Edited By ,Updated: 18 Sep, 2022 04:20 AM
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस अभय एस. ओका की पीठ ने 16 सितम्बर को जेल में बंद दोषियों की याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान कहा कि 10 वर्ष की जेल काट चुके उम्र कैद
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस अभय एस. ओका की पीठ ने 16 सितम्बर को जेल में बंद दोषियों की याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान कहा कि 10 वर्ष की जेल काट चुके उम्र कैद की सजा पाए कैदी को सजा को चुनौती देने की अपील दाखिल होने के बावजूद जमानत दी जानी चाहिए।
यही नहीं, जो कैदी 10 वर्ष जेल में बिता चुके हों लेकिन उनकी अपीलों पर निकट भविष्य में सुनवाई होने के आसार नहीं हैं, उन्हें भी जमानत पर रिहा कर दिया जाना चाहिए बशर्ते उनके विरुद्ध कोई अन्य केस तथा उन्हें जमानत देने से इंकार करने के अन्य कारण न हों। पीठ के अनुसार उन मामलों की पहचान करने की भी जरूरत है जिनमें दोषियों ने 14 वर्ष की सजा पूरी कर ली है। उन्हें निश्चित समय के भीतर समय से पहले रिहाई पर विचार करने के लिए सरकार को भेजा जा सकता है, भले ही अपील लंबित हो या नहीं।
जस्टिस कौल और जस्टिस ओका की पीठ उम्र कैद की सजा काट रहे दोषियों की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस दौरान पीठ को बताया गया कि याचिकाकत्र्ता दोषियों की अपीलें अलग-अलग हाईकोर्टों में लम्बे समय से लंबित हैं। जिन मामलों में कैदी का सुधार संभव है उसे तो जमानत पर रिहा किया जा सकता है परंतु यदि उसके विरुद्ध घिनौने अपराध का मामला है या वह आदतन अपराधी है तो उसे रिहा करने का कोई औचित्य नहीं है। अत: इस दिशा में कोई भी कदम सोच-समझ कर ही उठाया जाना चाहिए।—विजय कुमार