‘दिल्ली में लगा जनस्वास्थ्य आपातकाल’ उत्तर भारत में वायु प्रदूषण की स्थिति गंभीर

Edited By ,Updated: 02 Nov, 2019 12:52 AM

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कुछ वर्षों से देश के अनेक राज्यों में वायु प्रदूषण जानलेवा स्तर पर पहुंच गया है। एक अध्ययन के अनुसार वर्ष 1998 से 2016 के बीच उत्तरी भारत में, जहां देश की कुल जनसंख्या में से लगभग 48 करोड़ से अधिक जनसंख्या रहती है, प्रदूषण 72 प्रतिशत बढ़ गया...

कुछ वर्षों से देश के अनेक राज्यों में वायु प्रदूषण जानलेवा स्तर पर पहुंच गया है। एक अध्ययन के अनुसार वर्ष 1998 से 2016 के बीच उत्तरी भारत में, जहां देश की कुल जनसंख्या में से लगभग 48 करोड़ से अधिक जनसंख्या रहती है, प्रदूषण 72 प्रतिशत बढ़ गया है। 

विषैली हवा के कारण कुछ इलाकों में लोगों की औसत आयु 7 वर्ष तथा दिल्ली में 10 वर्ष तक कम हो गई है। उत्तर भारत में वायु प्रदूषण शेष देश की तुलना में 3 गुणा अधिक है तथा सर्वाधिक प्रदूषित दिल्ली है। ‘एनर्जी पालिसी इंस्टीच्यूट एट द यूनिवॢसटी आफ शिकागो’ (ई.पी.आई.सी.) के अनुसार, ‘‘बढ़ते प्रदूषण से नवजात शिशुओं सहित हर कोई ‘स्मोकर’ बन रहा है। प्रदूषण बढ़ कर 24 घंटों में 20-25 सिगरेट पीने के बराबर हो गया है।’’ 

‘इंडियन मैडीकल एसोसिएशन’ के सहसचिव डा. अनिल गोयल के अनुसार, ‘‘प्रदूषण के कारण अस्पतालों में प्रतिदिन मरीजों की संख्या बढ़ रही है लिहाजा लोग यथासंभव घर से बाहर न निकलें और मास्क लगाएं।’’ स्थिति इतनी खराब हो गई है कि राजधानी दिल्ली सहित अनेक स्थानों पर दिल के दौरे का खतरा बढ़ जाने को देखते हुए विशेषज्ञों ने अस्थमा, ब्रोंकाइटिस या सांस संबंधी अन्य रोगों से पीड़ित लोगों को एहतियात बरतने की सलाह दी है क्योंकि बीमारियों में भारी वृद्धि से मौतें भी बढ़ रही हैं। 

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सी.पी.सी.बी.) के एक अधिकारी के अनुसार दिल्ली में इस वर्ष जनवरी के बाद 1 नवम्बर की सुबह पहली बार समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक (ए.क्यू.आई.) अत्यंत गंभीर स्थिति में पहुंच गया। इसके दृष्टिïगत ‘एन्वायरनमैंट पॉल्यूशन (प्रिवैंशन एंड कंट्रोल) अथारिटी’ (ई.पी.सी.ए.) ने दिल्ली-एन.सी.आर. में ‘जनस्वास्थ्य आपातकाल’ की घोषणा करते हुए 5 नवम्बर तक निर्माण कार्यों पर प्रतिबंध लगाने के अलावा सर्दी के मौसम में पटाखे चलाने पर रोक लगा दी है। दिल्ली सरकार ने स्कूली छात्रों के बीच ‘एन-95 मास्क’ वितरण शुरू कर दिया है तथा इसके साथ ही सभी स्कूलों को 5 नवम्बर तक बंद करने का फैसला भी कर दिया है। 

इसके अलावा ई.पी.सी.ए. ने फरीदाबाद, गुरुग्राम, गाजियाबाद, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, बहादुरगढ़, सोनीपत, पानीपत में सभी कोयला और तेल आधारित उद्योगों को 5 नवम्बर सुबह तक बंद रखने का निर्देश दे दिया है। दिल्ली में प्राकृतिक गैस का इस्तेमाल न करने वाले उद्योग भी इस दौरान बंद रहेंगे। इसके अलावा दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय ने प्रदूषण के वर्तमान स्तर से बच्चों की सेहत को नुक्सान की आशंका के दृष्टिïगत सभी निजी और सरकारी स्कूलों के प्रमुखों को बच्चों को प्रदूषण के प्रति जागरूक करने का निर्देश दिया है। 

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की संस्था ‘सफर’ के अनुसार दिल्ली और आसपास के इलाकों में वायु प्रदूषण का संकट गहराने के लिए जिम्मेदार कारकों में पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं का 27 प्रतिशत योगदान बताया जा रहा है। इसीलिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पंजाब और हरियाणा सरकारों से प्रदूषण के विरुद्ध ठोस कदम उठाने का आग्रह करते हुए दिल्ली को गैस चैम्बर बनने से बचाने की अपील की है। 

प्रदूषण के अन्य कारणों के अलावा कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि किसान कीटनाशकों और रासायनिक खादों का अत्यधिक इस्तेमाल करके तथा खेतों में पराली जला कर न सिर्फ धरती को कमजोर कर रहे हैं बल्कि पराली के धुएं से प्रदूषण फैला कर वायुमंडल को भी जहरीला बना रहे हैं। इस पर रोक लगाने के लिए सरकार द्वारा निवारक पग उठाने के अलावा जनजागरण अभियान तेज करने की जरूरत है। 

किसानों को समझना चाहिए कि वे अधिक कीटनाशकों और रासायनिक खादों का इस्तेमाल करके तथा खेतों में पराली जलाकर पैदा होने वाली बीमारियों से न सिर्फ अन्यों के अलावा अपने परिजनों की भी बीमारी और असामयिक मौतों का कारण बन रहे हैं बल्कि अपनी आने वाली नस्लों को विरासत में बंजर जमीन देने जा रहे हैं।—विजय कुमार

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