Edited By ,Updated: 16 Feb, 2020 12:53 AM
कुछ वर्षों से हमारे देश में विभिन्न राजनीतिक दलों के बड़े-छोटे नेताओं द्वारा कटुतापूर्ण तथा ऊल-जलूल बयान देने का एक फैशन-सा चल निकला है जो चुनावों के मौसम में और भी तेजी पकड़ लेता है। हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक से अधिक बार अपनी पार्टी के...
कुछ वर्षों से हमारे देश में विभिन्न राजनीतिक दलों के बड़े-छोटे नेताओं द्वारा कटुतापूर्ण तथा ऊल-जलूल बयान देने का एक फैशन-सा चल निकला है जो चुनावों के मौसम में और भी तेजी पकड़ लेता है। हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक से अधिक बार अपनी पार्टी के बड़े-छोटे नेताओं को ऐसा करने से मना कर चुके हैं, फिर भी यह रवैया जारी है। अभी 12 फरवरी को ही केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह (भाजपा) ने सहारनपुर में एक समारोह में बोलते हुए देश में इस्लामी शिक्षा के प्रमुख केंद्र देवबंद को आतंकवाद की ‘गंगोत्री’ बता दिया और कहा : ‘‘देवबंद हाफिज सईद जैसे आतंकवादी पैदा करता है। देवबंद आतंकियों की गंगोत्री है। आतंकवाद की अनेक घटनाओं का देवबंद से संबंध रहा है। दुनिया के सभी सर्वाधिक वांछित आतंकवादी देवबंद से ही आए हैं।’’
उक्त बयान पर पैदा विवाद के बीच कांग्रेस नेता एवं पूर्व विधायक इमरान मसूद ने कहा है कि ‘‘गिरिराज सिंह घृणा में इस कदर अंधे हो गए हैं कि उन्होंने अपने बयान से गंगोत्री जैसे पवित्र शब्द का भी अपमान कर दिया है।’’ 12 फरवरी को ही दिल्ली में भाजपा के नवनिर्वाचित विधायक ओ.पी. शर्मा ने अरविंद केजरीवाल को एक बार फिर आतंकवादी करार देते हुए कह दिया कि ‘‘अरविंद केजरीवाल भ्रष्टï आदमी हैं। वह आतंकवादियों से हमदर्दी रखते हैं इसलिए उनके लिए आतंकवादी ही सबसे सही शब्द होगा।’’
पहले भी भाजपा सांसद प्रवेश वर्मा सहित पार्टी के कुछ नेताओं ने केजरीवाल पर आतंकवादी तथा नक्सली होने का आरोप लगाया था जिस पर भारी विवाद पैदा हुआ और भाजपा को चुनावों में इसका खमियाजा भी भुगतना पड़ा है। अब भाजपा के नेताओं ने भी ऐसे बयानों का नोटिस लेना शुरू किया है और न सिर्फ गिरिराज सिंह को तलब करके उन्हें ऐसे बयानों से दूर रहने के लिए कहा है बल्कि गृह मंत्री अमित शाह ने 13 फरवरी को स्वीकार किया है कि :‘‘दिल्ली में प्रचार के दौरान भाजपा नेताओं के ‘गोली मारो’ और ‘भारत-पाकिस्तान मैच’ जैसे नफरत भरे बयानों से पार्टी को नुक्सान हुआ है और पार्टी को इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ी है।’’
‘‘प्रचार के दौरान भाजपा नेताओं को नफरत भरे बयान नहीं देने चाहिए थे। इसीलिए हमारी पार्टी ने इस तरह के बयानों से असंबद्धता व्यक्त की है।’’ उन्होंने अपने पहले स्टैंड में बदलाव करते हुए यह भी कहा कि जो कोई भी उनके साथ सी.ए.ए. के संबंध में विचार-विमर्श करना चाहता है वह उनके कार्यालय से समय ले सकता है और हम उसे 3 दिनों के भीतर समय देंगे। इसी बात को महसूस करते हुए भाजपा की गठबंधन सहयोगी लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने चुनावों में भाजपा नेताओं के घृणापूर्ण भाषणों से असहमति व्यक्त करते हुए कहा है कि ‘‘चुनावों में घृणा वाले भाषण नहीं दिए जाने चाहिए थे।’’
चिराग पासवान के अनुसार, ‘‘दिल्ली के चुनावों में जो कुछ हुआ, इतना बुरा इससे पहले किसी चुनाव में नहीं हुआ था। राज्यों के चुनावों में निजी शत्रुता को हवा न देकर स्थानीय मुद्दे उठाए जाने चाहिएं। हम बिहार के चुनावों में घृणा भाषण नहीं होने देंगे।’’ उल्लेखनीय है कि भाजपा नेताओं के अवांछित बयानों पर अप्रसन्नता व्यक्त करते हुए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी 19 दिसम्बर, 2017 को कहा था कि ‘‘भाजपा में कुछ लोगों को कम बोलने की आवश्यकता है और बड़बोले भाजपा नेताओं के मुंह में कपड़ा ठूंस देना चाहिए।’’
अमित शाह द्वारा अपने नेताओं के भड़काऊ बयानों से पार्टी की असंबद्धता व्यक्त करना और सी.ए.ए. पर चर्चा के लिए समय देने की बात कहना अच्छा बदलाव है और चिराग पासवान द्वारा चुनावी अभियान में संयम और शिष्टïता बनाए रखने की बात कहना स्वागत योग्य है। आशा करनी चाहिए कि भाजपा नेतृत्व इन बातों पर सख्ती पूर्वक अमल भी करवाएगा ताकि पार्टी की छवि भी खराब न हो और देश में सौहार्द और सद्भावना पर भी आंच न आए। —विजय कुमार