सब्जियों और दालों की कीमतों को लगा ‘महंगाई का तड़का’

Edited By ,Updated: 17 Sep, 2020 04:42 AM

prices of vegetables and pulses hit tempering of inflation

बरसात में फसल खराब हो जाने के कारण सब्जियों की महंगाई की दर जो जुलाई में 11.29 प्रतिशत थी, अगस्त में बढ़कर 11.41 प्रतिशत हो गई। बाजार सूत्रों के अनुसार विदा होते मानसून ने जमकर तबाही मचाई जिससे खेतों में पानी भर गया और सब्जियों की फसल कहीं-कहीं खराब

बरसात में फसल खराब हो जाने के कारण सब्जियों की महंगाई की दर जो जुलाई में 11.29 प्रतिशत थी, अगस्त में बढ़कर 11.41 प्रतिशत हो गई। बाजार सूत्रों के अनुसार विदा होते मानसून ने जमकर तबाही मचाई जिससे खेतों में पानी भर गया और सब्जियों की फसल कहीं-कहीं खराब हो जाने के कारण ये महंगी तथा आम आदमी की पहुंच से दूर हो गई हैं। सब्जियों और अन्य वस्तुओं की ढुलाई तथा भाड़े आदि में वृद्धि और सप्लाई चेन में बाधा आदि के कारण भी कीमतों में उछाल आया है। 

लोगों के अनुसार हालत यह हो गई है कि 200 रुपए की सब्जी खरीदने पर भी थैला नहीं भरता तथा परचून सब्जी विक्रेता भी अब भाव किलो में बताने की बजाय एक पाव और आधा किलो में बताने लगे हैं। यहां तक कि सब्जी का स्वाद बढ़ाने में उपयोग होने वाला हरा धनिया भी आम आदमी की पहुंच से बाहर हो कर 100 से 120 रुपए प्रति किलो बिक रहा है जबकि मटर का भी यही भाव है। उल्लेखनीय है कि पंजाब की मंडियों में जून में टमाटर 29.4 प्रतिशत महंगे हुए तथा जुलाई में इनके दाम 209.5 प्रतिशत बढ़े। इसी प्रकार प्याज, आलू आदि सब्जियों के दामों में भी अप्रत्याशित वृद्धि देखने को मिली है। 

चूंकि मंडियों में नई फसल की सब्जियों की आमद शुरू होने में अभी कम से कम एक महीना लगेगा जोकि 15 अक्तूबर से पहले संभव नहीं है, अत: सब्जियों की महंगाई से जल्द राहत मिलने की संभावना अभी कम ही है। सब्जियों की कीमतों में वृद्धि का सिलसिला यूं तो जून से ही शुरू हो गया था परंतु जुलाई और अगस्त में तो कीमतें आकाश छूने लगीं। यही कारण है कि परचून में टमाटर इस समय 60 से 90 रुपए प्रति किलो, प्याज 40 से 50 रुपए  और आलू जिसे लॉकडाऊन से पहले कोई खरीदता नहीं था, आज दोगुणा महंगा होकर 40-50 रुपए किलो के भाव बिक रहा है। 

केंद्र सरकार द्वारा प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने तथा जल्दी ही अफगानिस्तान से इसकी खेप पहुंचने से इसके भाव में वृद्धि पर लगाम लगने की आशा है हालांकि इसका स्वाद भारतीय प्याज जैसा बढिय़ा नहीं है। जहां तक अन्य सब्जियों का संबंध है रविवार को दिल्ली-एन.सी.आर. में  शिमला मिर्च 100, फूलगोभी 140 रुपए, बैंगन, बंद गोभी, लौकी, ङ्क्षभडी और खीरा 60 रुपए तथा कद्दू का भाव 50 रुपए प्रति किलो दर्ज किया गया है। इसके विपरीत जून में कद्दू 10 से 15, शिमला मिर्च 60, लौकी 20, टमाटर 20-30, आलू और प्याज 20-25, गोभी 30-40 रुपए प्रतिकिलो बिक रहे थे। 

‘चैम्बर्स आफ आजादपुर फ्रूट्स एंड वैजीटेबल्स एसोसिएशन’ के अध्यक्ष श्री एम.आर. कृपलानी के अनुसार हालांकि आवक बढऩे से फलों की कीमत में कुछ नरमी आ सकती है परंतु आगे शुरू होने वाले त्यौहारी सीजन में मांग बढऩे के कारण इनकी कीमतों में ज्यादा गिरावट नहीं आएगी तथा मोटे तौर पर फलों की कीमतें स्थिर ही रहने की संभावना है। 

लॉकडाऊन के बाद दालों की कीमतों में भी उपज कमजोर होने के कारण पिछले मात्र एक महीने में 5 से 15 रुपए प्रति किलो तक का उछाल आया है। दाल चना 100 रुपए, दाल अरहर 80 से 90, साबुत मसूर 80, धुली मसूर 90, चना 70 से 80, काबुली चना 80 से 100, राजमां 100 से 120 रुपए प्रति किलो बिक रहा है। मूंग और उड़द की दालें भी उछल गई हैं। जानकारों का कहना है कि होलसेल सब्जी मंडियों से सब्जी खरीदने के बाद रिटेलर सब्जियों के भाव 3 से 4 गुणा तक बढ़ा देते हैं तथा क्षेत्र के अनुसार इसकी कीमत तय कर देते हैं। 

उदाहरण स्वरूप सस्ते और मध्य वर्गीय क्षेत्रों में जो सब्जी 50 रुपए किलो बेची जाती है, अमीर समझे जाने वाले इलाकों में वही 70-80  रुपए प्रति किलो तक के भाव बेची जाती है। कुल मिला कर आज जबकि पहले ही कोरोना महामारी के कारण उद्योग-व्यवसाय बुरी तरह प्रभावित होने और बेरोजगारी बढ़ जाने के कारण लोग आॢथक संकट में घिरे हुए हैं, विशेष रूप से मध्यवर्गीय लोगों की स्थिति तो और भी दयनीय हो गई है जो किसी से सहायता भी नहीं मांग सकते, इस तरह के हालात में सब्जियों तथा दालों की कीमतों में उछाल के कारण लोगों की रसोई भी बुरी तरह अस्त-व्यस्त हो गई है। अत: प्रशासन को इनके दाम तय करके इन्हें सख्तीपूर्वक लागू करवाना चाहिए ताकि लोगों को दाल-सब्जियों की ‘महंगाई’ से कुछ राहत मिले और उनकी रसोई सुचारू रूप से चल सके।—विजय कुमार 

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