आज के संदर्भ में कुछ अच्छी यादें ‘देश में खुशहाली’ लाने के लिए ‘कुछ लाभदायक सुझाव’

Edited By ,Updated: 05 Nov, 2020 02:23 AM

some useful tips to bring prosperity  in the country

इस समय जबकि भारत सहित समूचा विश्व ‘कोरोना महामारी’ के कारण भारी आॢथक मंदी का सामना कर रहा है, हमारे विचार में हमारी सरकार यदि बचत करने के कुछ कदम उठाए तो खर्चों में काफी कमी लाई जा सकती है। उदाहरण स्वरूप 3 अक्तूबर, 2020 को प्रधानमंत्री मोदी ने

इस समय जबकि भारत सहित समूचा विश्व ‘कोरोना महामारी’ के कारण भारी आर्थिक मंदी का सामना कर रहा है, हमारे विचार में हमारी सरकार यदि बचत करने के कुछ कदम उठाए तो खर्चों में काफी कमी लाई जा सकती है। उदाहरण स्वरूप 3 अक्तूबर, 2020 को प्रधानमंत्री मोदी ने रोहतांग में ‘अटल टनल’ को चालू किया जिससे मनाली और लेह की दूरी में 46 किलोमीटर तथा यात्रा के समय में 4 से 5 घंटे की कमी आई। 

इसी संबंध में हमने अपने 16 अक्तूबर के संपादकीय ‘भारत के सड़क मंत्री नितिन गडकरी का सराहनीय कदम’ में लिखा था कि : ‘‘मनाली स्थित ‘अटल टनल’ के साथ एक टनल और बनाई जानी है यदि ‘अटल टनल’ में उसी लैवल की रेलवे लाइन डाल दी जाए और रेलगाड़ी के आने-जाने के समय कुछ-कुछ अंतराल के लिए टनल को बंद करके रेलगाडिय़ां गुजार दी जाएं तो इससे न सिर्फ हमारा धन बचेगा बल्कि दूसरी टनल बनाने की आवश्यकता भी नहीं पड़ेगी और काम भी जल्दी हो जाएगा।’’ अब ‘अटल टनल’ के निर्माण से लाहौल से कुल्लू के लिए ढुलाई भाड़ा 30 प्रतिशत कम हो जाने से भाड़े के ही 60 करोड़ रुपए बचने लगे हैं। 

इसी प्रकार यदि देश में कानून-व्यवस्था सुधार कर बलात्कार, हत्या, डकैती, लूटमार, भ्रष्टाचार आदि अपराधों पर रोक लगाई जा सके तो ऐसे मामले निपटाने हेतु कायम किए गए पुलिस, न्यायपालिका व उनसे संबंधित अन्य विभागों पर काम का बोझ घटेगा तथा कर्मचारियों के वेतनों पर खर्च, केसों के निपटारे में लगने वाले समय व वकीलों आदि के खर्च की भी कुछ बचत होगी। यही नहीं भ्रष्टाचार तथा अन्य अपराधों पर लगाम लगाने से ‘जांच आयोग’ कम हो जाने से उन पर खर्च होने वाले कुछ करोड़ रुपए बच सकते हैं। इस समय तो हालत यह है कि विभिन्न मामलों में वांछित लोग और उनके मित्र पूछताछ के लिए बुलाने पर पेश ही नहीं होते जिससे ‘आयोगों’ का समय और उन पर खर्च होने वाला धन भी नष्ट होता है। ऐसा हाल ही में एक प्रदेश के नेता के बेटे के मामले में हुआ जब बुलाने पर भी वह पूछताछ के लिए नहीं पहुंचा। 

ऐसे एक-दो नहीं बल्कि अनेकों उदाहरण हैं जिनमें विभिन्न गंभीर आरोपों में संलिप्त लोग अदालतों और आयोगों के आदेशों के बावजूद पेश न होकर कानून की अवहेलना और सरकार का धन नष्ट करते हैं। यही नहीं, प्रति वर्ष सीमा पर पाक सेना तथा पाकिस्तान के पाले आतंकवादियों के हमलों में बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों के सदस्य मारे जा रहे हैं जिनके परिजनों को संबंधित विभागों के अलावा केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा भारी क्षतिपूर्ति देनी पड़ती है। जगह-जगह सुरक्षाबल तैनात होने के बावजूद आतंकवादी हमला कर जाते हैं। अत: अधिक सुरक्षाबलों की भर्ती तथा लोगों के सजग रहने की आवश्यकता है ताकि इन हमलों से बचा जा सके। ‘साऊथ एशिया टैररिज्म पोर्टल’ के अनुसार इस वर्ष 5 जून तक सुरक्षा बलों के 29 जवान शहीद हुए, वर्ष 2019 में 78 तथा 2018 में 95 जवान, कुल मिला कर 202 जवान शहीद हो चुके हैं। एक अनुमान के अनुसार प्रति शहीद या जख्मी जवान के परिजनों को लगभग 80 लाख रुपए क्षतिपूर्ति दी जाती है, इस हिसाब से यह राशि लगभग 161.6 करोड़ रुपए बन जाती है। 

सुरक्षा प्रबंधों को और मजबूत करने के साथ-साथ जवानों को छुट्टियां देने में आनाकानी करने की बजाय यदि उन्हें मांगने पर तुरंत छुट्टी दी जाए तो वे अपने परिजनों से मिल कर ताजा दम तथा तनाव रहित होकर अपना दायित्व बेहतर निभा सकेंगे। आज देश में बेरोजगारी एक भारी समस्या है। लाखों लोग बेरोजगार घूम रहे हैं। पुलिस और सेना में जवानों की अत्यधिक कमी है। अत: नई भर्ती करके लोगों को काम पर रखना चाहिए, इससे चौकसी भी बढ़ेगी और रोजगार भी मिलेगा। यदि इन सुझावों पर अमल किया जाए तो फिजूल के खर्च बंद होने से देश का राजस्व बढ़ेगा, लोगों को रोजगार मिलेंगे और देश में खुशहाली आएगी। यही नहीं आज देश की राजनीतिक पार्टियों में फूट और महत्वपूर्ण मुद्दों पर सहमति न होने के कारण भी देश की प्रगति पर आंच आ रही है। कांग्रेस टुकड़े-टुकड़े होकर रह गई है। पार्टी हाईकमान के आदेशों का कोई सम्मान नहीं रह गया है। एक जमाना था जब पार्टी हाईकमान के निर्देश की कतई अवहेलना नहीं होती थी। 

1945 में जब महात्मा गांधी ने तत्कालीन पंजाब विधानसभा से चुनाव लडऩे के लिए संभावित उम्मीदवारों की सूची मांगी तो लाहौर कांग्रेस के अध्यक्ष होने के नाते पूज्य पिता लाला जगत नारायण जी ही यह सूची लेकर उनके पास गए थे और गांधी जी ने ही  ‘स्याहपोश जरनैल लाला केदार नाथ सहगल’ के नाम को स्वीकृति प्रदान की थी। उनके आदेश पर लाला केदारनाथ सहगल ने पंजाब विधानसभा का चुनाव लड़ा तथा कांग्रेस हाईकमान ने पिता जी को उनकी विजय यकीनी बनाने का आदेश दिया। कांग्रेस के दूसरे धड़े के प्रमुख नेता डा. गोपी चंद भार्गव उन्हें टिकट देने और जिताने के विरुद्ध थे लेकिन पिता जी ने स्पष्टï शब्दों में कह दिया कि, ‘‘मैं तो हाईकमान का आदेश ही मानूंगा और उसी के अनुसार आप सब लोगों को ‘लाला केदारनाथ’ को जिताने के लिए काम करना होगा।’’  लेकिन किसी ने भी उनकी सहायता नहीं की और अकेले पिता जी ने ही अपने वर्करों के साथ उनका चुनाव प्रचार किया और अंतत: पिता जी व वर्करों के सहयोग से श्री केदारनाथ 8000 वोटों से विजयी हुए। 

स्वतंत्र भारत में वह 1952 से 1957 तक पंजाब विधानसभा के सदस्य रहे। क्या आज ऐसा हो सकता है? यहां तो सभी ‘छोटी-बड़ी पार्टियां कमोबेश अंदर-बाहर से विभाजित हैं’। यदि राजनीतिक दलों में हाईकमान का आदेश मानने की भावना तथा राष्ट्र के लिए महत्वपूर्ण मुद्दों पर सहमति बनने और करोड़ों रुपयों की बचत होने लगे तो देश का माहौल ठीक होने से देश का तेजी से विकास होगा। देश ऊंचाई तक जाएगा-और ‘करोड़ों की बचत होगी’ जो जनता तथा देश की भलाई के काम में लगेगा सो अलग।—विजय कुमार

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!