Edited By ,Updated: 21 Feb, 2021 02:14 AM
हाल ही में सम्पन्न पंजाब के स्थानीय निकाय चुनावों के दौरान 8 नगर निगमों में कांग्रेस ने जीत दर्ज कर ली और नगर परिषदों तथा नगर पंचायतों के चुनावों में भी इसे भारी सफलता मिली जबकि भाजपा और शिअद का प्रदर्शन निराशाजनक रहा। इस संबंध में भाजपा नेतृत्व एक
हाल ही में सम्पन्न पंजाब के स्थानीय निकाय चुनावों के दौरान 8 नगर निगमों में कांग्रेस ने जीत दर्ज कर ली और नगर परिषदों तथा नगर पंचायतों के चुनावों में भी इसे भारी सफलता मिली जबकि भाजपा और शिअद का प्रदर्शन निराशाजनक रहा। इस संबंध में भाजपा नेतृत्व एक-दूसरे से भिन्न प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहा है। केंद्रीय कैबिनेट मंत्री सोम प्रकाश के अनुसार, ‘‘किसानों के आंदोलन ने निश्चित रूप से पंजाब के स्थानीय निकाय चुनाव परिणामों को प्रभावित किया है और हम इससे इंकार नहीं कर सकते।’’
दूसरी ओर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने भाजपा की हार पर किसान आंदोलन के प्रभाव से इंकार किया है परंतु उन्होंने स्वीकार किया है कि ‘‘शिअद से गठबंधन समाप्त होने से भाजपा को नुक्सान पहुंचा है।’’ ‘‘पहले भाजपा पंजाब में शिअद के साथ मिल कर चुनाव लड़ती थी लेकिन गठबंधन टूटने के बाद पार्टी को (स्थानीय निकाय चुनाव अलग-अलग लड़ने से) नुक्सान हुआ।’’
सोम प्रकाश और नरेंद्र तोमर द्वारा व्यक्त विचारों के विपरीत पंजाब भाजपा के प्रधान अश्विनी शर्मा ने कहा है कि ‘‘गठबंधन टूटने का स्थानीय निकाय चुनावों के परिणामों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा तथा भाजपा के निराशाजनक प्रदर्शन का मुख्य कारण किसानों की नाराजगी नहीं है।’’ उक्त नेताओं के बयान को देखते हुए हम इस बात का निर्णय विद्वान पाठकों पर ही छोड़ते हैं कि सर्वश्री सोम प्रकाश, नरेंद्र सिंह तोमर और अश्विनी शर्मा में से कौन सही है और कौन गलत। अलबत्ता इस सम्बन्ध में हम इतना जरूर कहना चाहेंगे कि : ‘कुछ तो है, जिसकी पर्दादारी है।’—विजय कुमार