कश्मीरी मुसलमान और हिंदू मिलकर कर रहे पुलवामा में मंदिर का जीर्णोद्धार

Edited By ,Updated: 07 Mar, 2019 03:02 AM

restoration of temple to kashmiri muslims and hindus together in pulwama

धरती का स्वर्ग कहलाने वाला कश्मीर अढ़ाई दशक से अशांति और आतंकवादी ङ्क्षहसा का शिकार है जहां पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी अपने ही भाई-बहनों का खून बहा कर मानवता को लज्जित कर रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार लोगों ने समाज विरोधी तत्वों के उकसावे के बावजूद...

धरती का स्वर्ग कहलाने वाला कश्मीर अढ़ाई दशक से अशांति और आतंकवादी हिंसा का शिकार है जहां पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी अपने ही भाई-बहनों का खून बहा कर मानवता को लज्जित कर रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार लोगों ने समाज विरोधी तत्वों के उकसावे के बावजूद राज्य में कश्मीरियत और आपसी भाईचारे की भावना को जिंदा रखा हुआ है।

इसी का प्रमाण देते हुए शिवरात्रि के दिन दक्षिण कश्मीर में पुलवामा जिले के अचन गांव में मुसलमानों और पंडितों ने मिलकर 80 साल पुराने शिव मंदिर के जीर्णोद्धार का काम शुरू किया। यह मंदिर पुलवामा के उस स्थान से मात्र 15 किलोमीटर दूर है जहां 14 फरवरी को जैश आतंकवादियों ने हमला करके सी.आर.पी.एफ. के 40 जवानों को शहीद कर दिया था।

इस मंदिर में दर्शनों के लिए देशभर से लोग आते थे परन्तु 30 वर्ष पूर्व 1989 में घाटी में कश्मीरी पंडितों पर हमले शुरू होने पर जब यहां से कश्मीरी पंडित पलायन कर गए और सिर्फ दो-चार परिवार ही रह गए तो इसे बंद कर दिया गया और अब तो यहां एक पंडित परिवार ही बचा है।मोहम्मद यूनिस नामक स्थानीय निवासी ने कहा कि ‘‘हमारी हार्दिक इच्छा है कि वही पुराना समय लौट आए, जब एक तरफ मंदिर की घंटियां बजती थीं और दूसरी तरफ मस्जिद से अजान की आवाज आती थी।’’  

मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए पंडित परिवारों ने ‘मस्जिद औकाफ समिति’ से संपर्क किया था। इसके प्रधान नजीर मीर के अनुसार, ‘‘हम अपने इस प्रयास द्वारा यह संदेश देना चाहते हैं कि यहां पहले की भांति ही मुसलमान और कश्मीरी पंडित सद्भावनापूर्वक मिलजुल कर रह रहे हैं।’’ एक अन्य निवासी भूषण लाल ने कहा ‘‘हमारे पड़ोसी मुस्लिम ऐसा कर रहे हैं, क्योंकि वे इस मंदिर का सम्मान करते हैं।’’ इसअवसर पर मुसलमान भाइयों ने सभी को पारंपरिक कश्मीरी कहवा परोसा।

जिला प्रशासन ने भी इसके लिए 4 लाख रुपए दिए हैं और यह मंदिर श्रद्धालुओं के लिए इस वर्ष अगस्त में खोलने की संभावना है। मंदिर के जीर्णोद्धार में मुस्लिम भाईचारे के सहयोग से स्पष्टï है कि कश्मीर के बहुसंख्यक लोगों में कश्मीरियत की भावना अब भी जिंदा है जो कभी भी समाप्त नहीं की जा सकती भले ही पाकिस्तान के पाले हुए आतंकवादी इसे नष्ट करने के लिए कितना भी जोर क्यों न लगा लें।—विजय कुमार

 

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