‘अदालतों में मुकद्दमों के अम्बार के लिए’ ‘कानूनी पढ़ाई का घटिया स्तर भी जिम्मेदार’

Edited By ,Updated: 07 Apr, 2021 01:16 AM

poor level of legal education is also responsible for the lawsuit in courts

1 मार्च, 2021 के आंकड़ों के अनुसार हमारे 25 हाईकोर्टों में जजों की अनुमोदित संख्या 1080 के मुकाबले केवल 661 तथा सुप्रीमकोर्ट में भी जजों के कुल स्वीकृत 34 पदों के मुकाबले फिलहाल 30 ही काम कर रहे हैं जबकि 23 अप्रैल को मुख्य न्यायाधीश

1 मार्च, 2021 के आंकड़ों के अनुसार हमारे 25 हाईकोर्टों में जजों की अनुमोदित संख्या 1080 के मुकाबले केवल 661 तथा सुप्रीमकोर्ट में भी जजों के कुल स्वीकृत 34 पदों के मुकाबले फिलहाल 30 ही काम कर रहे हैं जबकि 23 अप्रैल को मुख्य न्यायाधीश एस.ए. बोबडे के रिटायर हो जाने के बाद यह संख्या घट कर 29 रह जाएगी। ‘नैशनल ज्यूडीशियल डाटा ग्रिड’ (एन.जे.डी.जी.) के अनुसार देश की  निचली अदालतों में 3.81 करोड़ तथा हाईकोर्टों में 57.33 लाख केस लंबित हैं। सुप्रीमकोर्ट में इस वर्ष 1 मार्च को 66,000 से अधिक केस लंबित थे।

भारत सरकार के थिंक टैंक ‘नीति आयोग’ ने वर्ष 2018 में, जब देश की अदालतों में 2 करोड़ 90 लाख केस लंबित थे, अपने एक अध्ययन में लिखा था कि ‘‘अदालतों में लंबित मुकद्दमों की वर्तमान गति को देखते हुए सारा बैकलॉग समाप्त करने में 324 वर्ष लगेंगे।’’ इसी पृष्ठभूमि में सुप्रीमकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एस.ए. बोबडे ने गत 25 मार्च को एक समारोह में कहा कि ‘‘देश की अदालतों में लंबित मामले नियंत्रण से बाहर हो गए हैं।’’

हाईकोर्टों में न्यायाधीशों की नियुक्ति बारे केंद्र सरकार के रुख पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा : ‘‘6 महीने पहले कोलेजियम ने जो सिफारिशें की थीं उन पर अभी तक केंद्र सरकार द्वारा कोई निर्णय न लेना चिंताजनक है जबकि कुछ नामों की सिफारिश किए हुए तो एक वर्ष हो गया है।’’ जजों की कमी पर चल रही चर्चा के बीच आंध्र प्रदेश में स्थित ‘दामोदरम संजीवैया नैशनल लॉ यूनिवॢसटी’ के दीक्षांत समारोह में वीडियो कांफ्रैंसिंग द्वारा दीक्षांत भाषण देते हुए सुप्रीमकोर्ट के अगले मुख्य न्यायाधीश के रूप में 24 अप्रैल को शपथ ग्रहण करने जा रहे न्यायमूर्ति एन.वी. रमना ने जजों की कमी का दूसरा पहलू उजागर किया है।

श्री रमना ने अपने भाषण में कहा, ‘‘देश में बड़ी संख्या में एडवोकेट मौजूद होने के बावजूद छोटी-बड़ी सभी अदालतों में 3.8 करोड़ केस लंबित पड़े हैं जिसके लिए अन्य बातों के अलावा देश में कानून की पढ़ाई का घटिया स्तर भी जिम्मेदार है।’’‘‘हालांकि लॉ कालेजों से प्रतिवर्ष डेढ़ लाख छात्र ग्रैजुएट बन कर निकलते हैं परंतु उनमें से मुश्किल से 25 प्रतिशत ही वकालत का पेशा अपनाने के योग्य होते हैं।’’ ‘‘इसमें छात्रों का कोई दोष नहीं बल्कि इसके लिए बड़ी संख्या में चल रही कानून की पढ़ाई करवाने वाली घटिया संस्थाएं जिम्मेदार हैं। ये सिर्फ नाम के ही लॉ कालेज हैं जहां छात्रों को गलत तरीके से पढ़ाया जाता है।’’

‘‘कानून के छात्रों को उनकी पढ़ाई की शुरूआत के समय से ही लोगों से जुड़ाव की वास्तविक जिम्मेदारी की शिक्षा दी जानी चाहिए। इसके साथ ही लॉ कालेजों से ग्रैजुएट बन कर निकलने वाले छात्रों को चाहिए कि वे अपनी पढ़ाई के दौरान लोक अदालतों, कानूनी सहायता केंद्रों और मध्यस्थता केंद्रों से जुड़ कर व्यावसायिक अनुभव प्राप्त करें।’’‘‘वकील अपने मुवक्किलों को सही कानूनी प्रक्रिया अपनाने की सलाह देकर और मुकद्दमे के शुरूआती चरण में ही परस्पर सहमति से विवाद सुलझा लेने के लिए प्रेरित करके अदालतों पर मुकद्दमों का बोझ घटाने में बड़ा योगदान दे सकते हैं। वकीलों की जिम्मेदारी केवल अपने मुवक्किल के  प्रति ही नहीं बल्कि समाज, कानून और न्यायपालिका के प्रति भी है।’’

‘‘वर्तमान शिक्षा प्रणाली छात्रों में चरित्र निर्माण करने और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी और जागरूकता की भावना पैदा करने में भी सक्षम नहीं है। अक्सर छात्र एक ‘चूहा दौड़’ का शिकार हो जाते हैं। लिहाजा हम सबको देश की शिक्षा प्रणाली में सुधार लाने की जरूरत है ताकि छात्र बाहर की दुनिया और अपने करियर के प्रति सही नजरिया अपना सकें।’’

इस पृष्ठभूमि में कहा जा सकता है कि जहां देश में लगे मुकद्दमों का अम्बार समाप्त करने के लिए न्यायपालिका में जजों की रिक्तियां बिना देरी किए भरने की आवश्यकता है वहीं अच्छे वकील और जज बनाने के लिए कानून की पढ़ाई का स्तर ऊंचा उठाने की भी उतनी ही आवश्यकता है। ऐसा न होने पर अदालतों पर लम्बित मुकद्दमों का बोझ बढ़ता रहेगा और लोग न्याय मिलने के इंतजार में ही निराश होकर संसार से कूच करते रहेंगे क्योंकि देश में एक लाख से अधिक मामले ऐसे हैं जो 30 वर्ष से अधिक समय से लटके हुए हैं। यही नहीं, समय पर न्याय न मिलने के कारण लोग स्वयं  कानून हाथ में लेने लगे हैं, जिससे हिंसा भी बढ़ रही है।—विजय कुमार

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!