भीषण जनसंख्या विस्फोट का शिकार-पाकिस्तान

Edited By ,Updated: 26 Jan, 2019 03:38 AM

the victims of the horrific population explosion  pakistan

भारत और पाकिस्तान की अनेक समस्याएं सांझी हैं जिनमें से एक समस्या जनसंख्या विस्फोट की भी है। दिन-प्रतिदिन विकराल होती जा रही इस समस्या के परिणामस्वरूप जहां भारत की जनसंख्या 131 करोड़ से ऊपर पहुंच गई है जो थमने में नहीं आ रही, वहीं पाकिस्तान की...

भारत और पाकिस्तान की अनेक समस्याएं सांझी हैं जिनमें से एक समस्या जनसंख्या विस्फोट की भी है। दिन-प्रतिदिन विकराल होती जा रही इस समस्या के परिणामस्वरूप जहां भारत की जनसंख्या 131 करोड़ से ऊपर पहुंच गई है जो थमने में नहीं आ रही, वहीं पाकिस्तान की जनसंख्या भी बढ़ कर 20 करोड़ हो गई है जो 1947 में साढ़े 7 करोड़ के लगभग थी। 

यह भी एक तथ्य है कि भारत में जनसंख्या नियंत्रण के लिए अनेक प्रयास किए गए परंतु पाकिस्तान में ऐसा कुछ नहीं दिख रहा। 1975 में इंदिरा गांधी के छोटे बेटे संजय गांधी ने जनसंख्या नियंत्रण के लिए पुरुषों और महिलाओं की नसबंदी और नलबंदी का अभियान शुरू करवाया था लेकिन इसके कार्यान्वयन में कुछ ज्यादतियां होने से यह कांग्रेस की बदनामी का ही कारण बन गया। 

संजय गांधी का विचार बुरा नहीं था लेकिन नसबंदी और नलबंदी करने और करवाने वालों के लिए नकद राशि प्रोत्साहन स्वरूप दिए जाने तथा अधीनस्थ कर्मचारियों के लिए आप्रेशनों का लक्ष्य निर्धारित करने का परिणाम उलटा निकला। पैसे के लालच में कुछ स्थानों पर ज्यादतियां हुईं जिससे लोगों में गलत संदेश चला गया तथा चुनावों में कांग्रेस को पराजय झेलनी पड़ी। बाद में आने वाली किसी सरकार ने चिमटी से भी इस समस्या को नहीं छुआ और यह समस्या बढ़ती चली गई। इसका नतीजा यह हुआ कि सरकार द्वारा देश में गरीबों के उत्थान के लिए चलाई जा रही विभिन्न कल्याण योजनाओं का लाभ बढ़ती हुई जनसंख्या निगलती ही चली जा रही है। हां, यह जरूर हुआ कि लोगों में जागरूकता तथा शिक्षा के चलते विशेष रूप से उच्च मध्यम और मध्यम वर्ग के लोगों ने स्वयं ही अपना परिवार सीमित कर लिया है। 

जहां भारत में परिवार नियोजन कार्यक्रम को गलत ढंग से लागू करने के कारण इसका संतोषजनक परिणाम सामने नहीं आया, वहीं पाकिस्तान में तो परिवार नियोजन कार्यक्रम लागू ही नहीं किया गया जिस कारण वहां जनसंख्या वृद्धि की समस्या इस हद तक गंभीर हो गई है कि पाकिस्तान की न्यायपालिका ने इस मामले में अपनी आवाज बुलंद कर दी है। पाकिस्तान सुप्रीमकोर्ट के चीफ जस्टिस मियां साकिब निसार के नेतृत्व वाली 3 सदस्यीय पीठ ने पाकिस्तान की तेजी से बढ़ रही जनसंख्या को ‘टिक-टिक करता टाइम बम’ बताया है। 

एक मामले की सुनवाई के दौरान 15 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश मियां साकिब निसार तथा न्यायमूर्ति उमर अता बांदियाल व न्यायमूर्ति एजाजुल एहसान ने स्वत: संज्ञान लेते हुए धार्मिक विद्वानों, नागरिक संगठनों और सरकार से जनसंख्या नियंत्रण के उपायों को बढ़ावा देने की अपील की है। इनमें प्रति परिवार दो बच्चों का नियम अनिवार्य करना भी शामिल है। सुप्रीमकोर्ट ने बढ़ती जनसंख्या को पाकिस्तान के प्राकृतिक संसाधनों पर भारी दबाव बताते हुए कहा है कि, ‘‘जनसंख्या विस्फोट की समस्या से निपटने के लिए एक राष्टï्रव्यापी अभियान चलाने की आवश्यकता है।’’ 

उल्लेखनीय है कि भारत और पाकिस्तान की भांति ही जनसंख्या विस्फोट से जूझ रहे देशों में चीन भी शामिल है जहां सरकार ने तो 2 बच्चों की नीति लागू कर रखी है परंतु शिक्षा एवं जागरूकता बढऩे के कारण वहां के दम्पति अब एक ही बच्चे को अधिमान देने लगे हैं। उल्लेखनीय है कि जहां-जहां शिक्षा का प्रसार हुआ है वहां-वहां दम्पतियों ने स्वत: ही बढ़ रही सामाजिक जरूरतों को देखते हुए एक या दो बच्चों का नियम अपनाना शुरू कर दिया है। इस परिप्रेक्ष्य में पाकिस्तान की शीर्ष अदालत ने 2 बच्चों का नियम अनिवार्य करने का बिल्कुल सही सुझाव दिया है जिसका सख्ती से पालन करना आवश्यक है। जब तक पाकिस्तान के शासक इस बारे अपने देश में जन जागरण अभियान नहीं चलाएंगे तब तक वांछित परिणाम नहीं मिलेंगे। 

जनसंख्या नियंत्रण द्वारा अपनी भावी पीढ़ी को बेहतर भविष्य देने की खातिर सरकारों के लिए शिक्षा के प्रसार, जन जागरण अभियान चलाना, अन्य उपायों द्वारा परिवार नियोजन को बढ़ावा देना और चीन की भांति दो बच्चों की नीति अपनाना आवश्यक है जिसके वहां सकारात्मक परिणाम मिले हैं। इसके लिए जहां परिवार नियोजन को बढ़ावा देने में सहायक नियम बनाने की जरूरत है, वहीं दो से अधिक बच्चों वाले माता-पिता को विभिन्न सरकारी सुविधाओं से वंचित करना तथा दो बच्चों वालों को सरकार की ओर से विभिन्न रियायतें देना भी एक उपाय हो सकता है।—विजय कुमार 

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