Edited By ,Updated: 11 Oct, 2019 12:16 AM
देश के अनेक भागों में पिछले कुछ वर्षों से भीड़ की हिंसा की कुप्रवृत्ति (मॉब लिंचिंग) में भारी वृद्धि हुई है और उत्तेजित लोगों की भीड़ ने गौ तस्करी, बच्चों के अपहरण, चोरी आदि के संदेह में अनेक लोगों को पीट-पीट कर मौत के घाट ...
देश के अनेक भागों में पिछले कुछ वर्षों से भीड़ की हिंसा की कुप्रवृत्ति (मॉब लिंचिंग) में भारी वृद्धि हुई है और उत्तेजित लोगों की भीड़ ने गौ तस्करी, बच्चों के अपहरण, चोरी आदि के संदेह में अनेक लोगों को पीट-पीट कर मौत के घाट उतार दिया। ऐसी घटनाओं को रोकने में प्रशासन की विफलता के विरुद्ध रोष व्यक्त करते हुए इतिहासकार रामचंद्र गुहा, फिल्म निर्देशक श्याम बेनेगल, मणिरत्नम, अडूर गोपाल कृष्णन और अनुराग कश्यप, अभिनेत्री अपर्णा सेन और गायिका सुधा मुद्गल सहित फिल्म, इतिहास एवं कला जगत की 49 प्रसिद्ध हस्तियों ने जुलाई मास में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिख कर इस पर रोक लगाने की मांग की थी।
इन हस्तियों ने अपने पत्र में लिखा था, ‘मई 2014 में आपकी सरकार के सत्ता में आने के बाद से देश में अल्पसंख्यकों और दलितों के विरुद्ध 90 प्रतिशत मामले दर्ज हुए। आप संसद में भीड़ की हिंसा की घटनाओं की निंदा तो कर देते हैं परंतु यह काफी नहीं है। सवाल यह है कि ऐसे अपराधियों के विरुद्ध क्या कार्रवाई की गई?’’ उक्त पत्र के बाद एक जवाबी पत्र 61 अन्य जानी-मानी हस्तियों गीतकार प्रसून जोशी, फिल्मकार मधुर भंडारकर और नृत्यांगना सोनल मानसिंह आदि की ओर से भी लिखा गया था जिसमें उन्होंने रामचंद्र गुहा व अन्यों द्वारा लिखे गए पत्र को केंद्र सरकार को बदनाम करने का प्रयास बताया।
उसी पत्र को आधार बनाते हुए मुजफ्फरपुर के एक वकील सुधीर कुमार ओझा ने शिकायत दर्ज करवा दी जिसमें उसने कहा कि ‘उक्त हस्तियों द्वारा प्रधानमंत्री को लिखा पत्र सार्वजनिक करने से देश व प्रधानमंत्री की छवि खराब हुई है अत: इनके विरुद्ध देशद्रोह का मामला दर्ज किया जाए।’मुजफ्फरपुर के सी.जे.एम. ने ओझा की याचिका पर संज्ञान लेते हुए 18 सितम्बर, 2019 को पुलिस को गुहा व अन्यों के विरुद्ध मुकद्दमा दर्ज करने के आदेश देने के अलावा 11 नवम्बर, 2019 तक इस बारे चार्जशीट दायर करने का आदेश दिया था तथा 3 अक्तूबर को मुजफ्फरपुर पुलिस ने रामचंद्र गुहा व अन्यों के विरुद्ध देशद्रोह का केस भी दर्ज कर लिया था।
परंतु अब 9 अक्तूबर को बिहार पुलिस ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखने वाली उक्त 49 हस्तियों के विरुद्ध दर्ज किया गया देशद्रोह का केस बंद करने का आदेश दे दिया है। मुजफ्फरपुर के एस.एस.पी. मनोज कुमार सिन्हा के अनुसार जांच से पता चला कि उक्त हस्तियों के विरुद्ध शरारत की भावना से आरोप लगाए गए जिनका कोई ठोस आधार नहीं है। सिन्हा ने कहा है कि याचिकाकर्ता ओझा की शिकायत तथ्यहीन, आधारहीन, साक्ष्यविहीन और दुर्भावनापूर्ण पाई जाने के कारण अब उसके विरुद्ध विभिन्न संबंधित धाराओं के अंतर्गत कार्रवाई करने का अदालत से अनुरोध करेंगे।
भीड़ की हिंसा जैसे ज्वलंत मुद्दे की ओर सरकार और देश का ध्यान दिलाने के लिए रामचंद्र गुहा और अन्य बुद्धिजीवियों का आभारी होना चाहिए न कि उनके विरुद्ध देशद्रोह का मामला दर्ज करना जिसे किसी भी दृष्टि से उचित नहीं कहा जा सकता। इस बात से भला कौन इंकार कर सकता है कि लोकतंत्र में जिम्मेदारी के भीतर रह कर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता लोकतंत्र की सबसे बड़ी विशेषता है जिस पर अंकुश लगाना कदापि उचित नहीं।
उल्लेखनीय है कि इस सारे घटनाक्रम के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुला पत्र लिखने वाली 49 हस्तियों के विरुद्ध देशद्रोह का मामला दर्ज किए जाने के विरुद्ध देश के 185 जाने-माने नागरिकों जिनमें लेखक, कलाकार, इतिहासकार और बुद्धिजीवी सभी शामिल हैं, ने एक खुला पत्र लिख कर सरकार को चुनौती देते हुए कहा था कि ऐसा रोज होगा।
इन 185 बुद्धिजीवियों ने इतिहासकार गुहा व अन्यों के विरुद्ध देशद्रोह का मुकद्दमा दर्ज करने की निंदा करते हुए सरकार के इस पग को न्यायालयों का इस्तेमाल कर देश के जिम्मेदार नागरिकों की आवाज दबाने का षड्यंत्र करार दिया था अत: इसे वापस लेकर सरकार ने सही समय पर सही कदम ही उठाया है। —विजय कुमार