श्री ‘अटल’ जी की कुछ और ‘प्रेरक यादें’

Edited By Pardeep,Updated: 21 Aug, 2018 03:47 AM

some other inspirational memories of shri atal ji

भारत के सर्वप्रिय प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी का अंतिम संस्कार और उनकी अस्थियां गंगा की गोद में समा चुकी हैं, परंतु आज भी उनकी यादें जगह-जगह चर्चा का विषय बनी हुई हैं। उनकी कुछ और यादें हम यहां अपने पाठकों के लिए प्रस्तुत कर रहे हैं: 1965...

भारत के सर्वप्रिय प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी का अंतिम संस्कार और उनकी अस्थियां गंगा की गोद में समा चुकी हैं, परंतु आज भी उनकी यादें जगह-जगह चर्चा का विषय बनी हुई हैं। उनकी कुछ और यादें हम यहां अपने पाठकों के लिए प्रस्तुत कर रहे हैं: 

1965 में जब चीन ने भारतीय सैनिकों पर तिब्बत के चरवाहों की 800 भेड़ें और 59 याक चुराने का आरोप लगाया और गंभीर परिणामों की धमकी देते हुए अपने जानवर भारत से वापस मांगे तो वाजपेयी जी, जो उस समय सांसद थे, दिल्ली में चीनी दूतावास में भेड़ों का झुंड लेकर चले गए थे। वाजपेयी जी प्रधानमंत्री बनने से पहले ग्वालियर में साइकिल पर सवार होकर अपने बचपन के मित्रों को मिलने आया करते थे। जब भाजपा नेता राजमाता विजय राजे सिंधिया को इसका पता चला तो उन्होंने वाजपेयी जी को संदेश भिजवाया कि आप ग्वालियर आने पर मुझे सूचित कर दिया करें, मैं ड्राइवर के साथ कार आपके आने-जाने के लिए भिजवा दिया करूंगी। 

वाजपेयी जी किसी के दिल को भी ठेस नहीं पहुंचाना चाहते थे। कांग्रेस शासन में विदेश मंत्री एवं पूर्व राजनयिक रहे के. नटवर सिंह के अनुसार, ‘‘2001 में एक सर्वदलीय बैठक में श्री वाजपेयी ने जब ईराक संबंधी भारत की नीति की विशेषताएं बताईं तो मैंने उनकी बातों का खंडन कर दिया।’’ ‘‘इस पर श्री वाजपेयी ने कहा, ‘नटवर सिंह जी को आदत है हमारी नीति की आलोचना करने की।’ मैं उनकी बात का जवाब दे सकता था लेकिन चुप रहा। इसके तीन दिन बाद जब मैं 7, रेसकोर्स रोड में एक बैठक में भाग लेकर लौट रहा था तो एक व्यक्ति मेरे पीछे भागता हुआ आया और बोला, ‘आपको प्रधानमंत्री जी ने बुलाया है।’ ‘‘जब मैं उनके पास गया तो उन्होंने मुझसे जो कुछ कहा उससे मैं सदा के लिए उनका प्रशंसक बन गया। उन्होंने कहा, ‘उस दिन मैंने आपको इतना कुछ कह दिया जो मुझे नहीं कहना चाहिए था, कृपया इसे दिल से मत लगाइएगा’।’’ 

6 प्रधानमंत्री नागालैंड के दौरे पर गए हैं पंरतु किसी ने भी वहां इतनी लोकप्रियता प्राप्त नहीं की जितनी श्री वाजपेयी ने। 2003 में उनके कोहिमा दौरे में जब खराब मौसम के कारण हैलीकाप्टर से कोहिमा से दीमापुर जाना संभव नहीं रहा तो श्री वाजपेयी तुरंत बोले, ‘‘सड़क के रास्ते चलते हैं।’’ ऊबड़-खाबड़ सड़क पर कोहिमा से दीमापुर जाते हुए हिचकोले लगने पर उन्होंने तुरंत कोहिमा-दीमापुर सड़क को फोर लेन करने का आदेश जारी कर दिया जिससे नागा लोगों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। 

श्री वाजपेयी के कोलकाता में संघ के दिनों के साथी घनश्याम बेरीवाल के सुपुत्र का कहना है कि वह अपने पिता के साथ अक्सर उनसे मिलने दिल्ली जाया करते थे और एक प्रधानमंत्री होते हुए भी वह अपने मेहमानों की खातिरदारी का पूरा ध्यान रखा करते थे। एक बार जब हम वहां गए तो उन्होंने हमें एक मिनट बैठने को कहा और स्वयं अंदर चले गए। जब वह 15 मिनट तक नहीं लौटे तो मैं यह देखने अंदर चला गया कि माजरा क्या है और जो कुछ मैंने देखा तो हैरान रह गया। भारत का प्रधानमंत्री स्वयं हमारे लिए चाय बना रहा था। जब मैंने उनसे पूछा कि आप ऐसा क्यों कर रहे हैं तो उन्होंने उत्तर दिया, ‘‘जब मैं तुम्हारे घर जाता हूं तो बहुएं मेरे लिए चाय बनाती हैं, मैं भी वही कर रहा हूं।’’ 

दिल्ली मैट्रो परियोजना के शिलान्यास और उद्घाटन में श्री वाजपेयी की उल्लेखनीय भूमिका थी। शाहदरा मैट्रो स्टेशन से तीस हजारी तक पहली दिल्ली मैट्रो ट्रेन को झंडी देकर विदा करने का श्रेय भी उन्हीं को जाता है। फिल्म अभिनेता शाहरुख खान के अनुसार बचपन में उनके पिता उन्हें दिल्ली में श्री वाजपेयी का भाषण सुनाने अवश्य लेकर जाते थे तथा बड़ा होने पर शाहरुख को कई बार उनसे मिलने और कविताओं, फिल्मों, राजनीति तथा घुटनों की तकलीफ के बारे में चर्चा करने का मौका मिला। शाहरुख के अनुसार घर में उनको सब ‘बापजी’ कह कर बुलाते थे। कुछ ऐसी हैं श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की उपरोक्त यादें। ऐसी न जानें कितनी यादें वाजपेयी जी अपने चाहने वालों के दिलों में छोड़ गए हैं जो सदा श्री वाजपेयी के प्रशंसकों को उनकी याद दिलाती रहेंगी।—विजय कुमार 

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