Edited By shukdev,Updated: 25 Aug, 2018 11:06 PM
केरल में बाढ़ की विभीषका जारी है और प्रांत वासी यहां का सबसे बड़ा त्यौहार ओणम भी नहीं मना सके। राहत शिविरों में रहने वाले 13 लाख लोगों को अपना भविष्य अंधकारमय हो गया लगता है। जल स्तर इतनी तेजी से उठा कि उनके लिए अपने मवेशियों को तो क्या वहां से खुद...
केरल में बाढ़ की विभीषका जारी है और प्रांत वासी यहां का सबसे बड़ा त्यौहार ओणम भी नहीं मना सके। राहत शिविरों में रहने वाले 13 लाख लोगों को अपना भविष्य अंधकारमय हो गया लगता है। जल स्तर इतनी तेजी से उठा कि उनके लिए अपने मवेशियों को तो क्या वहां से खुद को निकालना भी कठिन हो गया था।
बड़ी संख्या में मकान अभी भी पानी में डूबे हुए हैं। जिन मकानों से पानी निकल भी गया है वहां भी सिवाय दलदल और टूटे हुए बर्तनों के कुछ नहीं बचा। राहत कैम्पों में रहने वाले लोगों के पास पहनने के लिए कपड़े भी नहीं। लोगों के घरों और खेत-खलिहानों के कुओं और शौचालयों में गंदा पानी भरा हुआ है और वे इस्तेमाल के काबिल नहीं रहे। एक ओर लोग अपने परिजनों की मृत्यु का शोक मना रहे हैं और दूसरी ओर बड़ी संख्या में अपने पालतू मवेशियों आदि की मृत्यु से दुखी हैं।
घरों और अन्य स्थानों पर बड़ी संख्या में सांप निकल रहे हैं। इनमें कोबरा और रसेल वाइपर जैसे सांप भी शामिल हैं जो जीभें लपलपाते घरों में यहां-वहां लिपटे नजर आते हैं। इससे लोगों के लिए अपने घरों की सफाई करना भी अत्यंत कठिन हो गया है।
बड़ी संख्या में सांपों द्वारा लोगों को डसने की घटनाएं हो रही हैं। अस्पतालों में ऐसे रोगियों की भीड़ लगी हुई है। सांपों को पकडऩे के लिए लोग सपेरों की सेवाएं भी ले रहे हैं और लोगों में भारी दहशत व्याप्त है। कुल मिलाकर लोग नारकीय जीवन बिताने को विवश हैं और आने वाली सहायता अपर्याप्त है जिसकी पूर्ति के लिए जनसहयोग की अत्यंत आवश्यकता है। —विजय कुमार