उद्धव ठाकरे ने वापस लिया शिरडी साई बाबा बारे बयान

Edited By ,Updated: 23 Jan, 2020 03:57 AM

uddhav thackeray withdrew statement about shirdi sai baba

हम समय-समय पर लिखते रहते हैं कि हमारे नेताओं में बिना सोचे-विचारे बयान देने के रुझान से अनावश्यक विवाद पैदा होते रहते हैं। इसी महीने के दौरान शिवसेना में नम्बर 1 और 2 के सर्वाधिक शक्तिशाली नेताओं उद्धव ठाकरे और संजय राऊत द्वारा दिए गए 2 बयानों से भी...

हम समय-समय पर लिखते रहते हैं कि हमारे नेताओं में बिना सोचे-विचारे बयान देने के रुझान से अनावश्यक विवाद पैदा होते रहते हैं। इसी महीने के दौरान शिवसेना में नम्बर 1 और 2 के सर्वाधिक शक्तिशाली नेताओं उद्धव ठाकरे और संजय राऊत द्वारा दिए गए 2 बयानों से भी ऐसी ही स्थिति पैदा हुई है। एक बयान 16 जनवरी को संजय राऊत ने दिया जिसमें उन्होंने दावा किया था कि ‘‘पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी दक्षिण मुम्बई के पाईधोनी में पुराने डॉन करीम लाला से मिलने आती थीं।’’ संजय राऊत के इस बयान से विवाद पैदा हुआ तथा उन्हें इसके लिए माफी मांगनी पड़ी। 

हालांकि बाद में एक फोटो वायरल हुआ जिसमें करीम लाला के साथ शिवसेना के संस्थापक बाला साहेब ठाकरे बैठे दिखाई दे रहे थे। इसी प्रकार एक विवाद उद्धव ठाकरे द्वारा गत दिनों शिरडी के साई बाबा बारे दिए इस बयान से उठ खड़ा हुआ कि राज्य सरकार साई बाबा के जन्म स्थान के रूप में (परभणी जिले में स्थित) पाथरी गांव का विकास करेगी और ‘साई जन्म स्थान’ के विकास के लिए 100 करोड़ रुपए दिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि ‘‘साई बाबा का बड़ी संख्या में हिन्दू और मुसलमान अत्यधिक सम्मान करते हैं। अत: उनके जन्म स्थान पाथरी का विकास किया जाना चाहिए।’’

उद्धव ठाकरे का उक्त बयान आते ही शिरडी के लोगों का आक्रोश भड़क उठा और साई भक्तों द्वारा उनसे अपना बयान वापस लेने और माफी मांगने की मांग उठ खड़ी हुई। इसी सिलसिले में 18 जनवरी देर शाम ‘शिरडी ग्राम सभा’ ने तीन प्रस्ताव भी पारित कर दिए और ठाकरे के बयान के विरोध में 19 जनवरी को शिरडी तथा आसपास के इलाकों में पूर्ण बंद रखा गया। हालात की गंभीरता को देखते हुए बैकफुट पर आए उद्धव ठाकरे ने इस विवाद पर चर्चा के लिए सोमवार 20 जनवरी को मंत्रालय की बैठक बुलाई जिसमें उनके बयान वापस लेने के बाद यह विवाद खत्म हो गया। साई भक्तों का कहना है कि उन्हें पाथरी के विकास पर कोई आपत्ति नहीं है परंतु उसे साई की जन्म भूमि बताना ठीक नहीं है क्योंकि उन्होंने कभी भी अपने धर्म और जन्म स्थान के बारे में नहीं बताया था। उनकी कर्मभूमि शिरडी है और शिरडी की पहचान भी बाबा से होती है। 

‘शिरडी साई बाबा संस्थान ट्रस्ट’ के पूर्व ट्रस्टी सचिन ताम्बे के अनुसार, ‘‘2017 में जब राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद शिरडी आए थे तब उन्होंने भी भूलवश पाथरी को बाबा की जन्मभूमि बता दिया था पर बाद में जब हमने उन्हें तथ्य बताए तो उन्होंने भूल स्वीकार कर अपने भाषण में सुधार कर दिया था।’’ बहरहाल अब जबकि यह विवाद सुलझ गया है तो हम यही कहना चाहेंगे कि राजनीतिज्ञों को संवेदनशील मुद्दों पर सलाह-मशविरा किए बिना नहीं बोलना चाहिए क्योंकि इससे समाज में अनावश्यक विवाद पैदा होते हैं और लोगों में खामख्वाह बेचैनी पैदा होती है।—विजय कुमार 

Related Story

India

397/4

50.0

New Zealand

327/10

48.5

India win by 70 runs

RR 7.94
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!