बलात्कारों की आंधी को ‘बतंगड़’ कहने वाले ‘सत्ताधारी’

Edited By Pardeep,Updated: 24 Apr, 2018 02:20 AM

the ruling who called the storm of rape batangra

इन दिनों देश में बलात्कारों और महिलाओं तथा बच्चियों के विरुद्ध अन्य अपराधों की बाढ़ सी आई हुई है। रोज कम से कम 107 बलात्कार होते हैं तथा 2016 के आंकड़ों के अनुसार रोज 55 बच्चियों...

इन दिनों देश में बलात्कारों और महिलाओं तथा बच्चियों के विरुद्ध अन्य अपराधों की बाढ़ सी आई हुई है। रोज कम से कम 107 बलात्कार होते हैं तथा 2016 के आंकड़ों के अनुसार रोज 55 बच्चियों से बलात्कार होता है। 

इसी कारण जहां केंद्र सरकार बच्चियों से दुष्कर्म के मामलों में दोषियों को मृत्युदंड देने संबंधी अध्यादेश लाने को विवश हुई है वहीं भाजपा के ही नेता बिना सोचे-समझे बयान देकर नित्य नए विवाद पैदा कर रहे हैं। केंद्रीय श्रम व रोजगार मंत्री संतोष गंगवार ने 22 अप्रैल को कहा, ‘‘इतने बड़े देश में यदि बलात्कार की एक-दो घटनाएं हो जाएं तो ‘बात का बतंगड़’ नहीं बनाना चाहिए। ऐसी घटनाओं को रोकना संभव नहीं है। इतने बड़े देश में ऐसी एक-दो घटनाओं पर बवाल मचाना सही नहीं है।’’ इसी प्रकार मथुरा से सांसद हेमा मालिनी ने कहा, ‘‘बच्चियों के साथ बलात्कार पहले भी होते रहे हैं पर इस समय इनका प्रचार ज्यादा हो रहा है।’’ संतोष गंगवार और हेमा मालिनी के उक्त बयानों को झुठलाने के लिए मात्र 2 दिनों में सामने आई बलात्कार की चंद घटनाएं ही काफी हैं : 

21 अप्रैल को करनाल के नवेल गांव में 14 वर्षीय बच्ची से बलात्कार।
—आगरा में अध्यापक द्वारा छात्रा का यौन शोषण।
—उत्तर प्रदेश के रामपुर में 6 वर्षीय बच्ची से बलात्कार।
—बटाला में 15 वर्षीय नाबालिगा से बलात्कार। 
—फिरोजाबाद में अपहरण के बाद 16 वर्षीय किशोरी से बलात्कार।
—मुम्बई में एक महिला द्वारा कर्नाटक के डाक्टर पर बलात्कार का आरोप। 
—बंगाल के रायगंज में दूसरी क्लास की 4 छात्राओं से बलात्कार करने के आरोप में एक अध्यापक के विरुद्ध केस दर्ज। 
—हिसार में 8 वर्षीय बच्ची से बलात्कार के आरोप में चाचा काबू। 

22 अप्रैल को गुडग़ांव में पड़ोसी युवक के विरुद्ध 12 वर्षीय नाबालिगा से 2 बार बलात्कार करने के आरोप में केस दर्ज।  
—22 अप्रैल को बिहार में मुजफ्फरपुर जिले के मुसहरी गांव में बलात्कार की शिकार 9 वर्षीय नाबालिगा का शव बरामद।
—पानीपत के एक गांव से अपहृत युवती से सामूहिक बलात्कार के आरोप में 2 लोग गिरफ्तार।  
—सीतामढ़ी में 11 वर्षीय बच्ची की बलात्कार के बाद हत्या। 
—अलीगढ़ में जागरण के दौरान 12 वर्षीय बच्ची से बलात्कार।
—आगरा में अपहरण के बाद किशोरी से बलात्कार। 
—बरेली में पड़ोसी द्वारा 5 वर्षीय बच्ची से बलात्कार।
—इंदौर में युवती द्वारा 2 युवकों पर सरेराह स्कर्ट खींचने का आरोप। 

वास्तव में ‘ऊल-जलूल’ बयान देने की हमारे नेताओं को आदत सी पड़ गई है और बाद में यह कह कर पल्ला झाड़ लेते हैं कि उनके बयान को मीडिया ने गलत ढंग से तोड़-मरोड़ कर पेश किया है। उक्त दोनों बयानों के मामलों में भी संतोष गंगवार और हेमा मालिनी ने कहा है कि उनके बयानों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है। 17 सितम्बर, 2014 को भी हेमा मालिनी वृंदावन की विधवाओं के संबंध में निम्र आपत्तिजनक बयान देकर विवादों में आ चुकी हैं जिसके लिए उन्हें स्पष्टीकरण देना पड़ा था। ‘‘वृंदावन की विधवाओं के पास बढिय़ा बैंक बैलेंस होता है, अच्छी आय होती है, बढिय़ा बिस्तर होते हैं लेकिन वे आदतन भीख मांगती हैं।’’ 

महिलाओं के विरुद्ध अपराधों के प्रति भाजपा नेताओं की इसी संवेदनहीनता के चलते, जिसमें भाजपा के कम से कम 20 नेता भी आरोपी पाए गए हैं, कांग्रेस नेता कमलनाथ ने कटाक्ष करते हुए कहा है कि ‘‘भारतीय जनता पार्टी का नाम बदल कर ‘बलात्कार जनता पार्टी’ रख देना चाहिए।’’ ऐसे ही बयानों से आहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पार्टी नेताओं को विवादित बयान देकर मीडिया को मसाला न देने की नसीहत देते हुए कहा है कि ‘‘हम गलती करते हैं और मीडिया को मसाला देते हैं। कैमरा देखते ही हम बयान देने के लिए उछल पड़ते हैं जैसे हम बड़े समाज विज्ञानी या माहिर हों और फिर मीडिया ऐसे बयानों का इस्तेमाल करता है। यह मीडिया की गलती नहीं है।’’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री राजनाथ सिंह पहले भी पार्टी नेताओं को विवादास्पद बयान न देने की नसीहत दे चुके हैं जिसका कोई असर दिखाई नहीं देता। अब तो समय ही बताएगा कि प्रधानमंत्री की नसीहत पर पार्टी नेता कितना अमल करते हैं ताकि पार्टी की मुश्किलें न बढ़ें।—विजय कुमार 

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