सड़कों पर आवारा पशुओं के कारण रोज हो रही दुर्घटनाएं व मौतें

Edited By Pardeep,Updated: 06 Oct, 2018 03:45 AM

road accidents and deaths due to stray cattle

देश में कुछ वर्षों से सड़कों पर मौत बन कर घूम रहे आवारा जानवर, विशेष रूप से परित्यक्त गौवंश, लोगों की सुरक्षा के लिए भारी खतरा बन गए हैं। अनेक स्थानों पर तो इन आवारा पशुओं का जैसे ‘कब्जा’ ही हो गया है जो रास्तों के बीचों-बीच ‘धरना’ मार कर बैठ जाते...

देश में कुछ वर्षों से सड़कों पर मौत बन कर घूम रहे आवारा जानवर, विशेष रूप से परित्यक्त गौवंश, लोगों की सुरक्षा के लिए भारी खतरा बन गए हैं। अनेक स्थानों पर तो इन आवारा पशुओं का जैसे ‘कब्जा’ ही हो गया है जो रास्तों के बीचों-बीच ‘धरना’ मार कर बैठ जाते हैं व इससे वाहनों का आवागमन तक रुक जाता है। यहां पेश हैं हाल ही में हुई चंद दुर्घटनाएं : 

03 अगस्त को राजस्थान में कोटड़ी क्षेत्र के भगवानपुरा गांव में सड़क पर लड़ रहे आवारा मवेशियों द्वारा एक मोपेड को लपेट में लेने से बाइक सवार महिला की मृत्यु तथा उसका पति गंभीर रूप से घायल हो गया। 20 अगस्त को कुरुक्षेत्र के निकट उमरी गांव में फ्लाईओवर के निकट एक गाय को बचाने की कोशिश में 2 भारी वाहनों और एक कार की टक्कर के चलते 3 लोग मारे गए और 2 अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। 

28 अगस्त को बठिंडा में नैशनल हाईवे पर लड़ रहे आवारा सांडों की चपेट में आने के कारण गंभीर रूप से घायल डिम्पल नामक अपने माता-पिता के इकलौते पुत्र ने 3 अक्तूबर को अस्पताल में दम तोड़ दिया। 07 सितम्बर को पठानकोट के निकट डल्हौजी रोड हाईवे पर अपने भाई और बेटे के साथ जा रहे व्यक्ति की बाइक सड़क के बीचों-बीच आवारा पशु से टकराने से बाइक चालक की मृत्यु हो गई। 08 सितम्बर रात को मोगा में आवारा सांड के सड़क पर आ जाने से वहां से गुजर रहे सहायक थानेदार बलबीर सिंह का मोटरसाइकिल उससे जा टकराया व गंभीर रूप से घायल हो जाने के कारण उनकी मृत्यु हो गई। 

08 सितम्बर को अमृतसर के निकट गांव पहुविंड निवासी वृद्धा कश्मीर कौर को सड़क पार करते समय एक सांड ने सींग पर उठाकर जमीन पर पटक दिया जिसके चलते 2 दिन बाद उसने दम तोड़ दिया। 10 सितम्बर को तरनतारन में बोहड़ी चौक में भाग कर आते हुए एक सांड द्वारा एक मोटरसाइकिल सवार बलजीत सिंह गिल को टक्कर मार देने से उसकी घटनास्थल पर ही मृत्यु हो गई। 13 सितम्बर को कानपुर में सिकंदरा के मानपुर के निकट आवारा पशु को बचाते हुए एक कार डिवाइडर से टकरा कर दुर्घटनाग्रस्त हो जाने के परिणामस्वरूप कार सवार 3 व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हो गए। 27 सितम्बर को मोदी नगर में आवारा पशु को बचाने के प्रयास में एक कैंटर के रोडवेज की बस से टकरा जाने से कैंटर चालक की मृत्यु हो गई। 

30 सितम्बर को जालंधर में सूरानुस्सी के निकट श्रद्धालुओं से भरी स्कूल बस आवारा पशु को बचाते हुए बेकाबू होकर पलट गई जिससे ड्राइवर सहित 5 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। 04 अक्तूबर को मलोट के गांव आलमवाला के निकट लावारिस पशु सामने आ जाने के चलते आल्टो कार के बेकाबू होकर पेड़ से जा टकराने से एक ही परिवार के 4 सदस्यों की मृत्यु तथा 3 गंभीर घायल हो गए। 04 अक्तूबर को मोगा के गांव बुकनवाला में 78 वर्षीय किसान गुरमेल सिंह के पेट में लावारिस सांड द्वारा सींग मार देने से घायल किसान की अस्पताल में उपचार के दौरान मृत्यु हो गई। 05 अक्तूबर को चूरू के रत्नगढ़ इलाके में सड़क पर लड़ रहे 2 सांडों की लड़ाई की चपेट में आने से एक बाइक सवार युवक की घटनास्थल पर ही मृत्यु और दूसरा गंभीर रूप से घायल हो गया। 

उपरोक्त घटनाक्रम को देखते हुए संबंधित विभागों द्वारा आवारा पशुओं की समस्या से लोगों को मुक्ति दिलाने के लिए यथाशीघ्र प्रयास करने की आवश्यकता है ताकि लोगों को इस ‘बिन बुलाई मौत’ से मुक्ति मिल सके। यही नहीं आवारा मवेशियों के मामले में पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय में स्वयं संज्ञान लेकर शुरू किए गए केस में पंजाब-हरियाणा सरकारों और चंडीगढ़ प्रशासन को 6 सप्ताह में स्टेटस रिपोर्ट पेश करने के आदेश देते हुए 10 सितम्बर को पूछा है कि सड़कों पर एक भी आवारा मवेशी कैसे घूम रहा है।—विजय कुमार   

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