सेना के दबाव, भारी भ्रष्टाचार व राजनीतिक उठापटक के बीच सांस ले रहा पाकिस्तान

Edited By ,Updated: 10 Jan, 2019 03:20 AM

the pressure of the army the political turmoil between the pakistan breathing

अस्तित्व में आने के समय से ही पाकिस्तान के शासकों ने जहां भारत के विरुद्ध प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष युद्ध छेड़ रखा है तथा यहां आतंकवादी गतिविधियों, नशों और जाली करंसी की तस्करी आदि करवाने में संलिप्त हैं, वहीं अपने देश में पाकिस्तानी शासक लगातार...

अस्तित्व में आने के समय से ही पाकिस्तान के शासकों ने जहां भारत के विरुद्ध प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष युद्ध छेड़ रखा है तथा यहां आतंकवादी गतिविधियों, नशों और जाली करंसी की तस्करी आदि करवाने में संलिप्त हैं, वहीं अपने देश में पाकिस्तानी शासक लगातार हिंसा का शिकार हो रहे हैं और सेना के साए तले देश बुरी तरह अस्थिरता का शिकार है। 

वहां 16 अक्तूबर, 1951 को पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली खान की हत्या से राजनीतिक हत्याओं का सिलसिला शुरू हुआ और फिर पाकिस्तान के राष्ट्रपति और सेनाध्यक्ष रहे जिया-उल-हक 17 अगस्त 1988 को एक विमान में रहस्यमय संदिग्ध बम विस्फोट में मारे गए और 27 दिसम्बर, 2007 को प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की हत्या की गई। जहां एक ओर वहां राजनीतिक हत्याओं का जोर रहा है तो दूसरी ओर पाकिस्तान सरकार पर लगातार सेना के दबदबे के कारण कोई भी प्रधानमंत्री अपने कार्यकाल की 5 वर्ष की अवधि पूरी नहीं कर पाया। 

वहां प्रधानमंत्री लियाकत अली खान 15 अगस्त 1947 से 16 अक्तूबर 1951 को अपनी हत्या किए जाने तक 4 वर्ष, 2 महीने और 2 दिन प्रधानमंत्री रहे और ख्वाजा नजीमुद्दीन 17 अक्तूबर 1951 से लेकर 17 अप्रैल 1953 को गवर्नर जनरल द्वारा अपनी सरकार भंग किए जाने तक 1 वर्ष, 6 महीने प्रधानमंत्री रहे। मो. अली बोगरा 17 अप्रैल 1953 से 11 अगस्त 1955 को गवर्नर जनरल द्वारा सरकार बर्खास्त किए जाने तक 2 वर्ष, 3 महीने और 26 दिन प्रधानमंत्री रहे। जुल्फिकार अली भुट्टïो 14 अगस्त 1973 से 5 जुलाई 1977 तक 3 वर्ष, 10 महीने और 21 दिन प्रधानमंत्री रहे और जनरल जिया उल हक ने उनका तख्ता पलट कर उन्हें सत्ताच्युत किया। 

बेनजीर भुट्टो का पहला कार्यकाल  2 दिसम्बर 1988 से 6 अगस्त 1990 तक राष्ट्रपति इसहाक खान द्वारा सत्ताच्युुत्त किए जाने तक 1 वर्ष, 8 महीने 4 दिन रहा और दूसरा कार्यकाल 19 अक्तूबर 1993 से 5 नवम्बर 1996 तक 3 वर्ष 17 दिन रहा, जब उनकी सरकार को राष्ट्रपति फारूक लगारी ने बर्खास्त कर दिया। नवाज शरीफ पहली बार 6 नवम्बर 1990 से 18 अप्रैल 1993 को राष्ट्रपति खान द्वारा बर्खास्त किए जाने तक 2 वर्ष 5 महीने 12 दिन प्रधानमंत्री रहे, उन्होंने अपनी बर्खास्तगी को सुप्रीमकोर्ट में चुनौती दी और अपने पक्ष में निर्णय होने पर पुन: 26 मई 1993 से 18 जुलाई 1993 को स्वयं त्यागपत्र देने तक एक महीना 22 दिन प्रधानमंत्री रहे। 

दूसरी बार वह 17 फरवरी 1997 से 12 अक्तूबर 1999 तक 2 वर्ष, 7 महीने, 25 दिन मुशर्रफ द्वारा सत्ताच्युत करने तक सत्तारूढ़ रहे। नवाज शरीफ अंतिम बार 5 जून 2013 से 28 जुलाई 2017 तक 4 वर्ष, एक महीना, 23 दिन प्रधानमंत्री रहे जब उन्हें सुप्रीमकोर्ट ने अयोग्य घोषित कर दिया। राजनीतिक अस्थिरता के अलावा वहां के अधिकांश शीर्ष सत्ताधारियों पर अरबों रुपए के भ्रष्टाचार के आरोप हैं। वहां के सर्वाधिक भ्रष्टï राजनीतिज्ञों में 6 नवाज शरीफ की पार्टी पी.एम.एल. (एन) से व 2 पी.पी.पी. से सम्बन्धित हैं। 

10 भ्रष्ट शीर्ष पाकिस्तानी राजनीतिज्ञों में इस समय जेल काट रहे पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ का पहला स्थान है। उन्हें राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान का सर्वाधिक भ्रष्ट राजनीतिज्ञ करार दिया गया है। सऊदी अरब और कतर के अलावा उनकी लंदन में अनेक फैक्टरियां, अन्य सम्पत्तियां और मकान हैं। इनके बाद  पाकिस्तान में ‘मिस्टर 10 पर्सैंट’ के नाम से मशहूर पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी (बेनजीर के पति) हैं। पाकिस्तान में फर्जी बैंक खातों के जरिए 200 अरब रुपयों की हेराफेरी के आरोपों की जांच कर रहे अधिकारियों ने जरदारी तथा अन्य की सम्पत्ति जब्त करने की सिफारिश की है। पंजाब के पूर्व कानून मंत्री राणा सनाउल्ला पर भूमि पर अवैध कब्जों, भ्रष्टाचार और निजी स्वार्थों के लिए सरकारी संसाधनों के इस्तेमाल के आरोपों के अलावा कम से कम 20 राजनीतिक प्रतिद्वन्द्वियों की हत्या करवाने का आरोप है। 

राजनीतिक उठा-पटक भी पाकिस्तान की राजनीति की विशेषता रही है। इस बारे 20 जून 2001 से 18 अगस्त 2008 तक राष्टï्रपति रहे परवेज मुशर्रफ का नाम सर्वोपरि है। 27 सितम्बर 2007 कोबेनजीर भुट्टो की हत्या में कथित संलिप्तता के आरोपों के बीच अपने प्रति बढ़ रहे असंतोष के चलते 18 अगस्त, 2008 को त्यागपत्र देकर वह हज करने चला गया और तब से विदेश में ही रह रहा है। कुल मिलाकर इस प्रकार के माहौल में आज का पाकिस्तान सांस ले रहा है। एक ओर सेना का दबाव है, दूसरी ओर भ्रष्टाचार तथा तीसरी ओर राजनीतिक उठापटक और षड्यंत्र। ऐसे में सेना की सहायता से देश की बागडोर संभाल रहा इमरान खान कब तक सत्ता पर टिक पाएगा, यह भविष्य के गर्भ में है।—विजय कुमार

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