‘नेताओं के भड़काऊ बयान’ ‘अपनी ही करवा रहे जगहंसाई’

Edited By ,Updated: 20 Apr, 2022 05:42 AM

provocative statements of leaders

हम लिखते रहते हैं कि हमारे माननीयों को अपना हर बयान सोच-समझ कर ही देना चाहिए ताकि देश में सद्भाव बना रहे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अपनी पार्टी के सदस्यों को यह सलाह दे चुके

हम लिखते रहते हैं कि हमारे माननीयों को अपना हर बयान सोच-समझ कर ही देना चाहिए ताकि देश में सद्भाव बना रहे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अपनी पार्टी के सदस्यों को यह सलाह दे चुके हैं लेकिन हमारे कुछ नेताओं पर इसका रत्ती भर भी असर नहीं हो रहा। इसका नतीजा यह है कि न सिर्फ सत्तारूढ़ भाजपा बल्कि अन्य सभी दलों से जुड़े छोटे-बड़े नेता भी लगातार विवादास्पद बयान देकर देश का माहौल बिगाडऩे में जुटे हुए हैं जिसके मात्र इस महीने के चंद उदाहरण निम्र में दर्ज हैं : 

* 01 अप्रैल को राजस्थान में कांग्रेस की टिकट पर 5 बार विधायक चुने गए श्रवण कुमार ने अपनी ही पार्टी की अशोक गहलोत सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि ‘‘झुंझुनूं जिले से ऐसे लोगों को मंत्री बना दिया गया जिन्हें अपने पायजामे का नाड़ा तक बांधना नहीं आता। जिंदगी में उन्होंने हमेशा इलास्टिक का पायजामा ही पहना है।’’
* 03 अप्रैल को उत्तर प्रदेश में सपा के विधायक शाजिल इस्लाम ने कहा, ‘‘अब अगर योगी आदित्य नाथ ने कोई शोर किया तो समाजवादी पार्टी की बंदूकों से धुआं नहीं गोलियां निकलेंगी।’’ 

* 11 अप्रैल को पुणे में विश्व हिंदू परिषद की नेता साध्वी सरस्वती ने हिंदू युवाओं से कहा कि  ‘‘पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों के अत्याचारों के कारण घाटी से कश्मीरी पंडितों के पलायन जैसी स्थिति से बचने के लिए अपने पास तलवारें रखें। यदि आप एक लाख रुपए के मोबाइल फोन और लैपटॉप खरीद सकते हैं तो एक हजार रुपए की तलवार भी खरीद कर रख सकते हैं।’’
* 15 अप्रैल को भाजपा नेता और राज्यसभा सदस्य रामचंद्र जांगड़ा ने झज्जर में कहा कि ‘‘लड़कियों को जीन्स शोभा नहीं देतीं। आजकल तो लोग रिप्ड (फटी हुई) पैंट पहनते हैं, यूरोप को अपना कचरा निकालना था और उन्होंने देखा कि यह फटी हुई पैंट कहां निकल सकती है। हिंदुस्तान में नकलची लोग हैं इसलिए एक फिल्म में हीरो को पहना दी तो दूसरे लोग भी पहनने लगेंगे।’’ 

* 15 अप्रैल को ही कोटा के नयापुरा में फुटपाथ पर सो रहे परिवार पर कार चढ़ जाने के परिणामस्वरूप एक व्यक्ति की मौत पर टिप्पणी करते हुए राजस्थान के नगर विकास तथा आवास मंत्री शांति धालीवाल ने कहा, ‘‘रैन बसेरे खुले हुए हैं फिर भी वे फुटपाथ पर ही जाकर सोते हैं। यह उनकी गलती है। अब सोते हुए आदमी को पुलिस उठाकर तो ले जा नहीं सकती। आखिर लोग फुटपाथ पर सोते ही क्यों है?’’ 

* 16 अप्रैल को उत्तराखंड के कृषि मंत्री गणेश जोशी ने मसूरी में एक समारोह में कहा, ‘‘कांग्रेस एक डूबता हुआ जहाज है। इसे समाप्त करने के लिए किसी की जरूरत नहीं है। पप्पू और बबली जब तक कांग्रेस में रहेंगे कांग्रेस समाप्त होती रहेगी।’’ 

* 16 अप्रैल को ही बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने जमुई में अम्बेडकर जयंती पर एक कार्यक्रम में बोलते हुए कहा, ‘‘राम भगवान थोड़े ही थे वह तो तुलसी दास और वाल्मीकि रामायण के पात्र थे।’’ उन्होंने आगे कहा, ‘‘पूजा-पाठ करने से कोई बड़ा नहीं होता है। अनुसूचित जाति के लोगों को पूजा-पाठ करना बंद कर देना चाहिए। शबरी के जूठे बेर राम ने खाए थे। आज हम लोगों के यहां कोई खाना खाकर दिखाए। सवर्ण और उच्च जाति के लोग भारत के मूल निवासी नहीं हैं, बाहरी हैं।’’ इसके उत्तर में बिहार भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष मिथिलेश तिवारी ने कहा कि ‘‘जीतन राम मांझी के दिमाग का इलाज होना चाहिए।’’ 

* 18 अप्रैल को ङ्क्षहदूवादी नेता साध्वी ऋतम्भरा ने कानपुर में एक समारोह में कहा, ‘‘आपने तो दो बच्चे पैदा किए, है न...हम दो हमारे दो...मेरा निवेदन है हिंदू समाज के बंधुओं से, दो संतानें नहीं चार संतानों को जन्म दीजिए, दो संतानें राष्ट्र के लिए समर्पित कीजिए। भारत जल्द ही हिंदू राष्ट्र बन जाएगा। जो राजनीतिक आतंकवाद के जरिए हिंदू समाज को बांटने का प्रयास कर रहे हैं उन्हें मिट्टी में मिला दिया जाएगा।’’ 

* 18 अप्रैल को राजस्थान विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया का एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें वह यह कहते सुनाई दे रहे हैं कि ‘‘रावण ने सीता का अपहरण करके कोई बहुत बड़ा गुनाह नहीं किया क्योंकि उसने उन्हें छुआ नहीं। अगर वह छूता तो जुर्म होता।’’ 

उनके अनुसार किसी की पत्नी का अपहरण कर लो पर छुओ मत तो कोई गुनाह नहीं होगा। इस तरह के बयान देना निश्चय ही किसी सभ्य देश के नेताओं को शोभा नहीं देता। भारत में किसी के विरुद्ध कोई अपमानजनक टिप्पणी कर देना आज एक फैशन बन गया है। उक्त बयान अदूरदूर्शितापूर्ण हैं। अत: ऐसे लोग इस तरह के बयान देकर न सिर्फ देश का माहौल बिगाड़ रहे हैं बल्कि दुनिया की नजरों में भारत को उपहास का पात्र भी बना रहे हैं।—विजय कुमार  

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