Edited By ,Updated: 28 Jan, 2022 04:22 AM
4 अप्रैल, 2021 को भारत के नए मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एन.वी. रमन्ना ने देश में कानून की शिक्षा की घटिया क्वालिटी पर कहा था कि ‘‘देश में प्रतिवर्ष लॉ कालेजों से डिग्रियां लेकर निकलने वाले डेढ़ लाख छात्रों में
4 अप्रैल, 2021 को भारत के नए मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एन.वी. रमन्ना ने देश में कानून की शिक्षा की घटिया क्वालिटी पर कहा था कि ‘‘देश में प्रतिवर्ष लॉ कालेजों से डिग्रियां लेकर निकलने वाले डेढ़ लाख छात्रों में से 25 प्रतिशत से भी कम इस व्यवसाय में आने के योग्य होते हैं।’’ ‘‘इसके लिए देश में बड़ी सं या में कानूनी पढ़ाई करवाने वाली घटिया संस्थाएं जिम्मेदार हैं जो सिर्फ नाम के ही लॉ कालेज हैं।’’
और अब देश में कानून की शिक्षा के स्तर में गिरावट पर चिंता जताते हुए सुप्रीमकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय किशन कौल के नेतृत्व वाली पीठ ने 25 जनवरी को कहा कि बार कौंसिल ऑफ इंडिया द्वारा ली जाने वाली बार की परीक्षाओं व इनकी गुणवत्ता जांचने का यह उचित समय है। पीठ ने कहा है कि ‘‘कानूनी पेशे में सही लोग आएं, इसके लिए शुरूआती चरण पर ही कानूनी शिक्षा के ढांचे के साथ-साथ परीक्षा के मापदंडों में भी सुधार करने की आवश्यकता है।’’
‘‘ऐसे उदाहरण हैं कि लोग लॉ कालेजों में गए बगैर ही डिग्रियां प्राप्त कर रहे हैं। ऐसी स्थिति पैदा हो गई है कि समाज विरोधी तत्व भी वकालत की डिग्रियां प्राप्त कर रहे हैं।’’ ‘‘आंध्र प्रदेश व कर्नाटक में कई स्थानों पर कानून की कक्षाएं गाय-भैंसों के तबेलों में लगाई जा रही हैं। ऐसे स्थलों का औचक निरीक्षण करना चाहिए।’’
आंध्र प्रदेश से लॉ कालेजों के प्रिंसीपलों द्वारा चेन्नई आकर लोगों से आवेदन पत्र और धन इकट्ठा करने का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘वे तीन वर्ष बाद लोगों को वकालत की डिग्री दे देते हैं।’’ ‘‘इससे कानून की पढ़ाई की गुणवत्ता में कमी आ रही है तथा कक्षाओं में पढ़ाई किए बिना ही चंद लोग वकालत की डिग्रियां हासिलकर रहे हैं।’’
देश के लॉ कालेजों के स्तर संबंधी न्यायाधीश एन.वी. रमन्ना तथा न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की टिप्पणियों से स्पष्टï है कि देश के अग्रणी न्यायवेत्ता भी इस बारे चिंतित हैं तथा इस मामले में तुरंत सुधार की जरूरत है। जैसा कि हम अक्सर लिखते रहते हैं, इस समय जब देश में कार्यपालिका और विधायिका लगभग निष्क्रिय हो रही हैं, केवल न्यायपालिका अपनी सक्रियता से जनहितकारी निर्णय ले रही है। अत: यदि न्यायपालिका में भी इसी भांति निष्क्रियता आ गई तो यह विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत के लिए बहुत बड़ा आघात होगा।-विजय कुमार