पालमपुर में बीता कुछ अद्भुत अविस्मरणीय समय

Edited By ,Updated: 11 Jun, 2019 12:03 AM

some wonderful unforgettable time in palampur

8 जून को मुझे हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं वरिष्ठ भाजपा नेता श्री शांता कुमार के निमंत्रण पर उनके द्वारा आयोजित एक समारोह में भाग लेने के लिए पालमपुर जाने का अवसर मिला। हम बरास्ता चिंतपूर्णी पालमपुर के लिए रवाना हुए। रास्ते में मुबारकपुर...

8 जून को मुझे हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं वरिष्ठ भाजपा नेता श्री शांता कुमार के निमंत्रण पर उनके द्वारा आयोजित एक समारोह में भाग लेने के लिए पालमपुर जाने का अवसर मिला। हम बरास्ता चिंतपूर्णी पालमपुर के लिए रवाना हुए। रास्ते में मुबारकपुर तक पंजाब और हिमाचल के हिस्से की आधी सड़क खराब थी तथा रानीताल से कांगड़ा वाली सुरंग तक सड़क कुछ टूटी हुई थी। उसके आगे की सड़क समतल और बहुत ही बढिय़ा थी। हम चार घंटों में पालमपुर पहुंचे। बदल-बदल कर सरकारें आने से हर ओर विकास की स्पष्ट झलक देखने को मिलती है तथा केरल के बाद हिमाचल देश में शत-प्रतिशत साक्षरता दर वाला दूसरा राज्य बन गया है। सड़कों पर ट्रैफिक बढ़ गया है और बड़ी संख्या में स्कूटर तथा कारें दौड़ रही हैं।

हमें कहीं भी कच्चे मकान देखने को नहीं मिले। हर ओर अच्छी तरह मेनटेन किए हुए मकान देख कर लगता है जैसे कल ही रंगे हों। यहां बड़ी संख्या में निजी स्कूल, टीचर्स ट्रेनिंग, विश्वविद्यालय, ब्यूटीपार्लर, जिम, कारों, स्कूटरों के शो रूम और आधुनिक सुविधाओं से लैस होटल खुल गए हैं। पंजाब में सामाजिक सुरक्षा पैंशन योजना के अंतर्गत विधवाओं और वृद्धों के लिए 750 रुपए मासिक पैंशन तय है और वह भी लोगों को मिल नहीं रही जबकि हिमाचल में इसी योजना के अंतर्गत वृद्धों, विधवाओं आदि को 1500 रुपए मासिक पैंशन नियमित देने के अलावा सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत प्रतिमास सभी पात्र लोगों को सस्ता अनाज भी दिया जा रहा है।

हिमाचल के लोग अच्छे, ईमानदार और मेहनती हैं परंतु पंजाब की भांति ही यहां के युवा भी बड़ी संख्या में विदेशों को पलायन कर रहे हैं जिस कारण ज्यादातर बुजुर्ग अकेले ही रह रहे हैं और उनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं। इसके साथ ही यहां विवाहित जोड़ों में तलाक के मामले भी बढ़ते जा रहे हैं। यदि किसी ने स्वच्छ भारत की मिसाल देखनी हो तो वह यहां देख सकता है। कहीं भी कूड़े के ढेर लगे नहीं मिलते। अपनी इन्हीं खूबियों से हिमाचल प्रदेश अवकाश प्राप्त लोगों का पसंदीदा निवास स्थान बनता जा रहा है।

परंतु जिस प्रकार पंजाब, हरियाणा आदि में किसान पराली जला कर वायु प्रदूषण पैदा कर रहे हैं वैसे ही हिमाचल के लोग पेड़ों से गिरे हुए पत्ते जला रहे हैं व अनेक जगह जंगलों में आग लगी होने से भी प्रदूषण बढ़ रहा है।प्रदेश में सड़कों पर घूमते बेसहारा पशु दुर्घटनाओं का कारण बन रहे हैं तथा बंदरों के बढ़ते उत्पात के कारण सैंकड़ों किसानों ने खेती करना छोड़ दिया है। अत: बंदरों की नसबंदी प्रक्रिया में तेजी लाने की आवश्यकता है।

हम पालमपुर से 4-5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित 40 एकड़ भूमि में स्थापित परिसर ‘कायाकल्प’ में पहुंचे। इसके पीछे भव्य धौलाधार पर्वतमाला अत्यंत मनोरम दृश्य प्रस्तुत करती है। उस दिन वर्षा होने के साथ धौलाधार पर हिमपात होने के कारण मौसम ज्यादा गर्म नहीं रहा। ‘कायाकल्प’ में पहुंचने पर श्री शांता जी व अन्यों ने हमारा स्वागत किया तथा मैंने स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की। हमें दोपहर का भोजन करवाया जो आर्गेनिक सब्जियों एवं दाल, दही पर आधारित था।

शांता जी के विवेकानंद ट्रस्ट द्वारा संचालित ‘कायाकल्प’ परिसर में प्राकृतिक चिकित्सा, पंचकर्म, योग एवं फिजियोथैरेपी की सुविधा एक साथ प्रदान की जाती है। यहां योग प्रणालियों द्वारा उपचार किया जाता है और यहां मैंने रात को मालिश भी करवाई जो अपने आप में एक अद्भुत अनुभव था।

‘कायाकल्प’ परिसर से जुड़े अस्पताल ‘विवेकानंद मैडीकल इंस्टीच्यूट’ में 90 बिस्तरों की व्यवस्था है। यहां एलोपैथिक विधि से सभी बीमारियों का इलाज किया जाता है तथा हर समय भारी संख्या में मरीज आते हैं। यहां एक गऊशाला भी है जहां  गिर, थारपरकर और साहिवाल नस्ल की गऊएं पाली जाती हैं। इनके दूध में एक विशेष प्रकार का प्रोटीन होने और कोलैस्ट्राल की मात्रा बहुत कम होने के कारण यह दूध हृदय और स्वास्थ्य दोनों के लिए सर्वोत्तम है जो यहां सब आने वालों को पिलाया जाता है। पहली बार जब मैं पालमपुर गया था तो वहां ‘कायाकल्प’ तथा योग प्रशिक्षण केंद्र बन चुका था। दूसरी बार जब मैं गया तो वहां विवेकानंद अस्पताल बन रहा था और अब वहां शांता जी एक वृद्ध आश्रम का निर्माण कर रहे हैं जिसमें 100 वृद्ध रह सकेंगे तथा इनमें से 25 प्रतिशत वृद्धों को नि:शुल्क ठहराने की व्यवस्था की जाएगी।

यहां मैंने कुछ लोगों से बात की तो उन्होंने बताया कि वे प्रतिवर्ष यहां परिवार सहित आते हैं और यहां आकर उन्हें ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे वे किसी अलौकिक और शांति प्रदान करने वाले दिव्य स्थान पर आ गए हों और यहां उनकी छोटी-मोटी बीमारियों का इलाज भी हो जाता है। हालांकि प्रदेश में बड़ी संख्या में पर्यटक आने लगे हैं परंतु यदि यहां पर्यटकों के लिए शिमला से जाखू, सोलन नाला से हिलटॉप और अम्बूवाला से नैना देवी तक रोपवे की भांति रोपवे बना कर यहां के आकर्षणों में वृद्धि कर दी जाए तो यहां पर्यटकों की संख्या और बढ़ सकती है जिससे प्रदेश की आय में भी वृद्धि होगी और अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। —विजय कुमार 

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