कर्नाटक में कयामत का दिन आज कहीं प्रदर्शन तो कहीं पुष्पवर्षा, सेबों के हार, आरोपों की बौछार

Edited By Pardeep,Updated: 12 May, 2018 02:54 AM

today is the day of doom in karnataka somewhere in the performance of apples

सभी अनुमान लगाने में व्यस्त हैं कि शनिवार को मतदान के बाद इस बार कर्नाटक में किसकी सरकार बनेगी। जहां कांग्रेस ने अपनी सरकार बचाने के लिए पूरा जोर लगा दिया है वहीं भाजपा ने कांग्रेस को हराने के लिए कमर कसी हुई है और जद (एस) भी इन दोनों को चुनौती दे...

सभी अनुमान लगाने में व्यस्त हैं कि शनिवार को मतदान के बाद इस बार कर्नाटक में किसकी सरकार बनेगी। जहां कांग्रेस ने अपनी सरकार बचाने के लिए पूरा जोर लगा दिया है वहीं भाजपा ने कांग्रेस को हराने के लिए कमर कसी हुई है और जद (एस) भी इन दोनों को चुनौती दे रहा है। 

गत 30 वर्षों के रुझान में यह तथ्य उभर कर आता है कि राज्य की जनता ने कभी भी सत्ताधारी पार्टी के पक्ष में वोट नहीं किया। 1998 में कांग्रेस ने जनता दल को हराया तो 1994 में कांग्रेस हारी और जनता दल जीता। फिर 1999 में कांग्रेस ने जनता दल से सत्ता छीनी, 2004 में कांग्रेस हार गई और वहां कांग्रेस और जद (एस) की संयुक्त सरकार बनी, 2008 में भाजपा सत्ता में आई और 2013 में कांग्रेस जीत गई। 

इस लिहाज से इस बार भाजपा या जद (एस) की बारी है परन्तु ओपिनियन पोल के अनुसार इस बार मुख्यमंत्री के रूप में एक बार फिर कांग्रेस के सिद्धरमैया ही पहली पसंद माने जा रहे हैं। दूसरे नंबर पर भाजपा के येद्दियुरप्पा और तीसरे स्थान पर जद (एस) के कुमार स्वामी हैं। हालांकि दोनों बड़ी पार्टियां अपनी जीत के दावे कर रही हैं परंतु कुछ ओपिनियन पोल त्रिशंकु विधानसभा की भविष्यवाणी कर रहे हैं जिसमें जद (एस) किंगमेकर की भूमिका निभाएगी परंतु जद (एस) नेता कुमारस्वामी का कहना है कि मैं किंग मेकर नहीं किंग ही बनूंगा। 

कंस्ट्रक्शन वर्करों, ड्राइवरों, घरेलू नौकरों आदि को विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा चुनाव प्रचार के लिए बढिय़ा भोजन के अलावा 500 से 2000 रुपए दैनिक पर भर्ती कर लेने के कारण इनकी कमी पैदा हो गई और जिनके घरों में ये काम करते थे उन्हें भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। पिछले दिनों जद (एस) के एक उम्मीदवार पर मतदाताओं को तिरुमाला की तीर्थयात्रा पर ले जाने की पेशकश करने का आरोप लगा। अब चिकमगलूर से भाजपा प्रत्याशी सी.टी. रवि पर मतदाताओं को एक धर्मस्थल की यात्रा पर ले जाने का आरोप लगा है और अधिकारियों ने 2 बसें भी जब्त की हैं। 

चुनाव अभियान में भाजपा व कांग्रेस के नेताओं ने एक-दूसरे पर तीखे आरोप लगाए हैं। नरेन्द्र मोदी ने राहुल गांधी को ‘बाल्टी वाला दबंग’ करार दिया (जो कतार में खड़े प्रधानमंत्री पद के अभिलाषियों को पीछे धकेल कर खुद आगे आ खड़ा हुआ है)। नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह भांप कर कि बेटा चुनाव नहीं जिता पाएगा, कांग्रेस ने मां (सोनिया गांधी) को चुनाव प्रचार के लिए कर्नाटक भेज दिया। सोनिया गांधी ने 2 साल में पहली बार एक चुनाव सभा को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘नरेन्द्र मोदी को कांग्रेस मुक्त भारत का भूत सता रहा है। वह एक अभिनेता की तरह बात करते हैं। वह अच्छे वक्ता हैं लेकिन अगर भाषणों से पेट भर सकता हो तो मैं चाहूंगी कि वह और भाषण दें।’’ चुनाव अभियान के दौरान नेताओं की जुबान भी फिसलती रही। कांग्रेस के नेता सिद्धरमैया गलती से नरेन्द्र मोदी की तारीफ कर बैठे और कह दिया कि नरेन्द्र मोदी को दिया जाने वाला वोट मुझे वोट देने जैसा होगा। इसी प्रकार भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने अपनी ही पार्टी के नेता तथा पूर्व मुख्यमंत्री येद्दियुरप्पा को भ्रष्टïाचार में नंबर-1 कह दिया। 

उम्मीदवारों के गले में सेबों के हार डालने का रुझान काफी देखा गया। जद (एस) के प्रधान एच.डी. देवेगौड़ा को जब एक चुनाव सभा में ऐसा ही हार पहनाने की कोशिश की गई तो उन्होंने कहा कि पार्टी तो पहले ही फंड की कमी से जूझ रही है, अत: पार्टी वर्कर ऐसी फिजूलखर्ची न करें। इसके साथ ही उन्होंने इस हार को नीलाम करने की घोषणा कर दी जिसे 6 लाख रुपए की सबसे ऊंची बोली देकर उनके एक प्रशंसक ने खरीद लिया। वीरवार को चुनाव प्रचार के अंतिम दिन सिद्धरमैया जब अपने निर्वाचन क्षेत्र चामुंडेश्वरी में गए तो लोगों नेउनके विरुद्ध प्रदर्शन किया जबकि इसी दिन शिकारीपुर में प्रचार करने गए येद्दियुरप्पा पर लोगों ने पुष्प वर्षा की। 

वीरवार को चुनाव प्रचार के अंतिम दिन कर्नाटक में अमित शाह के अलावा 3 मुख्यमंत्रियों, 19 केंद्रीय मंत्रियों तथा पार्टी के 12 अन्य वरिष्ठï नेताओं ने राज्य में चुनाव सभाओं को सम्बोधित किया जिससे स्पष्टï है कि चुनाव जीतने के लिए इन्होंने किस कदर सिर-धड़ की बाजी लगा रखी है। चुनावों के अंतिम दौर में कुछ ऐसे रंग बिखरे। अब यह तो 15 मई को चुनाव परिणामों की घोषणा के बाद ही पता चलेगा कि किस उम्मीदवार के चेहरे का रंग उड़ता और किसके चेहरे का रंग निखरता है।—विजय कुमार 

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