शिलांग के पंजाबियों की समस्या गंभीर हो, इससे पहले सुलझाना जरूरी

Edited By ,Updated: 23 Oct, 2019 12:50 AM

the problem of shillong punjabis is serious it is necessary to solve it before

लगभग 156 वर्ष पूर्व 1863 में मेघालय की राजधानी शिलांग में अंग्रेजों ने सिखों को ले जाकर बसाया था। शिलांग के सबसे खूबसूरत इलाके में बसी इस ‘पंजाबी लेन कालोनी’ के बाशिंदों के विरुद्ध स्थानीय लोगों की नाराजगी काफी समय से चली आ रही है। शिलांग के मुख्य...

लगभग 156 वर्ष पूर्व 1863 में मेघालय की राजधानी शिलांग में अंग्रेजों ने सिखों को ले जाकर बसाया था। शिलांग के सबसे खूबसूरत इलाके में बसी इस ‘पंजाबी लेन कालोनी’ के बाशिंदों के विरुद्ध स्थानीय लोगों की नाराजगी काफी समय से चली आ रही है। 

शिलांग के मुख्य व्यापारिक केंद्र ‘पुलिस बाजार’ के निकट स्थित ‘पंजाबी लेन कालोनी’ में प्रापर्टी अत्यंत महंगी होने के कारण यहां सक्रिय गर्मदलीय और स्थानीय ‘खासी’ लोगों के हितरक्षक होने का दावा करने वाले ‘खासी’ संगठन काफी लम्बे समय से यहां पीढिय़ों से रह रहे सिखों को उजाडऩे की कोशिश कर रहे हैं और उन्होंने सरकार से यह मांग भी कर रखी है। एक समाचारपत्र के अनुसार, ‘‘इस मामले में राज्य की सरकार, गर्मदलीय संगठन एवं विभिन्न नस्ली गिरोह एक समान विचार रखते हैं।’’ 

यहां से उन्हें हटाने के लिए स्थानीय प्रशासन ने 1987 में पहली बार नोटिस जारी किया। 1992 में यहां सिखों पर हमला हुआ, 1994 में यहां के बाशिंदों को उन्हें दी गई भूमि के स्वामित्व का प्रमाण पेश करने को कहा गया और इन पर फिर हमला हुआ। तभी से कालोनी के बाशिंदे तरह-तरह की समस्याओं से गुजर रहे हैं। गत वर्ष जून में यहां दंगों के बाद हालात काफी बिगड़ गए थे जो अब तक सामान्य नहीं हुए। अब मेघालय सरकार द्वारा शिलांग में पुराने बिजली मीटरों के स्थान पर नए प्री-पेड मीटर लगाने से इन लोगों के लिए एक और नई समस्या पैदा हो गई है। ‘पंजाबी लेन कालोनी’ में भी बिजली वितरण कम्पनी द्वारा प्री-पेड मीटर लगाए गए हैं परन्तु ये बहुत कम लोड उठा पाते हैं। 

इस कारण इस कालोनी के निवासियों को काफी असुविधा होने के चलते उन्होंने बिजली वितरण कम्पनी से अपने मीटरों का लोड बढ़ाने के लिए आवेदन किया है परन्तु ‘खासी छात्र संघ’ (के.एस.यू.) ने बिजली वितरण कम्पनी को चेतावनी दे दी है कि यह आवेदन कदापि स्वीकार न किया जाए। छात्र संघ के नेताओं का कहना है कि ‘पंजाबी लेन कालोनी’ के सिख निवासी अवैध बाशिंदे हैं जिन्हें सामान्य नागरिकों को दी जाने वाली सुविधाएं प्राप्त करने का कोई अधिकार नहीं है। ‘हरिजन कालोनी पंचायत’ के सैक्रेटरी गुरजीत सिंह का कहना है कि ‘‘हम समझ नहीं पा रहे हैं कि इस स्थिति से कैसे निपटा जाए। ‘खासी छात्र संघ’ बहुत शक्तिशाली होने के कारण बिजली कम्पनी उनकी आज्ञा का उल्लंघन नहीं कर सकती।’’ 

गुरजीत सिंह का कहना है कि ‘‘प्री-पेड मीटरों की लोड क्षमता कम होने के कारण हम रैफ्रिजरेटर या बिजली की इस्त्री जैसे उपकरण भी इस्तेमाल नहीं कर सकते। इस इलाके में एक स्कूल और गुरुद्वारा भी है जहां हमने कम्प्यूटर और अन्य उपकरण लगा रखे हैं। ठंडा स्थान होने के कारण रूम हीटर जलाने की भी आवश्यकता होती है परन्तु नए मीटर यह लोड सहन नहीं कर पाते और सप्लाई कट जाती है।’’ यही नहीं पूर्वी भारत में रहने वाले सिखों के इतिहास पर शोध करने वाले प्रोफैसर हिमाद्री बैनर्जी का कहना है कि शिलांग की पंजाबी लेन कालोनी (हरिजन बस्ती) में रहने वाले सिखों का ‘जॉब रिकार्ड’ भी ‘खासी छात्र संघ’ द्वारा लगाई गई आग में पहले ही नष्टï हो चुका है। 

इस कारण शिलांग म्युनिसिपल बोर्ड के पास यहां रहने वाले सिखों का कोई प्रमाण भी नहीं बचा है और अब ‘खासी छात्र संघ’ द्वारा ‘पंजाबी लेन कालोनी’ में लगाए गए प्री-पेड बिजली मीटरों का लोड बढ़ाने का विरोध करके खासी छात्र संघ ने इनके प्रति अपनी शत्रुता एक बार फिर उजागर कर दी है। कई पीढिय़ों से शिलांग में रह रहे सिखों को उजाडऩे के चल रहे प्रयासों में ‘खासी छात्र संघ’ और अन्य गर्मदलीय संगठनों के कूद पडऩे से, पहले से ही चल रही तनावपूर्ण स्थिति के और भी बिगडऩे का खतरा है अत: केंद्र व मेघालय सरकार और अन्य संबंधित पक्षों को इस समस्या को जल्द से जल्द सुलझा कर वहां के सिखों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और उनकी उचित मांगों को स्वीकार करके उन्हें राहत प्रदान करनी चाहिए।—विजय कुमार 
 

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