कोरोना से हो रही मौतों पर रोक लगाने का है एक अवसर और

Edited By ,Updated: 03 Sep, 2020 04:40 AM

there is an opportunity to prevent deaths from corona and

भारत में ‘कोरोना’ महामारी से पैदा हुआ संकट गहरा होता जा रहा है। विश्व में संक्रमितों का आंकड़ा 3 करोड़ के आसपास तथा भारत में 38 लाख के निकट पहुंचने वाला है। भारत में एक सप्ताह में रोगियों की संख्या पिछले सप्ताह से 9 प्रतिशत बढ़ी है। 22 अगस्त..

भारत में ‘कोरोना’ महामारी से पैदा हुआ संकट गहरा होता जा रहा है। विश्व में संक्रमितों का आंकड़ा 3 करोड़ के आसपास तथा भारत में 38 लाख के निकट पहुंचने वाला है। भारत में एक सप्ताह में रोगियों की संख्या पिछले सप्ताह से 9 प्रतिशत बढ़ी है। 22 अगस्त तक भारत में ‘कोरोना’ का शिकार बनने वाले लोगों में 90 प्रतिशत लोग 40 वर्ष से अधिक आयु के थे जबकि 61 से 70 वर्ष आयु के बीच के लोग इसका सबसे अधिक शिकार बने। मृतकों में आधे लोगों की आयु 50 से 70 वर्ष के बीच थी। कुल मृतकों में लगभग 69 प्रतिशत पुरुष हैं। 

इंडियन पब्लिक हैल्थ एसोसिएशन के अनुसार, ‘‘एशियाई देशों में भारत कोरोना से सर्वाधिक प्रभावित है। प्रतिदिन यहां विश्व के 30 प्रतिशत कोरोना संक्रमित पाए जा रहे हैं जबकि कुल 20 प्रतिशत संक्रमितों की मौत हो रही है। इससे भी बढ़ कर अधिक ङ्क्षचता की बात यह है कि संक्रमण का ‘पीक’ अभी आना बाकी है।’’ इस बीच जहां केंद्र और राज्यों की सरकारें एक सदी के बाद आई इस सबसे बड़ी मुसीबत का अपने-अपने तरीके से सामना कर रही हैं और केंद्र सरकार ने विभिन्न शर्तों के साथ अनलॉक-4 की घोषणा की है परंतु विश्व स्वास्थ्य संगठन ने लॉकडाऊन खोलने के विरुद्ध चेतावनी दी है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक ‘टेड्रोस अधनोम गब्रेयसस’ के अनुसार, ‘‘कोरोना महामारी के बीच अभी लॉकडाऊन खोलना विनाशकारी होगा। लॉकडाऊन खोलने के प्रति गंभीर देशों को इसके संक्रमण को नियंत्रित करने के मामले में भी गंभीर होना चाहिए।’’
इस महामारी की भयावहता का अनुमान इलाहाबाद हाईकोर्ट के मान्य न्यायाधीशों द्वारा उत्तर प्रदेश में एक सुरक्षात्मक पग के रूप में हुक्का बार पर रोक लगाते हुए की गई टिप्पणी से लगाया जा सकता है : 

‘‘हम घने अंधेरे जंगल के बीच खड़े हैं। कल क्या होगा इसका कोई पता नहीं। लॉकडाऊन के बावजूद ‘कोरोना’ का संक्रमण जंगल की आग की तरह फैल रहा है जो मानव जीवन के लिए खतरा बन गया है।’’ जहां तक पंजाब का संबंध है यहां ‘कोरोना’ संक्रमितों की मृत्यु दर 2.7 प्रतिशत है जो पड़ोसी राज्यों की तुलना में कहीं अधिक है तथा मौतों के मामले में महाराष्ट्र, तमिलनाडु, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, गुजरात, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और बंगाल के बाद पंजाब नौवें स्थान पर है। 

इसी बीच एक परेशान करने वाले घटनाक्रम के अंतर्गत कोरोना को लेकर कुछ लोगों द्वारा कुछ अस्पतालों में रोगियों के अंग निकालने संबंधी उड़ाई जा रही अफवाहों ने स्वास्थ्य अधिकारियों की चिंता और बढ़ा दी है। कुछ स्थानों पर कोविड रोगियों को आईसोलेट कराने गई स्वास्थ्य और पुलिस विभाग की टीमों पर ग्रामीणों द्वारा ईंट-पत्थरों से हमला किए जाने के समाचार भी प्राप्त हुए हैं। अत: अपनी जान जोखिम में डाल कर दूसरों की प्राण रक्षा करने वाले कोरोना योद्धाओं के साथ इस प्रकार का व्यवहार करने वालों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई अवश्य होनी चाहिए। 

प्राकृतिक प्रकोप और इंसानी लापरवाही से बढ़ रहे इस संकट के बीच वाशिंगटन विश्वविद्यालय के इंस्टीच्यूट फॉर हैल्थ मैट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन (आई.एच.एम.ई.) ने भी अपने एक अध्ययन में कहा है कि भारत के पास कोरोना से होने वाली मौतें कम करने का अभी भी एक अवसर है। इस अध्ययन में बताया गया है कि व्यापक स्तर पर मास्क के इस्तेमाल और सामाजिक दूरी के नियमों का पालन करके 1 दिसम्बर तक 2 लाख से अधिक मौतें टालने में सफलता पाई जा सकती है। अध्ययन के अनुसार भारत में सुरक्षा नियमों का पालन न करने पर मृतकों की संख्या 1 दिसम्बर तक 4.92 लाख तक पहुंच सकती है परंतु यदि लॉकडाऊन का पालन कठोरतापूर्वक किया जाए और 95 प्रतिशत लोग मास्क लगाएं तो यह संख्या घट कर 2.91 लाख के आसपास सिमट सकती है। 

जैसा कि हम समय-समय पर लिखते रहते हैं कि लोगों द्वारा इस आफत से बचाव के लिए निर्धारित सुरक्षा उपायों की अवहेलना करने के कारण कोरोना के केसों में वृद्धि हो रही है लिहाजा उक्त चेतावनी पर अमल करके लोगों को इस महामारी का प्रसार रोकने में सहयोग करना चाहिए। अफवाहें फैलाने, कोरोना योद्धाओं से सहयोग न करने और उनके काम में बाधा डालने को किसी भी दृष्टिï से उचित नहीं कहा जा सकता क्योंकि इस तरह के कदमों से सदी की इस सबसे बड़ी आफत के विरुद्ध हमारा संघर्ष कमजोर ही होगा।—विजय कुमार

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