महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर ‘अनिश्चितता की स्थिति बरकरार’

Edited By ,Updated: 29 Oct, 2019 12:39 AM

uncertainty prevails to form government in maharashtra

महाराष्ट्र में भाजपा की पिछली बार की 122 सीटों के मुकाबले 105 सीटें रह जाने से 17 सीटों के घाटे और शिवसेना के कम सीटों पर चुनाव लड़ कर 56 सीटें जीत लेने के बाद शिवसेना के प्रवक्ता संजय राऊत ने भाजपा को 50-50 फार्मूले पर सहमति की याद दिलाते हुए...

महाराष्ट्र में भाजपा की पिछली बार की 122 सीटों के मुकाबले 105 सीटें रह जाने से 17 सीटों के घाटे और शिवसेना के कम सीटों पर चुनाव लड़ कर 56 सीटें जीत लेने के बाद शिवसेना के प्रवक्ता संजय राऊत ने भाजपा को 50-50 फार्मूले पर सहमति की याद दिलाते हुए आदित्य ठाकरे को अगला मुख्यमंत्री बनाने की मांग रख दी है। 

इस बीच अपने मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में फिल्म ‘शोले’ में एक पात्र द्वारा बोले गए डॉयलाग ‘‘इतना सन्नाटा क्यों है भाई’’ का इस्तेमाल करते हुए शिवसेना ने 28 अक्तूबर को देश और महाराष्ट्र में आर्थिक सुस्ती को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। सम्पादकीय में इसके लिए सरकार की नोटबंदी और गलत तरीके से जी.एस.टी. लागू करने को जिम्मेदार बताते हुए लिखा है कि :

‘‘सुस्ती के डर से बाजारों की रौनक चली गई है और बिक्री में 30 से 40 प्रतिशत कमी आई है। उद्योगों की हालत खराब है। रोजगार जा रहे हैं। दीवाली पर बाजारों में सन्नाटा छाया है और विदेशी कम्पनियां ऑनलाइन शापिंग साइटों के जरिए देश के धन से अपनी तिजोरियां भर रही हैं।’’ 

इस बीच, जहां 28 अक्तूबर को शिवसेना और भाजपा के प्रतिनिधिमंडलों ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से अलग-अलग भेंट की, वहीं शिवसेना ने अपने तेवर अधिक तल्ख करते हुए कहा है कि ‘‘हमें अढ़ाई वर्ष के लिए मुख्यमंत्री पद चाहिए और भाजपा नेतृत्व को यह लिख कर देना होगा। वे (भाजपा) अपने वायदे से नहीं मुकर सकते। यह उनका (50-50) हमारे साथ समझौता है।’’ इससे पूर्व शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे भी कह चुके हैं कि ‘‘हमने लोकसभा और विधानसभा चुनावों में कम सीटों पर चुनाव लड़ा। मैं हर बार भाजपा का मोहरा नहीं बन सकता। मैं भाजपा को उस फार्मूले (50-50) की याद दिलाना चाहता हूं जो (अमित) शाह की उपस्थिति में तय हुआ था।’’ 

इस बीच देर शाम संजय राऊत ने भाजपा को चेतावनी और राकांपा के साथ जाने का संकेत देते हुए कहा है कि ‘‘हमें मजबूर न करो, राजनीति में कोई संत नहीं होता।’’ राऊत के उक्त बयान को देखते हुए माना जा रहा है कि शिवसेना राकांपा के साथ मिल कर सरकार बना सकती है। इस बीच जहां भाजपा और शिवसेना निर्दलीयों को साधने में जुट गई हैं और शिवसेना के दो विजयी बागियों ने इसे समर्थन देने की घोषणा भी कर दी है, वहीं कांग्रेस ने भी सरकार की रेस में शामिल होने का संकेत देते हुए शिवसेना से सरकार बनाने का प्रस्ताव मिलने पर विचार करने की बात कह दी है। 

दूसरी ओर कांग्रेस की गठबंधन सहयोगी राकांपा के सुप्रीमो शरद पवार ने शिवसेना के साथ जुडऩे से इंकार करते हुए कहा है कि ‘‘हमें विपक्ष में बैठने का जनादेश मिला है।’’ हरियाणा में तो भाजपा ने जजपा के साथ मिल कर सरकार बना ली है परंतु महाराष्ट्र में नई सरकार के गठन को लेकर अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है। दोनों दलों में जारी तनाव के बीच जनता के फतवे को देखते हुए आखिरकार सरकार बनेगी तो भाजपा और शिवसेना की ही परंतु यह कितने दिन चलेगी, इसका उत्तर भविष्य के गर्भ में है।—विजय कुमार   

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