25 मार्च के गुरुद्वारा ‘नरसंहार कांड के बाद’ अफगानिस्तान में ‘एक सिख का अपहरण’

Edited By ,Updated: 24 Jun, 2020 03:35 AM

sikh kidnapping  in afghanistan after 25 march gurdwara massacre

अफगानिस्तान में हिंदूशाही का पुराना इतिहास है। इतिहासकारों के अनुसार जयपाल देव काबुल का अंतिम बड़ा हिंदू सम्राट माना जाता है। वह 964 से 1001 ईस्वी तक काबुल का राजा रहा। उसके बाद अगले 200 वर्षों में धीरे-धीरे वहां से हिंदू शासन का लगभग अंत हो गया।...

अफगानिस्तान में हिंदूशाही का पुराना इतिहास है। इतिहासकारों के अनुसार जयपाल देव काबुल का अंतिम बड़ा हिंदू सम्राट माना जाता है। वह 964 से 1001 ईस्वी तक काबुल का राजा रहा। उसके बाद अगले 200 वर्षों में धीरे-धीरे वहां से हिंदू शासन का लगभग अंत हो गया। इसके बाद भी लम्बे समय तक अफगानिस्तान में विभिन्न संस्कृतियां फलती-फूलती रहीं परन्तु कुछ दशक पूर्व जब यह तालिबान, अल कायदा और अन्य कट्टरवादी इस्लामी संगठनों का गढ़ बन गया तो अफगानिस्तान में न सिर्फ दूसरे धर्मों की महान धरोहरों को नष्ट कर दिया गया बल्कि वहां रहने वाले धार्मिक अल्पसंख्यकों पर अत्याचार भी शुरू हो गए। 

1980 के दशक में धार्मिक कट्टरवादियों द्वारा अफगानिस्तान में जड़ें जमाने से पूर्व वहां लगभग 2 लाख 20 हजार हिंदू और सिख रहते थे परन्तु इनके भय से पिछले 3 दशक के दौरान वहां से लगभग 99 प्रतिशत हिंदू और सिख पलायन करके दूसरे देशों को चले गए हैं। इसी वर्ष 25 मार्च को आतंकवादी संगठन आई.एस. के बंदूकधारियों द्वारा काबुल स्थित गुरुद्वारा हर राय साहिब पर हमला करके कम से कम 25 सिखों की हत्या कर देने के बाद वहां बचे हुए 700 सिख दहशत में हैं। 

और अब 18 जून को अफगानिस्तान के चमकनी शहर के पख्तिया इलाके के गुरुद्वारा साहिब में सेवा कर रहे अफगान मूल के एक सहजधारी सिख निधान सिंह सचदेवा का पाकिस्तान की खुफिया एजैंसी आई.एस.आई. के इशारे पर तालिबानी आतंकवादियों के एक गिरोह ने अपहरण कर लिया।  निधान सिंह सचदेवा के रिश्ते के भाई चरण सिंह के अनुसार निधान सिंह सचदेवा को फोन करने पर दूसरी ओर से कोई व्यक्ति यह कहता सुनाई दिया, ‘‘तुम्हारा भाई भारत का जासूस है।’’ हालांकि अफगानिस्तान में फंसे सिख समुदाय के सदस्यों ने काबुल स्थित भारतीय दूतावास से इन्हें यहां से निकालने की गुहार की है परन्तु अभी तक उन्हें कोई उत्तर नहीं मिला। 

प्रेक्षकों के अनुसार अफगानिस्तान से अमरीकी सेनाओं के निकलने के निर्णय के बाद वहां आतंकवादी गिरोहों, आई.एस.आई. और तालिबान के हौसले बहुत बढ़ गए हैं और उन्होंने भारतीयों पर हमले करके उनकी नस्लकुशी का सिलसिला शुरू कर रखा है। हालांकि भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने अफगानिस्तान में अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों के उत्पीडऩ पर कड़़ी चिंता व्यक्त की है परन्तु इतना ही काफी नहीं है। भारत सरकार को वहां रहने वाले अपने अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों की सुरक्षा यकीनी बनाने और उनकी वहां से सकुशल वापसी में तेजी लाने की जरूरत है।—विजय कुमार

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