‘पोप फ्रांसिस’ का सुधारवादी अभियान लगातार जारी

Edited By Pardeep,Updated: 13 Apr, 2018 02:46 AM

pope francis correctional campaign continuous

कैथोलिक ईसाइयों की सर्वोच्च धार्मिक पीठ वैटिकन (रोम) के पोप फ्रांसिस, 28 फरवरी, 2013 को वैटिकन के 266वें पोप का पद संभालने के बाद से ही इसमें क्रांतिकारी सुधार ला रहे हैं जिसके अंतर्गत उन्होंने :12 जून, 2013 को पहली बार स्वीकार किया कि वैटिकन में...

कैथोलिक ईसाइयों की सर्वोच्च धार्मिक पीठ वैटिकन (रोम) के पोप फ्रांसिस, 28 फरवरी, 2013 को वैटिकन के 266वें पोप का पद संभालने के बाद से ही इसमें क्रांतिकारी सुधार ला रहे हैं जिसके अंतर्गत उन्होंने :

12 जून, 2013 को पहली बार स्वीकार किया कि वैटिकन में ‘गे’ समर्थक लॉबी व भारी भ्रष्टाचार मौजूद है और उन्होंने इसकी घोर निंदा की। 14 जून, 2013 को पोप फ्रांसिस ने शादी से पूर्व लिव-इन-रिलेशनशिप में रहने वाले कैथोलिक जोड़ों की निंदा की और कहा, ‘‘यह सही नहीं। इससे शादी की संस्था अस्थायी हो गई है और यह एक गंभीर समस्या है।’’ 5 मार्च, 2014 को अमरीका में मैरोनाइट कैथोलिक गिरजाघर में एक शादीशुदा व्यक्ति को पादरी बनाकर नई पहल की गई। 4 जून, 2014 को पोप ने संतानहीन दम्पतियों से कहा कि ‘‘जानवरों की तुलना में अनाथ बच्चों को प्यार देना और उन्हें गोद लेना बेहतर है।’’ 

25 दिसम्बर, 2014 को वैटिकन के उच्चाधिकारियों को नसीहत देते हुए उन्होंने कहा कि ‘‘वैटिकन में सत्ता लिप्सा के शिकार कुछ लोग दिखावटी दोहरी जिंदगी जी रहे हैं। गिरजाघर सिर्फ शुभकामनाओं के आदान-प्रदान का स्थान ही नहीं पापों के प्रायश्चित व इनसे मुक्ति की कामना का स्थान भी है।’’ 1 सितम्बर, 2015 को पोप फ्रांसिस ने गर्भपात के संबंध में कैथोलिक चर्च की परम्परा को दरकिनार करते हुए चर्च के पुजारियों को कहा कि ‘‘गर्भपात करवाने वाली महिलाओं और उनका गर्भपात करने वाले डाक्टरों द्वारा पश्चाताप करके माफी मांगने पर उन्हें माफ कर दें।’’ 17 जून, 2017 को वैटिकन में एक कांफ्रैंस में कैथोलिक चर्च में भ्रष्टाचार और माफिया के ‘गठबंधन का बहिष्कार’ करने पर विचार किया गया। 

20 मार्च, 2018 को पोप फ्रांसिस ने वेश्यागमन करने वालों को बीमार मानसिकता वाले अपराधी करार देते हुए कहा कि ‘‘ये लोग सोचते हैं कि महिलाएं शोषण करने के लिए ही बनी हैं। यह प्यार नहीं महिला पर अत्याचार है।’’ उन्होंने महिलाओं के सम्मान की खातिर युवाओं को वेश्यावृत्ति एवं मानव तस्करी के विरुद्ध संघर्ष आगे बढ़ाने के लिए कहा। 22 मार्च को पोप फ्रांसिस ने क्रास को ‘फैशन उपकरण’ के रूप में धारण करने की आलोचना की। उन्होंने कहा कि क्रास एक धार्मिक चिन्ह है जिस पर ङ्क्षचतन करने और उसकी महत्ता समझने की आवश्यकता है, व्यापारीकरण करने की नहीं। यह एक पवित्र चिन्ह है और एक गहने या परिधान के अंग के रूप में इसका दुरुपयोग नहीं करना चाहिए। 25 मार्च को पोप ने कहा कि युवाओं को गुमराह करके उन्हें खामोश करने और किसी चीज में संलिप्त न होने देने के अनेक तरीके हैं ताकि उनके सपने चकनाचूर हो जाएं। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे खामोश न रहें और जिस बात को सही समझते हैं उसके लिए आवाज बुलंद करें। 

07 अप्रैल को वैटिकन पुलिस ने वाशिंगटन स्थित वैटिकन के दूतावास में कूटनयिक के रूप में कार्यरत ‘कार्लो अल्बर्टो कैपेला’ को  शिशु पोर्नोग्राफी के आरोप में गिरफ्तार किया। यह गिरफ्तारी पोप फ्रांसिस द्वारा 2013 में हस्ताक्षरित कानून की धाराओं के अनुसार की गई। 09 अप्रैल को पोप फ्रांसिस ने कहा कि गरीबों की सहायता करना उतना ही पुण्य है जितना गर्भपात का विरोध करना। निर्दोष अजन्मों की रक्षा हमारी सुदृढ़ और स्पष्टï भावना होनी चाहिए। इतना ही महत्वपूर्ण पहले ही जन्म ले चुके गरीबों, अनाथों और परित्यक्तों का जीवन भी है। अपने द्वार पर अपरिचित का स्वागत करना धर्म का मूल आधार है। और अब 12 अप्रैल को वैटिकन सिटी में पोप फ्रांसिस ने स्वीकार किया कि चिली में पादरियों द्वारा बच्चों के यौन शोषण मामलों की जांच करने वाली समिति के निष्कर्ष को पढऩे के बाद उन्होंने उसे समझने तथा हालात का अनुमान लगाने में गंभीर गलतियां कीं। उन्होंने कहा कि वह पादरियों को जांच के निष्कर्ष पर चर्चा के लिए रोम बुलाने के इच्छुक हैं।

उल्लेखनीय है कि चिली के बिशप ‘जुआन बारोस’ पर बच्चों के यौन शोषण के दर्जनों मामलों को छुपाने का आरोप है। अपने तीन पेज के पत्र में पोप फ्रांसिस ने शोषण के शिकार बच्चों से उन पर लगाए इस आरोप के लिए भी माफी मांगी कि वे बारोस की झूठी निंदा कर रहे हैं। वैटिकन में घर कर गई त्रुटियों व समाज के एक वर्ग में व्याप्त कुरीतियों और युवाओं को सही के पक्ष में आवाज उठाने का आह्वान जैसे पगों द्वारा पोप फ्रांसिस का सुधारवादी अभियान जारी है जिसका लाभ मात्र कैथोलिक ईसाई समुदाय को ही नहीं, समस्त विश्व समुदाय को होगा।—विजय कुमार 

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