नहीं थम रहा बुजुर्ग माता-पिता पर संतानों द्वारा अत्याचारों का सिलसिला

Edited By ,Updated: 31 Oct, 2019 12:54 AM

the process of atrocities by children on elderly parents is not stopping

भारत में बुजुर्गों को अतीत में अत्यंत सम्मानजनक स्थान प्राप्त था परन्तु आज संतानों द्वारा उनसे दुव्र्यवहार और उन पर अत्याचारों का रुझान बढ़ जाने से उनकी स्थिति अत्यंत दयनीय हो गई है जिसके समाचार पढ़-सुन कर मन विचलित हो जाता है जिनमें से चंद निम्र...

भारत में बुजुर्गों को अतीत में अत्यंत सम्मानजनक स्थान प्राप्त था परन्तु आज संतानों द्वारा उनसे दुव्र्यवहार और उन पर अत्याचारों का रुझान बढ़ जाने से उनकी स्थिति अत्यंत दयनीय हो गई है जिसके समाचार पढ़-सुन कर मन विचलित हो जाता है जिनमें से चंद निम्र में दर्ज हैं : 

25 सितम्बर को आगरा के एक वृद्ध आश्रम में बेसहारा छोड़े गए बुजुर्ग दम्पति ओमप्रकाश (62) और मीरा देवी (60) के दुख की उस समय सीमा न रही जब उन्हें पता चला कि उनका बेटा उसी आश्रम में आया और भंडारा करके तथा साडिय़ां और मिठाइयां बांट कर उनसे बिना मिले चला गया। 04 अक्तूबर को पंचकूला में एक बुजुर्ग महिला ने आरोप लगाया कि उसके इकलौते डाक्टर बेटे ने धोखे से मकान अपने नाम करवाने के बाद 22 वर्षों से न तो उसे खर्चा दिया है और न ही उससे मिलने आया है। 

07 अक्तूबर को रुद्रपुर में हलद्वानी के एक गांव में एक व्यक्ति ने गुस्से में आकर अपनी मां को मार डाला। 10 अक्तूबर को इटावा में बसरेहर थाना के गांव में एक युवक ने जिसने 2 महीने पहले अपने पिता को पीट-पीट कर घर से निकाल दिया था, अपनी मां शकुंतला को भी बुरी तरह पीट डाला। 16 अक्तूबर को सीतामढ़ी के महर्षि वाल्मीकि आश्रम में रहने वाली एक विधवा वृद्धा गेना देवी (80) ने कहा कि उसका कोई बेटा नहीं है और उसने अपनी जमीन बेच कर दोनों बेटियों की शादी की थी परंतु पति की मौत के बाद बेटियों ने उससे मुंह मोड़ लिया और आश्रम में छोड़ गईं। 

26 अक्तूबर को ग्वालियर में 85 वर्षीय सुखलाल और उनकी पत्नी बीनियाबाई को उनके बेटे राजेंद्र और बहू धन्तीबाई ने मकान अपने नाम न करने पर लात-घूंसों से पीट-पीट कर घायल कर दिया। 29 अक्तूबर को टुंडला में एक युवक ने अपने पिता को पहले तो गालियां निकालीं और फिर चाकू मार कर घायल कर दिया। 29 अक्तूबर को मथुरा रेलवे स्टेशन पर बुखार से तपती अपनी 80 वर्षीय मां को उसके बेटे तड़पती छोड़ कर भाग गए। संतानों द्वारा बुजुर्ग माता-पिता से दुव्र्यवहार के ये तो मात्र चंद उदाहरण हैं। इनके अलावा भी न जाने कितनी ऐसी घटनाएं होती रहती हैं, जो प्रकाश में नहीं आ पातीं। इस बारे गहन ङ्क्षचतन-मनन करके समाज को यह खतरनाक रुझान समाप्त करने के उपाय ढूंढने की जरूरत है।—विजय कुमार   

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