अधिक राशि के बिजली बिलों और आयकर विभाग के नोटिसों के कारण लोगों को परेशानी

Edited By ,Updated: 18 Jan, 2020 12:26 AM

people suffer due to high electricity bills and notices of income tax department

हमारे सरकारी विभाग समय-समय पर ऐसे ‘कारनामे’ करते रहते हैं जिनसे आम लोगों को भारी परेशानी होती है। हाल ही में विभिन्न राज्यों के बिजली एवं आयकर विभागों द्वारा बिजली की वास्तविक खपत से कहीं अधिक राशि के बिल और भारी-भरकम आयकर राशि के बकायों के नोटिस...

हमारे सरकारी विभाग समय-समय पर ऐसे ‘कारनामे’ करते रहते हैं जिनसे आम लोगों को भारी परेशानी होती है। हाल ही में विभिन्न राज्यों के बिजली एवं आयकर विभागों द्वारा बिजली की वास्तविक खपत से कहीं अधिक राशि के बिल और भारी-भरकम आयकर राशि के बकायों के नोटिस भेज कर परेशानी में डालने के मामले प्रकाश में आए हैं :
02 जनवरी को जिला जालंधर के शाहकोट के निकट गांव परजियां कलां में एक महिला के घर का बिजली बिल 22,750 रुपए आ जाने पर सदमे से उसे दिल का दौरा पड़ा और उसकी मृत्यु हो गई।
12 जनवरी को सोनभद्र के मयूरपुर ब्लाक के कुदरी गांव में एक बिजली उपभोक्ता को 1,13,18,400, दूसरे को 65,13,137 और तीसरे को 66,11,457 रुपए का बिजली का बिल भेजा गया।
केंद्र शासित क्षेत्र चंडीगढ़ के बिजली विभाग ने मलोया की पुनर्वास कालोनी में रहने वाले एक परिवार का 2 महीने का बिजली का बिल 1 लाख 67 हजार 87 रुपए का भेजा है। 
अत्यधिक बिजली बिलों के अलावा हाल ही में आयकर विभाग ने भी आयकर दायरे से बाहर वाले लोगों को अंधाधुंध राशि जमा करवाने के नोटिस जारी किए।
15 जनवरी को मध्य प्रदेश में भिंड के रवि गुप्ता नामक युवक को आयकर विभाग ने 2011-12 में 132 करोड़ रुपए का लेन-देन करने के सिलसिले में 3.49 करोड़ रुपए का आयकर जमा करने का नोटिस भेजा।
जिस अवधि के दौरान हुए लेन-देन के बदले में उक्त राशि जमा करने का उसे नोटिस भेजा गया है उस समय वह इंदौर की एक प्राइवेट कम्पनी में 7000 रुपए मासिक पर नौकरी कर रहा था।
16 जनवरी को मुम्बई के उपनगर कल्याण में मुश्किल से 300 रुपए दैनिक पर मजदूरी करने वाले भाऊ साहब अहीरे नामक युवक को आयकर विभाग ने उसके बैंक खाते में हुए ‘बड़े ट्रांजैक्शन’ के बदले में 1.05 करोड़ रुपए आयकर जमा कराने का नोटिस भेजा।
अनाप-शनाप राशि के बिजली बिल भेजना तथा आयकर के दायरे से बाहर के लोगों को भारी-भरकम राशि अदा करने के नोटिसों का जारी होना संबंधित अधिकारियों की लापरवाही का ही परिणाम है।
अत: ऐसी चूकों को रोकने के लिए प्रभावी पग उठाने और इसके लिए जिम्मेदार कर्मचारियों के विरुद्ध कड़े पग उठाने की आवश्यकता है जिससे लोगों को परेशानी न हो।     —विजय कुमार

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