हरियाणा के जाट आरक्षण आंदोलन के परिणामस्वरूप 30 मूल्यवान प्राण चले गए, अनेक महिलाओं की इज्जत पर आंच आई और 34,000 करोड़ रुपए की सम्पत्ति की क्षति का अनुमान लगाया गया है।
इस सिलसिले में पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय में 2 स्वत: संज्ञान याचिकाओं सहित 6 याचिकाएं दायर की जा चुकी हैं जिनमें आंदोलनकारियों के विरुद्ध कार्रवाई करने, पीड़ितों को क्षतिपूर्ति देने, महिलाओं के गैंगरेप की जांच, बीमा दावों के तेजी से निपटारे की मांग की गई है।
राज्य में संपत्ति को पहुंची क्षति के संबंध में 330 से अधिक बीमा दावे दाखिल किए जा चुके हैं। क्रियात्मक रूप से मलबे में बदल कर रह गए रोहतक में ही 395 करोड़ रुपए की क्षतिपूर्ति के लिए दावे किए गए हैं।
विभिन्न स्थानों पर आवासीय कालोनियों में लोगों ने लोहे के मजबूत गेट व सी.सी.टी.वी. कैमरे लगवाने तथा सिक्योरिटी गार्ड नियुक्त करने शुरू कर दिए हैं। एक भुक्तभोगी के अनुसार, ‘‘हम से पुलिस वालों ने कहा कि हमारी सुरक्षा हमारे अपने ही हाथों में है। इसलिए हमने ये प्रबंध शुरू किए हैं।’’
एक ओर लोग अपने घाव सहला रहे हैं तो दूसरी ओर इस आंदोलन को लेकर राजनीतिज्ञों में आरोप-प्रत्यारोप जारी हैं। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के राजनीतिक सलाहकार प्रो. वीरेंद्र सिंह पर देशद्रोह का केस दर्ज हुआ है व उसकी गिरफ्तारी के लिए तीन टीमें गठित की गई हैं।
आंदोलन के दौरान पुलिस तथा प्रशासनिक अधिकारियों की भूमिका की जांच के लिए गठित समिति ने जहां काम शुरू कर दिया है वहीं हरियाणा भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला का कहना है कि ‘‘राज्य में पहली बार भाजपा की सरकार बनी थी जिसे अनेक लोग स्वीकार नहीं कर पा रहे थे व इन्हीं ताकतों ने सरकार को अस्थिर करने के लिए उपद्रव की साजिश रची।’’
भाजपा के प्रदेश प्रभारी डा. अनिल जैन के अनुसार, ‘‘असली साजिशकत्र्ता पर्दे के पीछे हैं।’’ भाजपा उच्च कमान के पास ऐसे कई आडियो और दस्तावेज पहुंचे हैं जिनसे संकेत मिलता है कि पार्टी के कौन-कौन नेता विपक्षी दलों से मिलकर तख्ता पलट या सरकार को अस्थिर करने की साजिश में शामिल थे।
एक उच्च भाजपा नेता ने कथित रूप से एक केंद्रीय मंत्री से यह कहा बताते हैं कि उसे मुख्यमंत्री बना देने पर प्रदेश के हालात 2 घंटे में ठीक हो जाएंगे लेकिन इस बात पर उसे केंद्रीय मंत्री से काफी खरी-खोटी सुननी पड़ी थी।
इस बीच हरियाणा सरकार ने और 809 पीड़ितों के लिए 12 करोड़ रुपए की अंतरिम सहायता जारी करने के अलावा पीड़ितों का एक वर्ष का हाऊस टैक्स व पानी टैक्स व 4 महीने के बिजली के बिल माफ करने व जिनके घर जले हैं, उन्हें बनवा कर देने का निर्णय किया है। इसी के साथ ही पीड़ित व्यापारियों को वैट में राहत भी दी गई है।
लोगों के दिलों में पैदा कटुता दूर करने के लिए ‘सद्भावना सप्ताह’ मनाया जा रहा है। मुख्यमंत्री श्री खट्टर ने कहा है कि इस दौरान ‘हरियाणा एक हरियाणवी एक’ का संदेश देने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
उन्होंने एक बार फिर बीमा कम्पनियों को पीड़ितों की सम्पत्ति को क्षति संबंधी क्लेमों का निपटारा 15 दिनों के भीतर कर देने के लिए कहा है परंतु प्रदेश के लोग संतुष्ट नहीं हैं और वे जानना चाहते हैं कि प्रदेश सरकार उन्हें किस प्रकार सुरक्षा देगी क्योंकि लावा अंदर ही अंदर अभी उबल रहा है।
जहां तक प्रदेश के सामाजिक ताने-बाने पर इस आंदोलन के प्रभाव का संबंध है, गैर जाट ‘35 बिरादरी’ स्थान-स्थान पर सभाएं करके आगामी चुनावों में जाट उम्मीदवारों का बहिष्कार करने और जाट समुदाय की आर्थिक सहायता न करने संबंधी निर्णय ले रही हैं। दूसरी ओर जाट समुदाय भी अपनी गुप्त बैठकें करके भावी रणनीति तय कर रहा है। जाट नेताओं का कहना है कि यदि उन्हें लूटपाट करनी होती तो वे सड़कों पर खड़े ट्रकों को लूट सकते थे।
राज्य के अमीर उद्योगपतियों और व्यापारियों द्वारा शस्त्रों के लाइसैंसों के लिए आवेदनों की बाढ़ सी आ गई है। उनका यह भी कहना है कि पहले तो वे नौकरियां देते समय उम्मीदवारों की निजी पृष्ठïभूमि पर अधिक ध्यान नहीं देते थे पर अब अच्छी तरह जांच-पड़ताल करके ही किसी को नौकरी देंगे।
बहरहाल अब जबकि तूफान फिलहाल थम चुका है और लोगों ने अपने जीवन की बिखरी हुई कडिय़ों को फिर से जोडऩे के प्रयास शुरू कर दिए हैं, हरियाणा की पहली गैर जाट सरकार के सामने कठिन परीक्षा की घड़ी है।
ऐसा दिखाई देता है कि भाजपा व कांग्रेस दोनों ही पार्टियों में मौजूद कुछ तत्वों ने अपने ही पैरों पर स्वयं कुल्हाड़ी मार कर राज्य को इस हाल में पहुंचाया है। इसका नतीजा भारत में अब तक के निकृष्टम आरक्षण आंदोलनों में से एक के कारण हुए भारी विनाश के रूप में निकला।