महाराष्ट्र में विभिन्न मुद्दों पर शिवसेना और राकांपा-कांग्रेस आमने-सामने

Edited By ,Updated: 20 Feb, 2020 12:59 AM

shiv sena and ncp congress face to face on various issues in maharashtra

28 नवम्बर, 2019 को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण करने के बाद 30 दिसम्बर को मंत्रिमंडलीय विस्तार के समय यद्यपि उद्धव ठाकरे ने गठबंधन सहयोगियों राकांपा और कांग्रेस को साथ लेकर चलने की बात कही थी लेकिन तीनों दलों ...

28 नवम्बर, 2019 को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण करने के बाद 30 दिसम्बर को मंत्रिमंडलीय विस्तार के समय यद्यपि उद्धव ठाकरे ने गठबंधन सहयोगियों राकांपा और कांग्रेस को साथ लेकर चलने की बात कही थी लेकिन तीनों दलों को मिलाकर ‘महा विकास अघाड़ी सरकार’ बनने के 2 महीनों में ही शिवसेना और सहयोगी दलों में असहमति पैदा होने लगी है।

हालांकि जनवरी में महाराष्ट्र की शिवसेना सरकार ने एलगार परिषद (भीमा कोरेगांव) मामले की जांच केंद्र सरकार द्वारा पुणे पुलिस से लेकर राष्ट्रीय जांच एजैंसी को सौंपने की आलोचना की थी परंतु बाद में अचानक अपना रुख बदलते हुए शिवसेना (उद्धव ठाकरे) सरकार ने कह दिया कि  केंद्र सरकार के इस फैसले पर उसे एतराज नहीं है। 

राकांपा सुप्रीमो शरद पवार इस मामले की स्वतंत्र जांच की मांग करते आ रहे थे और सरकार बनने के कुछ समय बाद ही उन्होंने उद्धव ठाकरे को पत्र लिख कर इसकी एस.आई.टी. से जांच करवाने को कहा था। महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ गठबंधन सरकार बनने के बाद इसकी संभावना भी दिख रही थी। शरद पवार ने 14 फरवरी को इसकी आलोचना करते हुए कहा कि ‘‘पूर्व भाजपा सरकार इस मामले में कुछ छिपाना चाहती है इसलिए मामले की जांच एन.आई.ए. को सौंपी गई है। केंद्र सरकार का इस तरह राज्य के हाथों से जांच लेना गलत है और शिवसेना (उद्धव ठाकरे) सरकार द्वारा उनके फैसले का समर्थन करना भी गलत है।’’ 

यही नहीं अब सी.ए.ए., एन.आर.सी. और एन.पी.आर. को लेकर भी राकांपा सुप्रीमो शरद पवार और कांग्रेस तथा उद्धव ठाकरे में तनातनी शुरू हो गई है। जहां राकांपा और कांग्रेस इसका खुल कर विरोध कर रहे हैं वहीं उद्धव ठाकरे ने एन.पी.आर. को सही बताया है। उद्धव ठाकरे ने एन.पी.आर. के अंतर्गत राज्य में जनगणना के लिए अधिसूचना जारी करने के अलावा सी.ए.ए., एन.आर.सी. और एन.पी.आर. में अंतर समझा कर गठबंधन में टकराव की संभावना को और बढ़ा दिया है। 

जहां पहले शिवसेना नीत गठबंधन सरकार के गठन को लेकर मतभेद के स्वर उभरे और अब उद्धव ठाकरे द्वारा गठबंधन सहयोगियों राकांपा और कांग्रेस नेतृत्व को विश्वास में लिए बगैर किए जा रहे निर्णयों से शिवसेना और राकांपा तथा कांग्रेस आमने-सामने आ गए हैं। अब देखना यह है कि उद्धव ठाकरे इस असंतोष को शांत करके अपने गठबंधन सहयोगियों को साथ रखने में कैसे सफल होते हैं ताकि सरकार पूरे 5 वर्ष तक चले और राज्य के विकास में योगदान दे सके और या फिर यह सरकार समय से पहले ही चली जाएगी।—विजय कुमार 

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