Edited By ,Updated: 05 Jul, 2019 01:12 AM
विश्व में आज विमान यात्राओं का प्रचलन बढ़ रहा है तथा समय की कमी के कारण बड़ी संख्या में लोग रेल एवं बस सेवा पर इसे अधिमान देने लगे हैं। इसीलिए भारत में भी हवाई अड्डïों पर बस अड्डïों या रेलवे स्टेशनों जैसी भीड़ दिखाई देने लगी है परंतु कुछ समय से हवाई...
विश्व में आज विमान यात्राओं का प्रचलन बढ़ रहा है तथा समय की कमी के कारण बड़ी संख्या में लोग रेल एवं बस सेवा पर इसे अधिमान देने लगे हैं। इसीलिए भारत में भी हवाई अड्डों पर बस अड्डों या रेलवे स्टेशनों जैसी भीड़ दिखाई देने लगी है परंतु कुछ समय से हवाई यात्रा खतरनाक होती जा रही है जो इसी से स्पष्ट है कि पिछले एक सप्ताह में ही रन-वे पर फिसलने या अन्य कारणों से भारत में ही कम से कम 4 विमान दुर्घटनाग्रस्त होते-होते बचे हैं।
30 जून को भोपाल से सूरत जा रहा स्पाइसजैट का विमान उतरते समय रन-वे से फिसल कर आगे निकल गया। 30 जून को ही दुबई से मैंगलोर आ रहा एयर इंडिया एक्सप्रैस बोइंग-737 विमान टैक्सी-वे में फिसलने के बाद थोड़ा और आगे बढ़ गया और जब पायलट ने ब्रेक लगाए तो वह कीचड़ में फंस गया। इसके बाद विमान में सवार सभी यात्रियों और चालक दल के सदस्यों को सीढ़ी द्वारा विमान से उतारा गया।
01 जुलाई को ही जयपुर से मुम्बई जाने वाले स्पाइसजैट का विमान रनवे से आगे निकल गया। 02 जुलाई को स्पाइसजैट का पुणे से कोलकाता जा रहा विमान उतरते समय गीली हवाई पट्टी पर फिसल कर आगे निकल गया जिसके परिणामस्वरूप रन-वे पर लगी चार लाइटें भी टूट गईं। खराब मौसम में लैंडिंग के बाद विमानों के रन-वे पर फिसलने की कई घटनाएं सामने आ रही हैं जिसे देखते हुए डी.जी.सी.ए. ने विभिन्न विमान सेवाओं को मानसून के दौरान परिचालन की योजना बनाते समय उड़ान भरने और उतरने के दौरान सुरक्षा संबंधी नियमों का सख्ती से पालन करने के निर्देश दिए हैं।
यह तो गनीमत ही है कि पायलटों ने सावधानी से विमानों को काबू कर लिया और उक्त विमानों के साथ कोई दुर्घटना नहीं हुई परंतु इतना तो स्पष्ट है कि विमान सेवाएं बढऩे के साथ-साथ विमानों और विमान पट्टियों के रख-रखाव को बेहतर बनाने की आवश्यकता भी उतनी ही अधिक बढ़ गई है ताकि विमान परिचालन के दौरान होने वाली किसी भी संभावित दुर्घटना से बचा जा सके।—विजय कुमार