Edited By ,Updated: 27 Mar, 2019 03:47 AM
बेरोजगारी आज हमारे देश की बड़ी समस्या बन चुकी है तथा देश में 3 करोड़ से अधिक युवा बेरोजगार हैं। वर्ष 2014 में लोकसभा चुनाव के समय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने युवाओं के लिए 1 करोड़ रोजगार प्रति वर्ष सृजित करने का जो वायदा किया था, वह अभी तक...
बेरोजगारी आज हमारे देश की बड़ी समस्या बन चुकी है तथा देश में 3 करोड़ से अधिक युवा बेरोजगार हैं। वर्ष 2014 में लोकसभा चुनाव के समय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने युवाओं के लिए 1 करोड़ रोजगार प्रति वर्ष सृजित करने का जो वायदा किया था, वह अभी तक पूरा नहीं हुआ।
‘सैंटर फार मॉनीटरिंग इंडियन इकोनॉमी’ (सी.एम.आई.ई.) के अनुसार भारत में फरवरी, 2019 में बेरोजगारी की दर 7.2 प्रतिशत रही जो सितम्बर, 2016 के बाद सर्वाधिक है। उल्लेखनीय है कि फरवरी, 2018 में बेरोजगारी की दर 5.9 प्रतिशत थी। एक रिपोर्ट के अनुसार कई दशकों में पिछले 5 वर्ष का समय शायद पहला ऐसा दौर है जब देश में सर्वाधिक रोजगार समाप्त हुए अर्थात लोग नौकरियों से निकाले गए। ऐसा कम ही होता है जब किसी देश में बेरोजगारी की दर आर्थिक विकास दर के इतना निकट पहुंच जाए। मोदी सरकार के अंतर्गत देश की औसत विकास दर 7.6 प्रतिशत तथा बेकारी की दर 6.1 प्रतिशत रही।
यू.पी.ए. के शासनकाल में देश में बेरोजगारी की दर 2 प्रतिशत और विकास दर 6.1 प्रतिशत थी तथा अब चेतावनी दी जा रही है कि कहीं देश में बेरोजगारी की दर 15 से 20 प्रतिशत तक न पहुंच जाए। देश में बेरोजगारी कितना गंभीर रूप धारण कर गई है यह निम्र में दर्ज इसी वर्ष के चंद उदाहरणों से स्पष्ट है :
ग्वालियर जिला अदालत में चपड़ासी के मात्र 57 पदों के लिए 60,000 आवेदन पत्र प्राप्त हुए। हालांकि इस पद के लिए शैक्षिक योग्यता मात्र 8वीं कक्षा पास और मानदेय मात्र साढ़े सात हजार रुपए रखा गया था परंतु इस कम योग्यता वाले पद के लिए आवेदकों में बड़ी संख्या में उच्च शिक्षा प्राप्त इंजीनियर, एम.बी.ए. और पी.एचडी. डिग्रीधारी तक शामिल थे। झारखंड के धनबाद सिविल कोर्ट में चपड़ासी/ ग्रुप डी के 27 पदों के लिए 20,000 आवेदन पत्र प्राप्त हुए। इसके लिए न्यूनतम योग्यता मैट्रिक पास रखी गई थी परंतु इसके लिए आवेदकों में इंजीनियर, एलएल.बी., पोस्ट ग्रैजुएट, बी.बी.ए. सहित अनेक उच्च शिक्षित युवा शामिल थे।
तमिलनाडु विधानसभा सचिवालय द्वारा 14 स्वीपरों की भर्ती के लिए जारी विज्ञापन के जवाब में 4000 से अधिक आवेदन प्राप्त हुए जिनमें अनेक इंजीनियरिंग स्नातक तथा एम.बी.ए. जैसी उच्च शिक्षा प्राप्त उम्मीदवार शामिल थे। इसी तरह तमिलनाडु लोकसेवा आयोग द्वारा ग्रामीण क्लर्कों की 9500 असामियों की इंटरव्यू हेतु मांगे गए आवेदनों के जवाब में 20 लाख से अधिक आवेदन पत्र प्राप्त हुए थे तथा आवेदन करने वालों में 992 पी.एचडी. डिग्रीधारी, 23,000 एम.फिल, 2.5 लाख स्नातकोत्तर और 8 लाख स्नातक शामिल थे।
और अब रेलवे में गैंगमैन, कैबिनमैन, हैल्पर्स, की-मैन, ट्रैकमैन और वैल्डर जैसे 62,907 पदों के लिए 2 करोड़ उम्मीदवारों ने आवेदन किया है। इन पदों के लिए न्यूनतम योग्यता 10वीं पास/ आई.टी.आई. सर्टीफिकेट या नैशनल अप्रैंटिसशिप सर्टीफिकेट है परंतु इनके लिए आवेदन करने वालों में उच्च शिक्षा प्राप्त 48.48 लाख अंडर ग्रैजुएट, पोस्ट ग्रैजुएट, इंजीनियरिंग, मैनेजमैंट व साइंस एवं कामर्स में डिग्रीधारी शामिल हैं। देश में बेरोजगारी का हाल यह है कि वड़ोदरा के रहने वाले और बी.काम की पढ़ाई किए हुए ओम वीर मांडरे नामक युवक को जब कहीं नौकरी न मिली तो उसने जूतों की मुरम्मत और पालिश करने का काम शुरू कर दिया और अपनी गुमटी पर यह बोर्ड लगा दिया ‘शिक्षित बेरोजगार द्वारा संचालित’ तथा वह प्रति मास 8000 से 9000 रुपए कमा रहा है।
उपरोक्त उदाहरणों से स्पष्टï है कि देश में बेरोजगारी की समस्या किस कदर गंभीर रूप धारण कर चुकी है। वैसे तो कोई भी काम छोटा नहीं होता परंतु यदि उच्च योग्यता प्राप्त लोगों को कम योग्यता वाले पदों पर काम करने के लिए विवश होना पड़े तो समझा जा सकता है कि स्थिति कितनी गंभीर है और यह समस्या एक-दो प्रदेशों की नहीं बल्कि समूचे देश की है। इसी कारण पंजाब से बड़ी संख्या में किसानों और अन्य परिवारों से संबंधित युवा विदेशों को पलायन करते जा रहे हैं।
इससे बचने के लिए जहां युवाओं को स्वरोजगार की प्रेरणा देने के साथ-साथ लगातार बढ़ रही जनसंख्या पर अंकुश लगाने के उपाय करने व देश में रोजगार के नए मौके पैदा करने की जरूरत है वहीं बेरोजगार युवाओं को स्वरोजगार में खपाने के लिए बड़ी संख्या में नई ऋण एवं प्रोत्साहन योजनाएं शुरू करने की भी आवश्यकता है ताकि बेरोजगारी से तंग युवा देश तथा समाज के लिए गलत रास्ते पर न चल पड़ें।—विजय कुमार