Edited By Pardeep,Updated: 05 Jan, 2019 03:41 AM
किसी समय हमारी प्राचीन सभ्यता, संस्कृति और उच्च संस्कारों के चलते समस्त विश्व मार्गदर्शन के लिए भारतीय गुरुओं की शरण में आने में गर्व अनुभव करता था परंतु आज हम अपने उच्च संस्कारों, मान्यताओं व मर्यादाओं से किस कदर दूर हो गए हैं, यह मात्र एक महीने...
किसी समय हमारी प्राचीन सभ्यता, संस्कृति और उच्च संस्कारों के चलते समस्त विश्व मार्गदर्शन के लिए भारतीय गुरुओं की शरण में आने में गर्व अनुभव करता था परंतु आज हम अपने उच्च संस्कारों, मान्यताओं व मर्यादाओं से किस कदर दूर हो गए हैं, यह मात्र एक महीने की निम्र ताजा घटनाओं से स्पष्ट है :
07 दिसम्बर को उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में विजय राम ने अपनी पत्नी से झगड़े के दौरान 4 माह का बेटा जमीन पर पटक कर मार डाला। 08 दिसम्बर को छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में अपनी 17 वर्षीय बेटी को हवस का शिकार बनाने के आरोप में उसके पिता को गिरफ्तार किया गया। 21 दिसम्बर को पुणे के हड़पसर में अपनी 17 वर्षीय सगी बहन से बलात्कार करके उसे गर्भवती करने के आरोप में उसके भाई को गिरफ्तार किया गया। युवती ने बाद में एक बेटे को जन्म दिया। 21 दिसम्बर को रूपनगर में अपनी 17 वर्षीय बेटी से बलात्कार करके उसे गर्भवती करने के आरोप में युवती के पिता के विरुद्ध केस दर्ज।
21-22 दिसम्बर की दरम्यानी रात को जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले के ठाकराकोट गांव में अपनी 18 वर्षीय बेटी से बलात्कार करने के आरोप में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया। 22 दिसम्बर को तमिलनाडु के नागपट्टिनम में एक 12 वर्षीय बच्चा बरामद किया गया जिसे उसके मां-बाप ने 10 हजार रुपए में किसी को बेच दिया था। 24 दिसम्बर को कर्नाटक के कडूरू तालुका के कंचागरानाहल्ली नामक गांव में तलाक देने से इंकार करने पर 63 वर्षीय अध्यापक बासप्पा ने अपनी पत्नी जयअम्मा के घर जाकर उसकी हत्या कर दी। 24 दिसम्बर को राजस्थान में झालावाड़ के एक गांव में एक 40 वर्षीय व्यक्ति धन्ना राम के विरुद्ध अपनी 13 वर्षीय नाबालिग बेटी से 2 बार बलात्कार करने के आरोप में केस दर्ज किया गया।
25 दिसम्बर को तमिलनाडु के तिरुवल्लुर में देवप्रिया नामक युवती ने अपनी मां द्वारा एक युवक से उसका प्रेम संबंध स्वीकार न करने पर अपने प्रेमी और दो अन्य लोगों के साथ मिल कर अपनी मां को मार डाला। 26 दिसम्बर को मध्य प्रदेश के खालवा में अपनी नवजात बेटी के हाथों और पैरों में 5 की बजाय 6-6 उंगलियां देख कर उसे अशुभ मानते हुए उसकी मां ने हाथों-पैरों से उसकी एक-एक उंगली काट डाली जिससे 6 घंटों के भीतर बच्ची की मृत्यु हो गई। 27 दिसम्बर को महाराष्ट्र के सांगली में पति द्वारा त्यागी गई एच.आई.वी. पीड़ित महिला ने पानी से भरी बाल्टी में डुबो कर अपने 40 दिन के बेटे की हत्या करने के बाद कुएं में छलांग लगा कर आत्महत्या की कोशिश की। 30 दिसम्बर को ही उत्तर प्रदेश में भदोही के गांव गोपीगंज में छेड़छाड़ का विरोध करने पर अपराधी तत्वों ने पहले तो एक महिला के घर में घुस कर उसे पीटा और फिर उसे निर्वस्त्र करके दौड़ लगाने को मजबूर किया।
31 दिसम्बर को बंगाल के जाधवपुर में जाधवपुर विश्वविद्यालय के एक अध्यापक के विरुद्ध अपनी बूढ़ी मां से मारपीट करके सर्दी की रात में घर से बाहर निकाल देने के आरोप में केस दर्ज किया गया। वृद्धा उसकी देखभाल के लिए गांव से आई थी जिसका कुछ दिन पूर्व एक्सीडैंट हो गया था। 31 दिसम्बर को मुम्बई के विरार में अपनी बेटी शाइस्ता को लम्बे समय तक मोबाइल पर बात करती देखकर गुस्से में आए मोहम्मद मंसूर नामक एक व्यक्ति ने पहले तो उसे पीटा और फिर उस पर मिट्टी का तेल छिड़क कर आग लगा कर जला डाला। 01 जनवरी को रोहतक में अपने मायके में रह रही 30 वर्षीय महिला की उसके पति ने छुरा मार कर हत्या कर दी। मृतका एक निकटवर्ती अस्पताल में नौकरी करती थी और उसका पति चाहता था कि वह उसके पास आकर झज्जर में रहे और बच्चों की देखभाल करे। 03 जनवरी को उत्तर प्रदेश के बिजनौर में बेटी के जन्म से नाखुश युवक राम निवास ने 8 दिन की बेटी को जमीन पर पटक कर मार डाला।
उक्त घटनाएं इस कटु तथ्य की साक्षी हैं कि आज हम अपने प्राचीन नैतिक मूल्यों से किस कदर नीचे गिर गए हैं। अत: हमारी धार्मिक और सामाजिक संस्थाओं को ऐसी घटनाओं की गहराई में जाकर इनके विरुद्ध समाज में प्रचार करने और आगे आकर इस मामले में लोगों को शिक्षित करने की उसी प्रकार जरूरत है जिस प्रकार प्राचीनकाल में देश में हमारे महापुरुषों ने किया। यदि ऐसा नहीं किया गया तो देश और गर्त में चला जाएगा।—विजय कुमार