Edited By Pardeep,Updated: 11 Jul, 2018 03:18 AM
त्याग और सेवा की प्रतिमूर्ति मदर टैरेसा का जन्म 16 अगस्त, 1910 को मेसिडोनिया के स्कोपजे में हुआ था। इनके बचपन का नाम ‘एगनेस गोंजा बोयाजिजू’ था। अलबानियाई भाषा में ‘गोंजा’ का अर्थ है ‘फूल की कली’। एगनेस ने, जो बाद में ‘मदर टैरेसा’ के नाम से मशहूर...
त्याग और सेवा की प्रतिमूर्ति मदर टैरेसा का जन्म 16 अगस्त, 1910 को मेसिडोनिया के स्कोपजे में हुआ था। इनके बचपन का नाम ‘एगनेस गोंजा बोयाजिजू’ था। अलबानियाई भाषा में ‘गोंजा’ का अर्थ है ‘फूल की कली’।
एगनेस ने, जो बाद में ‘मदर टैरेसा’ के नाम से मशहूर हुईं, 1948 में भारतीय नागरिकता लेकर 1950 में कोलकाता में ‘मिशनरीज आफ चैरिटी’ की स्थापना की और 45 वर्षों तक गरीब, बीमार, अनाथ और मरणासन्न लोगों की सेवा और सहायता को समर्पित हो गईं जिसके चलते 1980 में उन्हें भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ प्रदान किया गया। 5 सितम्बर, 1997 को दिल के दौरे से मृत्यु के बाद 09 सितम्बर, 2016 को पोप फ्रांसिस ने उन्हें मरणोपरांत ‘संत’ की उपाधि प्रदान की।
बेशक मदर टैरेसा और उनके द्वारा स्थापित ‘मिशनरीज आफ चैरिटी’ ने उन्हें विश्व व्यापी सम्मान दिलाया परंतु उनके देहांत के बाद यह संस्था विभिन्न आरोपों के घेरे में आ गई। जहां पिछले कुछ समय के दौरान अनेक पादरियों पर यौन शोषण के आरोप लगे हैं, वहीं अब ‘मिशनरीज आफ चैरिटी’ द्वारा झारखंड में संचालित ‘निर्मल हृदय’ का एक काला कारनामा सामने आया है। इसके अनुसार ‘निर्मल हृदय’ द्वारा न सिर्फ नवजातों को बेचा जाता था बल्कि नाबालिग लड़कियों का शोषण करने के बाद उनका सौदा किया जाता था। यौन शोषण के बाद जब नाबालिग गर्भवती हो जाती थी तो उसे शरणालय में पनाह दी जाती, फिर उसके बच्चे को या तो बेच दिया जाता या विदेश भेजकर धर्म प्रचार के काम में लगा दिया जाता।
बाल कल्याण समिति, जिला कल्याण अधिकारी व पुलिस ने जांच में पाया कि कुछ दिनों पूर्व सिमडेगा की एक नाबालिगा को दिल्ली में बेचा गया और वहां उसका यौन शोषण हुआ। जब वह गर्भवती स्थिति में लौटी तो उसे ‘मिशनरीज आफ चैरिटी’ के ‘निर्मल हृदय’ में भर्ती करवाया गया। वहां पीड़िता ने एक बच्चे को जन्म दिया। उसके बाद वह बच्चे को वहीं छोड़ कर घर लौट गई। आशंका है कि संबंधित बच्चे का सौदा हो चुका है और अब संबंधित बच्चे का पता लगाया जा रहा है। इसी बीच 6 जुलाई को रांची में जेल रोड पर स्थित ‘मिशनरीज आफ चैरिटी’ द्वारा संचालित शरणालय ‘निर्मल हृदय’ में कार्यरत एक नन ‘सिस्टर कोशलिनीया’ को गिरफ्तार किया गया है।
उस पर उत्तर प्रदेश के एक नि:संतान दम्पति को एक नवजात शिशु बेचने में संलिप्त होने का आरोप है। इसने स्वीकार किया है कि उसे कम से कम 4 नवजात बच्चे बेचे जाने की जानकारी है। इस बारे निर्मल हृदय की कर्मचारी ‘अणिमा इंदवार’ को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है जबकि एक अन्य ‘सिस्टर मैरीडियन’ से पूछताछ की जा रही है। इस बीच ‘चाइल्ड वैल्फेयर कमेटी’ ने जेल रोड स्थित निर्मल हृदय से 50,000 रुपए में बेचा गया एक नवजात बच्चा बरामद किया है। यहीं पर बस नहीं, ‘मिशनरीज आफ चैरिटी’ का एक और कारनामा भी उजागर हुआ है जिसके अनुसार इसने वित्त वर्ष 2006-07 से 2016-17 के बीच 10 वर्ष के अंतराल में विदेशों से 9 अरब 17 करोड़ 62 लाख रुपए का फंड प्राप्त किया है।
फंड का यह आंकड़ा कोलकाता क्षेत्र का है जिसमें झारखंड, बंगाल व बिहार की ‘मिशनरीज आफ चैरिटी’ शामिल हैं। अब झारखंड सरकार इस फंड के दुरुपयोग की जांच कराने के लिए केंद्र सरकार से सिफारिश करने वाली है। अपनी सफाई में मिशनरीज आफ चैरिटी के कोलकाता स्थित मुख्यालय द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि, ‘‘हमारे शरणालय में जो कुछ भी हुआ हमें उससे भारी आघात लगा है। ऐसा नहीं होना चाहिए था। यह हमारी नैतिक प्रतिबद्धताओं के सर्वथा विपरीत है। हम सावधानी पूर्वक इस मामले की जांच कर रहे हैं व ऐसे पग उठा रहे हैं जिनसे इसकी पुनरावृत्ति न हो।’’ अब तक तो बाबाओं और मौलवियों पर ही यौन शोषण के आरोप लगा करते थे परंतु अब इनके साथ-साथ पादरियों और मिशनरियों पर भी यौन शोषण के आरोप लगने लगे हैं।
उक्त घटनाक्रम से मदर टैरेसा और उनकी संस्था ‘मिशनरीज आफ चैरिटी’ की प्रतिष्ठा को आघात लगा है, अत: इसकी भरपाई तथा मदर टैरेसा के नाम को बदनामी से बचाने के लिए मिशनरीज आफ चैरिटी द्वारा दिया गया स्पष्टीकरण ही काफी नहीं है, इसके संचालकों को यह बुराई रोकने के लिए ठोस कार्रवाई के प्रमाण देने होंगे तभी इन पर लगा दाग धुल सकेगा।—विजय कुमार