ट्रम्प की यात्रा महत्वपूर्ण : गुणगान बहुत पर सवाल यह कि हमें मिला क्या

Edited By ,Updated: 27 Feb, 2020 12:35 AM

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शुरू से ही विश्व का सर्वाधिक शक्तिशाली देश माना जाने के कारण अमरीकी राष्ट्रपतियों की विदेश यात्राओं को सारा विश्व उत्कंठा से देखता है। अत: कुदरती तौर पर डोनाल्ड ट्रम्प की 24 और 25 फरवरी की सपरिवार भारत यात्रा पर सारे विश्व की नजरें थीं कि वह भारत को...

शुरू से ही विश्व का सर्वाधिक शक्तिशाली देश माना जाने के कारण अमरीकी राष्ट्रपतियों की विदेश यात्राओं को सारा विश्व उत्कंठा से देखता है। अत: कुदरती तौर पर डोनाल्ड ट्रम्प की 24 और 25 फरवरी की सपरिवार भारत यात्रा पर सारे विश्व की नजरें थीं कि वह भारत को क्या देकर और भारत से क्या लेकर जाते हैं। 

डोनाल्ड ट्रम्प से पहले 6 अमरीकी राष्ट्रपति भारत यात्रा पर आए हैं। पं. जवाहर लाल नेहरू के प्रधानमंत्री काल में ड्वाइट आइजनहॉवर (9-14 दिसम्बर, 1959), इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री काल में रिचर्ड निक्सन (31 जुलाई-1 अगस्त, 1969), मोरारजी देसाई के शासनकाल में जिमी कार्टर (1-3 जनवरी, 1978), अटल बिहारी वाजपेयी के दौर में बिल क्लिंटन (21-25 मार्च, 2000) भारत यात्रा पर आए। इनके अलावा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के दौर में 2 अमरीकी राष्ट्रपति जार्ज डब्ल्यू बुश (1-3 मार्च, 2006) और बराक ओबामा (6-9 नवम्बर, 2010) भारत यात्रा पर आए जबकि बराक ओबामा एक बार फिर जनवरी, 2015 में नरेंद्र मोदी के निमंत्रण पर भारत के गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्यातिथि के रूप में भाग लेने के लिए भारत आए। 

डोनाल्ड ट्रम्प की भारत यात्रा पर 100 करोड़ रुपए से अधिक खर्च किया गया। इससे पूर्व भारत में किसी भी अमरीकी राष्ट्रपति का स्वागत-सम्मान और अतिथि सत्कार इतने बड़े पैमाने पर नहीं किया गया था। प्रेक्षकों के अनुसार अमरीकी राष्ट्रपति का चुनावी वर्ष होने के नाते ट्रम्प अमरीका में रहने वाले 40 लाख भारतीयों, जिनमें बड़ी संख्या गुजरातियों की है, को प्रभावित करने का एजैंडा लेकर भारत आए थे और भारत सरकार द्वारा गुजरात के अहमदाबाद से उनकी भारत यात्रा की शुरूआत करने से इसमें उन्हें काफी सहायता मिली। 

राजनीतिज्ञ के अलावा एक सफल व्यापारी होने के नाते वह भारत को 22,000 करोड़ रुपए के हथियार बेचने में भी सफल रहे और छिटपुट अन्य समझौतों के अलावा कुछ बड़े समझौतों की घोषणा उन्होंने इसी वर्ष किसी समय होने वाली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संभावित अमरीका यात्रा पर करने के लिए रोक ली है। अमरीका के भारतीय मतदाताओं को लुभाने के लिए ही ट्रम्प भारत के साथ अपनापन बढ़ा रहे हैं क्योंकि पिछले चुनावों में 3-4 राज्यों में वह बहुत ही कम अंतर से जीते थे, अत: उनके लिए भारतीयों के वोट बहुत महत्वपूर्ण हैं। 

भारत विश्व के इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने में अमरीका का सहयोग चाहता है। ट्रम्प ने बेशक आतंकवाद पर पाकिस्तान को नसीहत तो अवश्य दी परंतु इसके साथ ही पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ अपने अच्छे संबंध होने की बात कहने के अलावा कश्मीर समस्या पर मध्यस्थता की बात कह कर भारत को असहज कर दिया। डोनाल्ड ट्रम्प पहले भी कई बार यह बात कह चुके हैं जबकि भारत इसका विरोध कर चुका है और शुरू से ही कश्मीर समस्या के अंतर्राष्ट्रीयकरण और इसमें बाहरी हस्तक्षेप का विरोधी रहा है। व्यापार संबंधों में भी कोई विशेष लाभ मिलने की आशा नहीं है क्योंकि भारतीय व्यापारी अमरीका के साथ एक मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत की जो उम्मीद लगाए हुए थे वह पूरी नहीं हुई।

हाल के वर्षों में अमरीका द्वारा लागू एच.1 बी वीजा के लिए आवेदन करने वाले भारतीय आई.टी. पेशेवरों के आवेदन रद्द होने की संख्या में भारी वृद्धि हुई है जिस कारण भारत की अनेक आई.टी. कम्पनियों को काफी नुक्सान हो चुका है परंतु भारतीय पेशेवरों को अमरीका में रह कर नौकरी करने के लिए लागू एच.1 बी वीजा के कठोर नियम नर्म करने बारे भारत की मांग पर भी ट्रम्प ने कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया। 

बेशक ट्रम्प द्वारा ‘सिंगल स्टेट विजिट’ के अंतर्गत केवल भारत आना बहुत मायने रखता है और इस दौरे के दौरान नरेंद्र मोदी तथा ट्रम्प दोनों ने ही एक-दूसरे का गुणगान तो बहुत किया लेकिन भारत को कुछ मिला नहीं। कुल मिलाकर डोनाल्ड ट्रम्प का यह दौरा इन मायनों में ‘संतोषजनक’ कहा जा सकता है कि किसी भी वायरस से डरने और कोरोना वायरस के विश्व के अनेक देशों में फैलने के बावजूद वह अमरीका से बाहर निकल कर सपरिवार भारत यात्रा पर आए लेकिन भारतीयों की उम्मीदों पर पूरी तरह खरे नहीं उतरे।—विजय कुमार

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