Edited By ,Updated: 11 May, 2021 04:03 AM
हम जहां रहते हैं उसके आसपास रहने वाले हमारे पड़ोसी कहलाते हैं और जरूरत पडऩे पर सबसे पहले वही हमारी सहायता के लिए आते हैं। अपने पड़ोसी की सहायता करना अच्छे पड़ोसी का धर्म भी
हम जहां रहते हैं उसके आसपास रहने वाले हमारे पड़ोसी कहलाते हैं और जरूरत पडऩे पर सबसे पहले वही हमारी सहायता के लिए आते हैं। अपने पड़ोसी की सहायता करना अच्छे पड़ोसी का धर्म भी है।
पड़ोसी देशों पर भी यही बात लागू होती है। नेपाल और पाकिस्तान के सिवाय अन्य पड़ोसी देशों जैसे बंगलादेश, यांमार, श्रीलंका आदि के साथ हमारे ठीक-ठाक संबंध हैं। हालांकि पाकिस्तान के शासकों में से नवाज शरीफ और इमरान खान ने भारत के साथ संबंध सामान्य करने की दिशा में कुछ कोशिश जरूर की परंतु परिणाम शून्य ही रहा।
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने जब देखा कि पाकिस्तान सब हथकंडे अपना कर भी कुछ नहीं पा सका तो उसने भारत की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाया और 21 फरवरी, 1999 को तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री वाजपेयी को लाहौर आमंत्रित करके दोनों ने आपसी मैत्री व शांति के लिए लाहौर घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए परंतु तत्कालीन सेनाध्यक्ष परवेज मुशर्रफ ने अपने भारत विरोधी कदमों से उसके प्रयासों पर पानी फेर दिया।
18 अगस्त, 2018 को इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने गए नवजोत सिंह सिद्धू ने सेनाध्यक्ष कमर जावेद बाजवा से गले मिल कर दोस्ती का पैगाम दिया और वहां से लौटने के बाद बाजवा के हवाले से कहा गया कि पाकिस्तान सरकार श्री गुरु नानक देव जी की 550वीं जयंती पर डेरा बाबा नानक (श्री करतारपुर साहिब) गलियारा खोलेगी। उसी वर्ष 28 नव बर को इमरान खान ने पाकिस्तान में करतारपुर गलियारे की नींव रखी तथा पहली बार कहा कि ‘‘आतंकवाद के लिए पाकिस्तान की धरती का इस्तेमाल हमारे हित में नहीं है तथा पाकिस्तान के लोग भी भारत के साथ संबंध सुधारना चाहते हैं।’’
इमरान के उक्त कथन के बावजूद दोनों देशों के संबंधों में गतिरोध कायम है। यहां तक कि इमरान खान ने भी 4 अप्रैल, 2021 को पलटी मारते हुए कह दिया कि ‘‘जब तक जम्मू-कश्मीर में निरस्त धारा 370 दोबारा लागू नहीं की जाती तब तक भारत-पाक रिश्ते दोबारा से सामान्य नहीं हो सकते।’’ इसके विपरीत पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने 8 मई, 2021 को कहा है कि ‘‘धारा 370 से हमें पहले भी कोई परेशानी नहीं थी और अब भी नहीं है। यह भारत का अंदरुनी मामला है।’’
इसी बीच इमरान खान की सऊदी अरब यात्रा के दौरान वहां के युवराज ‘मोह मद-बिन-सलमान’ के साथ उच्च स्तरीय वार्ता के बाद जारी संयुक्त विज्ञप्ति में कहा गया कि सऊदी अरब ने भारत और पाकिस्तान के मध्य कश्मीर सहित सभी लंबित मुद्दों को सुलझाने के लिए वार्ता के महत्व पर जोर दिया है जिस पर दोनों देशों के बीच सहमति बनी है। इमरान खान तथा ‘मोह मद-बिन-सलमान’ ने आतंकवाद से निपटने के लिए संयुक्त प्रयास करने और अफगानिस्तान में शांति समझौते पर पाकिस्तान की भूमिका तथा सीरिया और लीबिया की समस्या के राजनीतिक समाधान की जरूरत पर भी चर्चा की।
युवराज ‘मोहम्मद-बिन-सलमान’ ने भारत और पाकिस्तान के बीच एल.ओ.सी. पर संघर्ष विराम के संबंध में दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों के बीच हाल ही में बनी सहमति का भी स्वागत किया। उल्लेखनीय है कि फरवरी, 2019 में पुलवामा हमले में आतंकवादियों द्वारा भारत के 40 जवानों की हत्या के बाद दोनों देशों के स बन्ध पटरी से उतर गए थे और दोनों देशों के बीच आपसी व्यापार भी बंद हो गया था। पाकिस्तान को अब ब्राजील, चीन और थाईलैंड से वस्तुएं आयात करनी पड़ रही हैं जिससे पाकिस्तान में महंगाई के कारण हाहाकार मचा हुआ है।
सऊदी अरब पाकिस्तान को अपना निकटतम मुस्लिम सहयोगी देश मानता है, इसलिए उसने पाकिस्तान के शासकों को सही सलाह दी है जिस पर उन्हें अमल करना चाहिए। दोनों देशों के संबंध सुधरने से जहां इस क्षेत्र में शांति और स्थायित्व आएगा, वहीं व्यापार बहाल होने पर पाकिस्तान के लोगों को सस्ती वस्तुएं मिलने से वहां खुशहाली आएगी। इसी तरह जो वस्तुएं पाकिस्तान हमें भेजता था उनके भारत में आने से भारत को भी लाभ होगा।—विजय कुमार