गुजरात में चुनावों से पहले घोषणाओं की बौछार

Edited By Punjab Kesari,Updated: 18 Oct, 2017 02:00 AM

shows of announcements before elections in gujarat

गुजरात और हिमाचल विधानसभाओं का कार्यकाल समाप्त होने में मात्र 15 दिनों का ही अंतर है। गुजरात विधानसभा का कार्यकाल 22 जनवरी, 2018 और हिमाचल विधानसभा का कार्यकाल 7 जनवरी, 2018 को समाप्त हो रहा है परंतु चुनाव आयोग ने हिमाचल में तो 9 नवम्बर को चुनाव...

गुजरात और हिमाचल विधानसभाओं का कार्यकाल समाप्त होने में मात्र 15 दिनों का ही अंतर है। गुजरात विधानसभा का कार्यकाल 22 जनवरी, 2018 और हिमाचल विधानसभा का कार्यकाल 7 जनवरी, 2018 को समाप्त हो रहा है परंतु चुनाव आयोग ने हिमाचल में तो 9 नवम्बर को चुनाव करवाने की घोषणा कर दी जबकि गुजरात के लिए चुनाव कार्यक्रम की घोषणा अभी तक नहीं की गई। 

इस बीच नरेंद्र मोदी, अमित शाह और योगी आदित्यनाथ आदि द्वारा गुजरात के दौरों का सिलसिला जारी है। चुनाव आयोग द्वारा मतदान की तिथि घोषित न करने का फायदा उठाते और गुजरात में जी.एस.टी. को लेकर कपड़ा तथा अन्य कारोबारियों में बेचैनी को देखते हुए सत्तारूढ़ भाजपा ने मतदाताओं को लुभाने के लिए प्रलोभनों का पिटारा खोल दिया है।

इन सुविधाओं में सबसे महत्वपूर्ण ‘पाटीदार आरक्षण’ आंदोलन से जुड़े 139 और मुकद्दमे वापस लेना है। इनमें ‘पाटीदार आंदोलन’ के नेता हार्दिक पटेल पर राजद्रोह का मुकद्दमा भी शामिल है जिसके अधीन उसे गिरफ्तार किया गया था। 12 अक्तूबर को गांधी नगर में उप-मुख्यमंत्री नितिन पटेल ने राज्य मंत्री प्रदीप जडेजा के साथ आयोजित संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा कि इससे पूर्व गत मास पाटीदार आंदोलन संबंधी 109 केस वापस लिए जा चुके हैं। उन्होंने गंभीर प्रवृत्ति वाले तथा सरकार के अधिकार क्षेत्र से बाहर के मुकद्दमों को छोड़ कर सभी मुकद्दमों को वापस लेने का संकेत दिया। 

उल्लेखनीय है कि लगभग 439 मुकद्दमे दर्ज किए गए थे और एक मुकद्दमा वापस लेने से औसतन 20 से 25 लोग आरोप मुक्त हो रहे हैं। 42 बड़े मुकद्दमों को छोड़ कर अन्य सभी मुकद्दमे वापस लेने की प्रक्रिया जारी है। उन्होंने कहा कि रेलवे की सम्पत्ति को नुक्सान संबंधी मुकद्दमे वापस लेने के लिए भी राज्य सरकार ने रेल मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखा है और वहां से भी जल्द ही ऐसे केस वापस लेने की अनुमति मिल जाएगी। इसी दिन पाटीदार समुदाय को रिझाने के अलावा श्री पटेल ने राज्य के 8 लाख से अधिक कर्मचारियों और पैंशनरों का महंगाई भत्ता बढ़ाने समेत कई अन्य लोक-लुभावन घोषणाएं भी की हैं। 

इसमें राज्य के करीब 35,000 चतुर्थ वर्गीय कर्मचारियों को अधिकतम 3500 रुपए का दीवाली बोनस देने, दैनिक वेतनभोगी सफाई कर्मचारियों को स्थायी करने के लिए खर्च संबंधी सीमा वाले नियम को समाप्त करने, काम के दौरान मृत्यु होने पर एक परिजन/ आश्रित को नौकरी देना भी शामिल है। अहमदाबाद शहरी विकास प्राधिकरण के आऊटर रिंग रोड पर टोल टैक्स हटाने और बिजली कम्पनियों के 8,000 से अधिक कर्मचारियों के वेतन में वृद्धि की घोषणा भी की गई। राज्य सरकार तथा पंचायती संस्थाओं के 8,20,764 कर्मचारियों व पैंशनरों के महंगाई भत्ते में 1 जुलाई से 1 प्रतिशत की वृद्धि की जा रही है। 

इससे पूर्व 21 फरवरी को गुजरात विधानसभा में नितिन पटेल ने लोक-लुभावन बजट पेश करते हुए इसमें अन्य सुविधाओं के अलावा किसानों को 1 प्रतिशत ब्याज पर ऋण देने तथा सबसिडी में वृद्धि के अलावा ट्रैक्टर खरीदने के लिए 24,000 रुपए की सहायता देने की घोषणा भी की थी। अभी तीन सप्ताह पूर्व ही राज्य सरकार प्रति 20 किलो मूंगफली के लिए बाजार भाव 600-650 रुपए के मुकाबले 900 रुपए प्रति बीस किलो के भाव मूंगफली खरीदने की घोषणा भी कर चुकी है। जैसे कि इतना ही काफी नहीं था, गुजरात सरकार ने 16 अक्तूबर को राज्य के 25 लाख किसानों को प्रभावित करने के लिए तीन लाख रुपए तक के ऋण पर एक प्रतिशत ब्याज की शर्त भी समाप्त करके शून्य ब्याज पर ऋण देने की घोषणा कर दी है।

इसके अलावा दीवाली पर 60 वर्ष से अधिक आयु के सजा काट रहे कैदियों को पैरोल पर रिहा करने की घोषणा भी की है। चुनावों से पूर्व दी जाने वाली ऐसी सुविधाओं के गफ्फों को देखते हुए ही हम यह सुझाव देते रहते हैं कि लोकसभा और विधानसभा के चुनाव पांच साल की बजाय तीन या चार साल में सम्पन्न करवाए जाएं ताकि मतदाताओं के रुके काम जल्दी हो सकें और उन्हें वे सुविधाएं भी मिल सकें जिनके लिए वे अब तक भगवान से प्रार्थना ही करते आए थे क्योंकि केंद्र हो या राज्यों की सरकारें, सभी जनता से जुड़े काम तो चुनाव सिर पर आने के बाद ही शुरू करती हैं।—विजय कुमार 

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