प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सफल रही रूस यात्रा

Edited By ,Updated: 26 Dec, 2015 12:18 AM

prime minister s visit to russia was successful

देश की स्वतंत्रता से लेकर अभी तक सभी क्षेत्रों में भारत और रूस के संबंध हर कसौटी पर खरे उतरे हैं।

देश की स्वतंत्रता से लेकर अभी तक सभी क्षेत्रों में भारत और रूस के संबंध हर कसौटी पर खरे उतरे हैं। राजनीतिक क्षेत्र में जहां 1955 में पंडित जवाहर लाल नेहरू द्वारा इंदिरा गांधी के साथ प्रथम रूस यात्रा से शुरू हुआ संबंधों का सिलसिला लगातार मजबूत होता चला गया वहीं राजकपूर ने भी अपनी फिल्मों से रूस वासियों के दिलों में भारत के लिए विशेष जगह बनाई। फिल्म ‘आवारा’ में उन पर फिल्माया हुआ गीत ‘आवारा हूं’ रूसी अभी भी गाते हैं।

भारत की स्वतंत्रता के समय से ही रूस के नेता भारत से संबंध बढ़ाने में रुचि दिखाने लगे थे व रूसी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता और रूस के सर्वेसर्वा ख्रुश्चेव ने पंडित नेहरू को हर प्रकार का सहयोग दिया। 
 
इसके कुछ ही समय बाद नवम्बर 1955 में रूस के तत्कालीन प्रधानमंत्री बुलगानिन तथा ख्रुश्चेव भारत आए। उनकी इस यात्रा से भारत और रूस के बीच सभी क्षेत्रों में सहयोग के नए अध्याय की शुरूआत हुई। इसका परिणाम बाद में दोनों देशों के बीच ‘फेवर्ड नेशन ट्रीटी’ के रूप में निकला जिसके अंतर्गत दोनों देशों ने एक-दूसरे को विशेष दर्जा प्रदान किया हुआ है।
 
अंतरिक्ष अनुसंधान व परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में भी दोनों देशों में अत्यंत मजबूत तालमेल तथा सहयोग रहा है। दक्षिण भारत में कुडनकुलम परमाणु बिजली घर इसी का परिणाम है। इसकी दूसरी इकाई कुछ सप्ताह में चालू हो जाएगी जबकि तीसरी व चौथी इकाई के लिए वार्ता अग्रिम चरण में है। 
 
भारत ने विश्व के किसी भी अन्य देश के साथ विभिन्न क्षेत्रों में इतनी बड़ी संख्या में महत्वपूर्ण आर्थिक, सामरिक, तकनीकी व वैज्ञानिक संयुक्त समझौते नहीं किए और इसका श्रेय भारत की पिछली सभी सरकारों को जाता है।
 
अब दिसम्बर के आरम्भ में नरेंद्र मोदी की सफल जापान यात्रा के बाद उनकी यह रूस यात्रा अत्यंत सफल और दोनों ही देशों के संबंधों को और आगे ले जाने वाली सिद्ध हुई। मोदी और रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने अपने संबंधों को और गति प्रदान करते हुए हाइड्रो कार्बन की खोज, रेलवे, सौर ऊर्जा, अंतरिक्ष जैसे विभिन्न क्षेत्रों में 16 समझौतों पर हस्ताक्षर किए।
 
इनमें भारत में कोमोव 226 हैलीकॉप्टर के संयुक्त निर्माण का समझौता भी शामिल है। यह ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के अंतर्गत प्रमुख रक्षा सहयोग परियोजना है। दोनों देशों ने भारत में 12 परमाणु संयंत्र तथा 2 रूसी डिजाइन वाली परमाणु रिएक्टर इकाइयों के भारत में निर्माण करने पर भी सहमति व्यक्त की है जिनमें भारत की स्थानीय कंपनियों की सहभागिता होगी।
 
दोनों ने इस बात पर जोर दिया कि परमाणु ऊर्जा का शांतिपूर्ण उपयोग दोनों देशों के सामरिक संबंधों को नया आयाम देगा। दोनों ने अगले 10 वर्षों में द्विपक्षीय व्यापार को वर्तमान 10 अरब डालर से बढ़ा कर 30 अरब डालर करने की प्रतिबद्धता भी व्यक्त की है। 
 
इस दौरान ‘आतंकी समूहों और इसके निशाने वाले देशों के बीच बिना भेदभाव व अंतर किए’ एकजुट होकर आतंकवाद के विरुद्ध लडऩे की जरूरत को भी रेखांकित किया गया। पुतिन ने रूस द्वारा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता के प्रयासों का भी पुरजोर समर्थन किया है।  
 
26 मई, 2014 को सत्ता संभालने के बाद से अब तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमरीका के अलावा यूरोप और एशिया के 33 देशों की यात्रा कर चुके हैं जिनमें जापान की सफल यात्रा भी शामिल है जिस दौरान जापान ने भारत का बुनियादी ढांचा मजबूत करने के लिए वित्तीय समर्थन तथा विभिन्न परियोजनाओं में महत्वपूर्ण भागीदारी का आश्वासन दिया। इसमें भारत में ‘बुलेट’ ट्रेनों को शुरू करने के लिए सहायता देना भी शामिल है। 
 
जापान यात्रा के अलावा नरेंद्र मोदी की कोई भी विदेश यात्रा इतनी सफल नहीं हुई जितनी सफल रूस यात्रा रही है। इससे न सिर्फ दोनों देशों में परस्पर व्यापार बढ़ेगा, बल्कि वैज्ञानिक अनुसंधान के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित होंगे और दोनों देश आतंकवाद के विरुद्ध मिलकर लड़ेंगे। 
 
रूस द्वारा भारत में परमाणु बिजली संयंत्र लगाने से देश में कोयला आधारित बिजली संयंत्रों पर निर्भरता घटेगी और प्रदूषण पर नियंत्रण पाने में सफलता मिलेगी और देशवासियों को सस्ती बिजली मिल सकेगी।
 

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