हरियाणा चुनावों की चंद दिलचस्पियां

Edited By ,Updated: 18 Oct, 2019 12:20 AM

some interesting facts about haryana elections

हालांकि हरियाणा में अन्य दलों के नेताओं के अलावा भाजपा के नरेंद्र मोदी, अमित शाह और राजनाथ सिंह आदि की ऱैलियां हो रही हैं परंतु महाराष्टï्र की तरह यहां भाजपा के राष्ट्रीय नेताओं का जमावड़ा कम है क्योंकि पार्टी को हरियाणा की तुलना में महाराष्टï्र में...

हालांकि हरियाणा में अन्य दलों के नेताओं के अलावा भाजपा के नरेंद्र मोदी, अमित शाह और राजनाथ सिंह आदि की ऱैलियां हो रही हैं परंतु महाराष्ट्र की तरह यहां भाजपा के राष्ट्रीय नेताओं का जमावड़ा कम है क्योंकि पार्टी को हरियाणा की तुलना में महाराष्ट्र में अपने प्रतिद्वंद्वी दलों के साथ-साथ गठबंधन सहयोगी शिवसेना से भी अंदरखाने खतरा लग रहा है। यहां पेश हैं हरियाणा के चुनावों की कुछ दिलचस्पियां, जहां अनेक स्थानों पर दोनों ही मुख्य दलों भाजपा और कांग्रेस के अधिकृत उम्मीदवारों के विरुद्ध बागियों के खड़े हो जाने से मुकाबला काफी रोचक हो गया है : 

चुनावों की घोषणा के बाद 21 सितम्बर से 15 अक्तूबर के बीच राज्य में मतदाताओं को बांटने के लिए रखी 12.9 करोड़ रुपए की नकद राशि और नशीले पदार्थ जब्त किए जा चुके हैं। हरियाणा की जनसंख्या देश की जनसंख्या का मात्र 2 प्रतिशत होने के बावजूद सशस्त्र सेनाओं में इसका योगदान 10 प्रतिशत है परंतु राजनीति में सेना से जुड़े लोगों का योगदान बहुत कम है और 90 विधानसभा सीटों पर सभी दलों ने सिर्फ 6 भूतपूर्व सैनिकों को उम्मीदवार बनाया है। भाजपा ने उकलाना सीट से खेदड़ गांव की निवासी आशा को उम्मीदवार बनाया है। वह एक पारंपरिक हरियाणवी बहू की तरह घूंघट में ससुराल पहुंचीं परंतु वहां पहुंचते ही 2000 लोगों ने यह कह कर उनका घूंघट हटवा दिया कि यह उनके व मतदाताओं के बीच दीवार का काम करेगा। चुनाव लडऩे के अलावा आशा पी.एचडी. भी कर रही हैं। 

पूर्व मुख्यमंत्री भजन लाल का गढ़ मानी जाती आदमपुर सीट पर उनके परिवार का कोई भी सदस्य आज तक चुनाव नहीं हारा। यहां से 3 बार चुने जा चुके उनके बेटे कुलदीप बिश्रोई फिर मैदान में हैं। उनके विरुद्ध भाजपा ने ग्लैमर का जोरदार तड़का लगाते हुए टिकटॉक स्टार सोनाली फोगाट को उतार कर इस सीट को हरियाणा की सबसे हॉट सीट बना दिया है। सोनाली का भी यहां फैन बेस है। होडल (सुरक्षित) विधानसभा क्षेत्र में कुछ समय पूर्व भाजपा प्रत्याशी जगदीश नायर का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था जिसमें वह यह कहते सुनाई दे रहे थे कि ‘‘सौ-सौ रुपए के सफेद जूते पहन कर जाट मंच पर चढ़ जाते हैं और राजनीति करने लगते हैं।’’ 

सोशल मीडिया पर वायरल हुई फोटो में बताया गया कि वह क्षेत्र के जाट बहुल गांव मितरौल में गए थे जहां उन्होंने अपने भाषण के दौरान एक जूता उठा लिया और अपने बयान के लिए माफी मांगते हुए अपने सिर पर मारना शुरू कर दिया। हरियाणा में कांग्रेस हाईकमान ने अशोक तंवर को हटा कर बड़ी आशाओं के साथ 4 सितम्बर को पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी शैलजा को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाया था परन्तु उनके अध्यक्ष बनने के 34 दिनों के भीतर 40 बड़े नेता पार्टी छोड़ कर चले गए। हालांकि पूर्व हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष अशोक तंवर ने पार्टी से इस्तीफा देकर जजपा को समर्थन देने की घोषणा कर दी है परंतु उनकी पत्नी अवंतिका माकन तंवर ने कहा है कि उनका जन्म कांग्रेस में ही हुआ था और वह मरते दम तक कांग्रेस में ही रहेंगी। 

आतंकवादियों द्वारा अवंतिका के माता-पिता की हत्या के बाद से ही उन्हें सोनिया गांधी के काफी नजदीक माना जाता है। अवंतिका का कहना है कि ‘‘पत्नी के रूप में मैं अशोक तंवर के साथ हूं परंतु राजनीतिक स्तर पर मेरा उनके निर्णय से कोई लेना-देना नहीं है।’’ कांग्रेस के प्रवक्ता शक्ति सिंह गोहिल ने आरोप लगाया है कि राम राज्य लाने की घोषणाओं के विपरीत अपने घटिया शासन से भाजपा हरियाणा को ‘रावण की लंका’ में बदलती जा रही है। मेवात के पुन्हाना विधानसभा क्षेत्र में मेव मुसलमानों का बहुमत है और वहां भाजपा कभी भी जीत नहीं पाई। इस बार पुन्हाना सीट पर चुनाव लड़ रहे 4 मुसलमान उम्मीदवारों के विरुद्ध भाजपा ने हिन्दू अनुसूचित जाति की एक बाहरी उम्मीदवार नौक्षम चौधरी को उतारा है। विदेश में पढ़ी तथा आई.ए.एस. मां और जज पिता की 28 वर्षीय बेटी तथा 10 भाषाएं बोलने में सक्षम नौक्षम ने ट्रिपल एम.ए. किया है। वह लंदन में एक करोड़ रुपए की नौकरी का ऑफर ठुकरा कर चुनाव लडऩे आई हैं। 

हालांकि राज्य में सदा महिलाओं के अधिकारों की बात होती रहती है परंतु जहां तक इन चुनावों में महिलाओं को प्रतिनिधित्व देने का संबंध है, भाजपा ने मात्र 12 तथा कांग्रेस ने 10 महिलाएं चुनाव में उतारी हैं। इनके विपरीत इनैलो ने सर्वाधिक 15 महिलाओं को उम्मीदवार बनाया है। फिलहाल राज्य में कुछ इस प्रकार का चुनावी माहौल है और 18-18, 20-20 घंटे चुनाव प्रचार कर रहे उम्मीदवारों तथा उनके संगी-साथियों की नींदें उड़ी हुई हैं।—विजय कुमार

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