एक-दूसरे पर ‘कीचड़ उछालने’ का यह सिलसिला अब बंद होना चाहिए

Edited By ,Updated: 26 Sep, 2020 02:24 AM

this process of  throwing mud  at each other should now stop

मुगलों और अंग्रेजों की गुलामी से मुक्ति के बाद स्वतंत्रता के 73 वर्षों में देश पर कांग्रेस, जनता पार्टी, भाजपा सहित लगभग सभी दलों का शासन रहा है परंतु कुछ वर्षों से जिस प्रकार लगभग सभी दलों के नेताओं ने छोटे-बड़े तमाम मुद्दों को लेकर फिजूल बातें बोल...

मुगलों और अंग्रेजों की गुलामी से मुक्ति के बाद स्वतंत्रता के 73 वर्षों में देश पर कांग्रेस, जनता पार्टी, भाजपा सहित लगभग सभी दलों का शासन रहा है परंतु कुछ वर्षों से जिस प्रकार लगभग सभी दलों के नेताओं ने छोटे-बड़े तमाम मुद्दों को लेकर फिजूल बातें बोल कर एक-दूसरे की ‘कमजोरियां’ बताने के नाम पर एक-दूसरे के विरुद्ध ऊल-जलूल बयानों का कीचड़ उछालने का दुष्चक्र शुरू किया है, ऐसा इससे पहले कभी नहीं हुआ था। आज हमारा देश हर क्षेत्र में तरक्की करके आगे बढ़ते हुए विश्व में अपना महत्वपूर्ण स्थान बना चुका है परंतु हमारे चंद नेताओं द्वारा दिए जाने वाले ऐसे बयान हमारी विश्वव्यापी साख को बट्टा ही लगा रहे हैं। 

इसीलिए हम प्राय: लिखते रहते हैं कि हमारे माननीयों को हर बात सोच-समझ कर ही बोलनी चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी एक से अधिक बार अपनी पार्टी के सदस्यों को सलाह दे चुके हैं ताकि अनावश्यक विवाद पैदा न हों परंतु लगता है कि उनकी सलाह बहरे कानों में ही पड़ी है जिसका बड़बोले नेताओं पर कोई असर नहीं हो रहा। इसी तरह दूसरी पार्टियों के माननीयों द्वारा भी कटुतापूर्ण बयान देने का सिलसिला जारी है और जब भी देश के आगे कोई ज्वलंत मुद्दा या चुनाव आते हैं, ऐसी बयानबाजी तेज हो जाती है जिसके चंद उदाहरण निम्न हैं :

* 11 सितम्बर को हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने कांग्रेस द्वारा गुलाम नबी आजाद को पार्टी महासचिव के पद से हटाने को लेकर राहुल गांधी की बुद्धिमता पर सवाल खड़े किए और कहा, ‘‘कांग्रेस अपने आखिरी दिन गिन रही है।’’ उन्होंने यह भी कहा,‘‘महाराष्ट्र में सरकार नहीं बल्कि एक गैंग काम कर रहा है।’’ 

* 13 सितम्बर को हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कांग्रेस पार्टी की तुलना ‘कोरोना’ महामारी से करते हुए विधानसभा में कहा, ‘‘कांग्रेस और ‘कोरोना’ महामारी दोनों की एक ही राशि है। कोविड-19 का इलाज खोजना अभी बाकी है परंतु देश से कांग्रेस का इलाज हो गया है। यही नहीं, लगता है कि ‘कोरोना’ का कीड़ा विपक्ष के दिमाग में घुस गया है।’’ 

* 14 सितम्बर को तृणमूल कांग्रेस के नेता सौगत राय ने लोकसभा में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को निशाना बना कर निजी टिप्पणी की जिसे नारी जाति का अपमान बताते हुए उनसे माफी मांगने को कहा गया। 
* 14 सितम्बर को राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मोरों के साथ समय बिताते हुए वीडियो सांझा किया और कटाक्ष करते हुए कहा,‘‘मोदी सरकार कह रही है कि ‘आत्मनिर्भर बनो’। ‘आत्मनिर्भर’ बनने का मतलब है कि अपनी जान खुद बचाओ क्योंकि प्रधानमंत्री मोर के साथ व्यस्त हैं।’’
* 18 सितम्बर को भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने लालू यादव की पार्टी ‘राजद’ पर कटाक्ष करते हुए कहा, ‘‘अब ‘लालटेन’ (राजद का चुनाव चिन्ह) में न ‘तेज’ है और न ही ‘प्रताप’ है। अब केवल नाम बचा है तथा बिहार में होने वाला चुनाव नीतीश कुमार बनाम ‘नन’ है।’’ 

* 18 सितम्बर को ‘आप’ सांसद भगवंत मान ने केंद्र सरकार द्वारा पारित कृषि विधेयकों के विरुद्ध केंद्रीय मंत्रिमंडल से हरसिमरत कौर बादल के त्यागपत्र पर टिप्पणी करते हुए  कहा, ‘‘नाटक क्वीन का त्यागपत्र सांप गुजरने के बाद लकीर पीटने की तरह है।’’
* 18 सितम्बर को लोकसभा में विरोधी दलों द्वारा ‘पी.एम. केयर्स फंड’ बारे प्रश्र उठाने पर वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर के यह कहने पर बवाल मच गया है कि ‘‘1948 में नेहरू ने शाही फरमान की तरह ‘प्रधानमंत्री राहत कोष’ बनाने का आदेश दिया...इसका आज तक पंजीकरण नहीं कराया गया है, इसकी जांच होनी चाहिए...’’‘‘इसकी स्थापना केवल नेहरू-गांधी परिवार को लाभ पहुंचाने के लिए की गई थी...सच्चाई यह है कि विपक्ष की नीयत खराब है, इसलिए उन्हें अच्छा काम भी खराब नजर आता है।’’ 

* 18 सितम्बर को बंगाल कांग्रेस के नवनियुक्त अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने आरोप लगाया, ‘‘बंगाल में भाजपा की सबसे बड़ी एजैंट ममता बनर्जी हैं जिनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस के अनेक सदस्य संसद में नागरिकता संशोधन विधेयक पर मतदान के दौरान अनुपस्थित रहे।’’ 

* 18 सितम्बर को हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा गैर भाजपा दलों को इकट्ठा करके किसानों के लिए जारी विधेयक का विरोध करने सम्बन्धी ट्वीट के जवाब में समूचे विपक्ष को निशाने पर लेते हुए कहा, ‘‘जब भी देश में कोई अच्छा काम होता है तो ये उसमें विघ्न डालने का काम करते हैं। जिस तरह पुराने जमाने में ऋषियों के यज्ञ में राक्षस आकर उसमें हड्डियां डाल देते थे। ये वही राक्षस हैं।’’ उपरोक्त बयानों के अलावा भी हमारे मान्य जनप्रतिनिधियों ने और न जाने कितने बयान देकर समाज में कटुता के बीज बोने का सिलसिला जारी रखा हुआ है जो कदापि उचित नहीं है। 

हमारे विचार में यदि हमारे नेतागण किसी मुद्दे पर अपनी असहमति व्यक्त करने के लिए कटु और चुभने वाली भाषा का इस्तेमाल करने की बजाय संयत और तर्कसंगत शब्दावली का प्रयोग करें तो क्या यह उचित न होगा! नहीं भूलना चाहिए कि द्रौपदी के दुर्योधन को कहे एक कटु वचन ‘अंधे का अंधा बेटा’ ने ही महाभारत का युद्ध करवाया था।-विजय कुमार 

Related Story

India

397/4

50.0

New Zealand

327/10

48.5

India win by 70 runs

RR 7.94
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!