Edited By ,Updated: 23 Oct, 2015 02:37 AM
पंजाब में शराब का सेवन लगातार बढ़ रहा है। शराब एवं अन्य नशों से होने वाली भारी हानियों के बावजूद हमारी राज्य सरकारों ने इस ओर से आंखें मूंद रखी हैं
पंजाब में शराब का सेवन लगातार बढ़ रहा है। शराब एवं अन्य नशों से होने वाली भारी हानियों के बावजूद हमारी राज्य सरकारों ने इस ओर से आंखें मूंद रखी हैं क्योंकि हमारे नेता तो शराब को नशा ही नहीं मानते और हमारी सरकारें इसकी बिक्री से होने वाली भारी-भरकम आय को खोना नहीं चाहतीं। इसलिए सरकारें हर वर्ष इसका उत्पादन बढ़ा देती हैं।
शराब के कारण न सिर्फ परिवार नष्ट हो रहे हैं, युवा अपना जीवन तथा यौवन नष्ट कर रहे हैं और सड़क दुर्घटनाओं में बड़ी संख्या में मौतें हो रही हैं जिनमें बहुसंख्या युवाओं की ही होती है। इन मौतों में सड़कों के किनारे बने शराब के ठेकों का बहुत बड़ा हाथ है जिनके निकट से गुजरते हुए वाहन चालक शराब पी लेते हैं।
शराबनोशी के इन्हीं दुष्परिणामों को देखते हुए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में दायर एक जनहित याचिका में सड़कों के किनारे स्थित शराब के ठेके हटाने की गुहार की गई थी जिस पर सुनवाई करते हुए मान्य अदालत ने पंजाब सरकार को सड़कों के किनारे से शराब के ठेके हटाने का आदेश दिया था परंतु इस पर अमल नहीं किया गया।
अब याचिकाकत्र्ता द्वारा न्यायालय में 32 चित्र पेश करके यह कहने पर कि पंजाब सरकार द्वारा राजमार्गों से शराब के ठेके हटाने के आदेशों का पालन करने का हलफनामा दायर करने के बावजूद अभी तक हाईवे पर ठेके चल रहे हैं, जस्टिस ए.के. मित्तल ने पंजाब सरकार को फटकार लगाते हुए यह बताने को कहा है कि हाईवे के किनारों पर शराब के ठेके क्यों चलने दिए जा रहे हैं व इन्हें हटाने के लिए इसने क्या पग उठाए?
उन्होंने यह भी कहा कि ‘‘राजस्व कमाने के लिए क्या सरकार के पास हाईवे पर मौजूद ठेके ही बचे हैं? सरकार अपने राजस्व का ख्याल छोड़ कर हाईवे पर सफर करने वालों के जीवन बचाने का प्रबंध करे।’’
सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों के अलावा शराब के सेवन से पनपने वाले विभिन्न रोगों के कारण भी बड़ी संख्या में मौतें होती हैं। अत: मान्य न्यायाधीश द्वारा राज्य के हाईवे से ठेके न उठाने पर नाराजगी जताना उचित है। यदि देश में हाईवे के किनारों से ठेके हटा दिए जाएं तो सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों को भी काफी हद तक टाला जा सकता है।