘छत्तीसगढ़ व्यावसायिक परीक्षा मंडल’ द्वारा पटवारियों की नियुक्ति के लिए आयोजित ‘प्रशिक्षु चयन परीक्षा’ में अच्छे अंकों से इंजीनियरिंग, एम.बी.ए. और बी.सी.ए. उत्तीर्ण सहित अन्य प्रोफैशनल डिग्रीधारी भी शामिल हुए हालांकि इसके लिए न्यूनतम वांछित शैक्षिक योग्यता मात्र 12वीं कक्षा उत्तीर्ण निर्धारित है।
अगस्त, 2016 में महाराष्ट लोकसेवा आयोग की ओर से ‘डी’ श्रेणी के अंतर्गत पोर्टर के 5 पदों के लिए आवेदन पत्र मांगे गए थे। इसके उत्तर में आयोग को 2500 से अधिक आवेदन पत्र प्राप्त हुए।
हालांकि इस पद के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता मात्र चौथी कक्षा उत्तीर्ण ही वांछित थी, परंतु आवेदकों में 5 एम.फिल, 253 पोस्ट ग्रैजुएट, 9 पोस्ट ग्रैजुएट डिप्लोमा होल्डर, 984 ग्रैजुएट, 253 डिप्लोमा होल्डर, 605 एच.एस.सी. उत्तीर्ण तथा 283 एस.एस.सी. उत्तीर्ण उम्मीदवार शामिल थे और एस.एस.सी. से कम शिक्षा प्राप्त मात्र 117 उम्मीदवार ही पाए गए।
इसी महीने उत्तर प्रदेश की गुलावठी नगर पालिका में 44 सफाई कर्मचारियों की असामियों के लिए 609 उम्मीदवारों ने आवेदन किया। इनमें निरक्षर कम और साक्षर अधिक थे जिनमें एम.ए. और बी.ए. उत्तीर्ण उम्मीदवार भी शामिल हैं।
इस मामले में गुजरात भी पीछे नहीं है। हाल ही में राज्य सरकार ने ‘ग्राम अधिकारियों’ के तृतीय श्रेणी के 2560 पदों के लिए आवेदन पत्र मांगे थे जिनके लिए 10 लाख से अधिक आवेदन आए।
इस पद के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता 12वीं कक्षा उत्तीर्ण रखी गई है परंतु उक्त पद पर इससे कहीं अधिक शैक्षिक योग्यता वाले 2343 उम्मीदवार ही चुने गए हैं। इनमें 950 इंजीनियर, 12 आयुर्वैदिक और होम्योपैथिक डाक्टर और लगभग 200 एम.बी.ए., एम.सी.ए. और बी.फार्मा डिग्रीधारी शामिल हैं और चुने गए उम्मीदवारों में से शायद ही कोई ग्रैजुएट से कम शिक्षा प्राप्त हो।
उक्त सभी पदों पर नियुक्तियों में एक बात सांझी है कि कई-कई वर्षों तक रोजगार केंद्रों के चक्कर लगाते हुए चप्पलें घिसा कर तंग आ चुके इन युवाओं ने अपनी शिक्षा से नीचे के स्तर की ये नौकरियां केवल मजबूरी वश यह सोच कर ही स्वीकार की हैं कि जब तक इससे अच्छी कोई दूसरी नौकरी नहीं मिल जाती तब तक यह नौकरी कर लेने में ही बुद्धिमत्ता है।
बेरोजगारी हमारे युवाओं की योग्यता पर भारी पड़ रही है जिस कारण वे कोई भी काम करने के लिए तैयार हैं। पिछले चंद वर्षों से देश में बड़ी संख्या में विश्वविद्यालय खुल रहे हैं जिनसे उच्च शिक्षा प्राप्त करके निकल रहे युवाओं के अनुपात में उनकी योग्यता के अनुसार रोजगार के अवसर सृजित नहीं हो रहे। अत: स्वरोजगार को प्रोत्साहन, लघु तथा कुटीर उद्योगों के पुनरुद्धार, कौशल विकास, औद्योगिकीकरण में तेजी जैसे पग उठाकर इस समस्या को किसी सीमा तक कम किया जा सकता है।