हाफिज सईद की गिरफ्तारी का सच

Edited By ,Updated: 12 Feb, 2017 11:32 PM

true to arrest hafiz saeed

ऐसा अक्तूबर, 2016 में पहली बार हुआ था कि पाकिस्तान की सत्ताधारी पार्टी

ऐसा अक्तूबर, 2016 में पहली बार हुआ था कि पाकिस्तान की सत्ताधारी पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग- नवाज (पी.एम.एल.-एन.) के एक सदस्य राणा मोहम्मद अफजल ने गैर-सरकारी रूप से सक्रिय लोगों विशेषकर जमात उद दावा (जे.यू.डी.) के चीफ हाफिज सईद पर कार्रवाई की मांग की थी। विदेशी मामलों पर नैशनल असैम्बली की स्टैंडिंग कमेटी की बैठक में उन्होंने पूछा कि आखिर ‘हाफिज सईद पाकिस्तान के लिए कौन से अंडे दे रहा है जो हम उसे शरण दे रहे हैं?’


उन्होंने यह भी कहा कि अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर ‘भारत ने जे.यू.डी. चीफ के मामले में हमारे (पाकिस्तान) खिलाफ ऐसा मजबूत केस बना लिया है कि कश्मीर पर होने वाली बैठकों में विदेशी ताकतें कश्मीर को नहीं, उसे (हाफिज सईद) ही भारत-पाक विवाद का मुख्य कारण कहने लगी हैं।’ ऐसे में जब पाकिस्तानी सरकार ने यू-टर्न लेते हुए जे.यू.डी. पर कार्रवाई की तो यह कुछ अजीब-सा लगा।


जमात उद दावा के दफ्तर पर छापा तथा इसके चीफ हाफिज सईद व अन्य सहयोगियों को अनिश्चितकाल के लिए नजरबंद करने के फैसले से कुछ सवाल तो पैदा होते ही हैं। आखिर पाकिस्तान को ऐसा कदम क्योंकर उठाना पड़ा है? कहीं इसका कारण हाफिज द्वारा की गई कोई ऐसी कार्रवाई तो नहीं है जिससे पाक अधिकारी अवगत नहीं थे? या फिर इसकी वजह ट्रम्प प्रशासन का दबाव तो नहीं था? यह सवाल भी बनता है कि क्या पाकिस्तान इस कार्रवाई को अंजाम तक पहुंचाएगा या फिर इतिहास एक बार फिर से दोहराया जाएगा और नजरबंदी, अदालत में केस, जांच-पड़ताल और अंतत: अपर्याप्त सबूतों का खेल चला कर उसे साफ बरी कर दिया जाएगा?


वास्तव में पिछली बार (गत वर्ष) उसे गिरफ्तार करने के बाद छोड़ दिया गया था जिससे उसकी पोजीशन मजबूत हुई थी और न्यायपालिका तथा कार्यपालिका द्वारा उसे छू न पाने के कारण वह पहले से भी अधिक शक्तिशाली तथा बेदाग होकर उभरा जिससे उसकी लोकप्रियता और अधिक बढ़ गई थी। इससे दूसरे आतंकवादी गिरोहों को भी जे.यू.डी. की भांति ही सेना के साथ एक विशेष दर्जा हासिल करने के लिए भारत के विरुद्ध अपनी गतिविधियां तेज करने का प्रोत्साहन मिला न सिर्फ ‘अच्छा आतंकवादी और बुरा आतंकवादी’ की दलील अभी भी पाकिस्तान के लोगों को प्रभावित करती है बल्कि यह तथ्य भी उन्हें प्रभावित करता है कि अभी तक पाकिस्तान में जे.यू.डी. किसी बड़ी पाक विरोधी गतिविधि में शामिल नहीं हुआ है। हाफिज द्वारा पाकिस्तान के आंतरिक मंत्रालय को अपने या अपने संगठन के विरुद्ध कश्मीर में उसकी आतंकवादी कार्रवाई और भारतीय धरती पर हमलों के संबंध में अपने विरुद्ध एक भी एफ.आई.आर. दर्ज करने की चुनौती दी है।


वह तो अपनी गिरफ्तारी का भी प्रोटैस्ट नहीं करेगा क्योंकि जब तक पाकिस्तान सरकार उसके विरुद्ध एक अभेद्य केस नहीं बनाती, जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती, इस गिरफ्तारी से उसे ‘जिंदा शहीद का दर्जा’ प्राप्त हो सकता है। न सिर्फ पाकिस्तानी सेना हाफिज सईद का पूर्ण समर्थन करती है बल्कि लोगों ने भी उसकी नजरबंदी के विरुद्ध प्रदर्शन करने शुरू कर दिए हैं।


पाकिस्तान का अंतर्राष्ट्रीय दबाव के आगे झुकना ही हाफिज सईद की गिरफ्तारी के पीछे एकमात्र कारण नहीं है बल्कि इसके पीछे हाफिज सईद की गिरफ्तारी से ठीक पहले एशिया पैसेफिक ग्रुप द्वारा ‘द न्यूज’ में मनीलांड्रिग पर प्रकाशित रिपोर्ट भी है। इस रिपोर्ट में दक्षिण और मध्य एशिया के लिए अमरीका के सहायक विदेश मंत्री रिचर्ड बुचर ने जे.यू.डी. की गतिविधियों और उसके धन स्रोतों के संबंध में आपत्तियां व्यक्त करते हुए चेतावनी दी थी कि अमरीका पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट कर देगा। ऐसे में गौरतलब है कि धन की ‘राऊंड ट्रिपिंग’ केवल जे.यू.डी. का ही पैसा नहीं, बल्कि पाकिस्तानी सैन्य अधिकारियों व राजनीतिज्ञों का भी है।


बाद में अमरीकी राजदूत ने पाकिस्तान के विदेश मंत्री से जे.यू.डी. के संबंध में रिपोर्ट देने तथा यह बताने के लिए कहा था कि उसके संबंध में क्या कार्रवाई की गई है और यही संभवत: पाकिस्तान सरकार द्वारा सईद हाफिज की गिरफ्तारी का कारण बना।चूंकि भारत सरकार पाकिस्तान द्वारा जे.यू.डी. पर  केवल प्रतिबंध ही नहीं चाहती तथा चीन पाकिस्तान पर प्रतिबंध लगाए जाने का इच्छुक नहीं है, ऐसे में इन दोनों ने अपने भारत विरोधी तेवर तीखे कर लिए हैं।

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