भारत बंद से सम्पत्ति को क्षति और जनजीवन अस्त-व्यस्त

Edited By ,Updated: 09 Jan, 2020 12:38 AM

property damage and life disrupted due to bharat bandh

देश में नागरिकता कानून व उससे जुड़े विभिन्न मुद्दों को लेकर चल रहे प्रदर्शनों के बीच 8 जनवरी को वामदल समर्थक 10 श्रमिक संगठनों ने केंद्र सरकार की कथित जनविरोधी नीतियों और अपनी मांगों को लेकर देशव्यापी बंद का आयोजन किया जिसे अनेक बैंक यूनियनों का भी...

देश में नागरिकता कानून व उससे जुड़े विभिन्न मुद्दों को लेकर चल रहे प्रदर्शनों के बीच 8 जनवरी को वामदल समर्थक 10 श्रमिक संगठनों ने केंद्र सरकार की कथित जनविरोधी नीतियों और अपनी मांगों को लेकर देशव्यापी बंद का आयोजन किया जिसे अनेक बैंक यूनियनों का भी समर्थन प्राप्त था।

बेरोजगारी और महंगाई कम करने के लिए ठोस उपाय करने, मजदूरों को न्यूनतम 21,000 रुपए वेतन, 10,000 रुपए मासिक पैंशन और श्रम कानून सख्ती से लागू करने आदि की मांगें मनवाने के लिए किए गए इस बंद से देश के अधिकांश भागों में जनजीवन आंशिक रूप से प्रभावित हुआ। अनेक स्थानों पर रेल और बस परिचालन, बिजली तथा बैंकिंग सेवाएं बाधित रहीं। औद्योगिक क्षेत्रों में कामकाज नहीं हुआ और प्रमुख बाजार बंद रहे। 

कुछ स्थानों पर कारखानों में काम करने जा रहे वर्करों को रोकने, झड़पों, सरकारी वाहनों को आग लगाने और हिंसा होने के भी समाचार हैं। अनेक राज्यों में श्रमिक संगठनों ने धरने, प्रदर्शन तथा जनसभाएं आयोजित कीं। अनेक राज्यों में बंद के कारण शिक्षा संस्थान बंद रहे। यहां तक कि कुछ राज्यों में पूर्व निर्धारित परीक्षाएं भी स्थगित करनी पड़ीं। जहां कांग्रेस ने इसका समर्थन किया वहीं केंद्र सरकार और भाजपा ने वाम समर्थित श्रमिक संघों के भारत बंद को ‘एक-दो साल में होने वाली प्रक्रिया’ बताया और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा : 

‘‘वाम समर्थकों की हड़ताल को जनता ने पहले ही खारिज कर दिया है। बंद और हड़ताल के जरिए वाम समर्थक सस्ती लोकप्रियता बटोरना चाहते हैं और बसों पर बम फैंकते हैं।’’ ‘‘ऐसी लोकप्रियता प्राप्त करने से राजनीतिक मौत बेहतर है। रेल लाइनों पर बम लगाना गुंडागर्दी है। आंदोलन के नाम पर यात्रियों को पीटा जा रहा है और पथराव किया जा रहा है। यह आंदोलन नहीं दादागिरी है और मैं इसकी निंदा करती हूं।’’ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समर्थित भारतीय मजदूर संघ (बी.एम.एस.) बंद में शामिल नहीं हुआ। इसके अलावा पंजाब, हरियाणा और बंगाल सहित अनेक राज्य सरकारों ने भी कर्मचारियों को इस बंद से दूर रहने का निर्देश दिया था। 

कुल मिलाकर 8 जनवरी के बंद से श्रमिक संगठनों को कितना लाभ पहुंचेगा इस प्रश्र का उत्तर तो भविष्य के गर्भ में है परंतु इस बंद से देश में सार्वजनिक और निजी सम्पत्ति को क्षति के अलावा उद्योग व्यवसाय और बैंकिंग सेवाएं अस्त-व्यस्त होने से आर्थिक क्षति तो हो ही गई है और जनता को जो असुविधा हुई वह अलग!—विजय कुमार 

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