Edited By ,Updated: 23 Sep, 2020 02:22 AM
बिहार राज्य लोकसभा में 40 और राज्यसभा में 14 सदस्य भेजता है। इन चुनावों की महत्ता का अनुमान इस बात से भी लगाया जा सकता है कि भयंकर बाढ़ के बाद कोरोना महामारी से बढ़ती संख्या में मौतों के बीच चुनाव आयोग ये चुनाव कराने जा रहा
बिहार राज्य लोकसभा में 40 और राज्यसभा में 14 सदस्य भेजता है। इन चुनावों की महत्ता का अनुमान इस बात से भी लगाया जा सकता है कि भयंकर बाढ़ के बाद कोरोना महामारी से बढ़ती संख्या में मौतों के बीच चुनाव आयोग ये चुनाव कराने जा रहा है और इसी कारण किसी भी दल ने ऐसे समय में ये चुनाव करवाने का विरोध नहीं किया है। इस कारण न केवल रैलियों और मतदान केंद्रों में मतदाता कोरोना की चपेट में आ सकते हैं बल्कि हमारे अर्ध सैनिक बलों के सदस्य, पुलिस कर्मी और चुनाव कर्मी सभी संक्रमण के घेरे में आ सकते हैं। इन हालात में भी बिहार में राजनीतिक गतिविधियों का दौर चरम सीमा पर है।
इस समय जहां हाशिए पर आया लालू यादव का ‘राजद’ और उनका ‘महागठबंधन’ आंतरिक कलह का शिकार है वहीं चुनावों से ठीक पहले अनेक सदस्यों द्वारा पार्टी छोड़ जाने से भी इसे भारी झटका लगा है। कुछ ही दिन पूर्व पार्टी के उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह के पार्टी से त्यागपत्र (जिनकी अगले ही दिन मृत्यु हो गई) के बाद लालू के 30 वर्षों के साथी सतीश कुमार गुप्ता ने भी पार्टी के सभी पदों तथा प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया है, हालांकि झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बिहार में राजद के साथ मिलकर चुनाव लडऩे की घोषणा करके राजद को कुछ सहारा देने की कोशिश अवश्य की है।
दूसरी ओर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से सीटों के बंटवारे पर चर्चा के बाद कहा है कि भाजपा, जद (यू) और चिराग पासवान की ‘लोजपा’ पर आधारित ‘राजग’ गठबंधन एकजुट होकर बिहार विधानसभा का चुनाव लड़ेगा। लगातार नीतीश सरकार की आलोचना करते आ रहे ‘लोजपा’ सुप्रीमो चिराग पासवान ने 12 सितम्बर को अपने सुर नरम करते हुए कहा था कि भाजपा जो भी फैसला करेगी वह उसे मानेंगे परन्तु दो ही दिन बाद 14 सितम्बर को प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में उन्होंने कहा कि बिहार सरकार की कार्यप्रणाली से लोग खुश नहीं हैं जिसका असर चुनाव नतीजों पर पड़ सकता है। चिराग ने उन्हें बिहार में नौकरशाही की कार्यप्रणाली के बारे में भी बताया।
यही नहीं 16 सितम्बर को चिराग ने भाजपा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा से ‘अनुरोध’ किया कि इस बार लोग नीतीश सरकार के विरुद्ध हैं इसलिए भाजपा को इन चुनावों में जद (यू) से अधिक सीटों पर चुनाव लडऩा चाहिए। इस बीच केन्द्र सरकार ने बिहार राज्य पर चुनावी सौगातों की बौछार कर दी है तथा राज्य में शिलान्यास और उद्घाटन जोरों पर हैं।
प्रधानमंत्री द्वारा ‘नमामि गंगे’ और ‘अमरुत योजना’ से सम्बन्धित 543.41 करोड़ रुपए की 7 परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास तथा ऐतिहासिक ‘कोसी महासेतु’ सहित यात्री सुविधा से जुड़ी 12 रेल परियोजनाएं बिहार को समॢपत करने के अलावा 14,258 करोड़ रुपए की लागत से तैयार होने वाली 9 राजमार्ग परियोजनाओं का शिलान्यास किया जा चुका है। दूसरी ओर विरोधी दल प्रधानमंत्री द्वारा अतीत में बिहार के लिए घोषित राहत पैकेजों का हिसाब मांग रहे हैं। राजद नेता तेजस्वी यादव ने इन घोषणाओं को राज्य की जनता से धोखा बताते हुए कहा है कि बिहारियों को गुमराह करने के लिए बड़ी-बड़ी घोषणाएं की जा रही हैं। इस बीच बिहार में सत्तारूढ़ गठबंधन और विरोधी दलों के महागठबंधन की ओर से नए-नए नारे गढऩे का सिलसिला भी शुरू हो चुका है।
इन दिनों राजधानी पटना में ‘न्याय के साथ तरक्की, नीतीश की बात पक्की’ नारे तथा एक साथ नरेन्द्र मोदी और नीतीश कुमार के चित्रों वाले पोस्टर दिखाई दे रहे हैं परन्तु इन पोस्टरों में चिराग की ‘लोजपा’ कहीं नहीं है। माना यह भी जा रहा था कि अभिनेता सुशांत राजपूत की मौत का मुद्दा इसलिए भी ज्वलंत रखा गया क्योंकि वह बिहार से हैं। ऐसे में बालीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत के बयानों ने भी बिहार के चुनाव पर अपनी छाप डाली है। उनकी मां ने हाल ही में भाजपा का दामन थाम लिया है तथा भाजपा उन्हें बिहार के चुनाव प्रचार अभियान में भी उतार सकती है।
कुल मिलाकर बिहार चुनावों से पूर्व जहां दोनों गठबंधनों में रस्साकशी चल रही है वहीं हमेशा की तरह इस चुनाव में भी केन्द्र और राज्य सरकार की ओर से सौगातों की बौछार की जा रही है। चुनावों में इस तरह की उठापटक तो चलती ही रहती है परन्तु यह तो चुनाव परिणामों के बाद ही पता चलेगा कि इन सब प्रयासों का क्या परिणाम निकलता है।-विजय कुमार