‘संसद और विधानसभाओं में हंगामे’ ‘समय, धन और मर्यादा की बर्बादी’

Edited By ,Updated: 25 Mar, 2021 01:51 AM

uproar in parliament and legislatures  waste of time money and dignity

इसे विडम्बना ही कहा जाएगा कि आज भारतवर्ष की संसद और विधानसभाओं में बैठने वाले माननीय इनकी उच्च मर्यादा भूलते जा रहे हैं जिस कारण ये देश हित के मुद्दों पर विचार-विमर्श के स्थान पर शोरगुल व अव्यवस्था का प्रतीक बन गए हैं

इसे विडम्बना ही कहा जाएगा कि आज भारतवर्ष की संसद और विधानसभाओं में बैठने वाले माननीय इनकी उच्च मर्यादा भूलते जा रहे हैं जिस कारण ये देश हित के मुद्दों पर विचार-विमर्श के स्थान पर शोरगुल व अव्यवस्था का प्रतीक बन गए हैं जो इसी माह के निम्र उदाहरणों से स्पष्ट है : 

* 1 मार्च को झारखंड विधानसभा की कार्रवाई शुरू होते ही विपक्षी  विधायक आसन के निकट पहुंच कर सरकार के विरुद्ध नारेबाजी करने लगे और बार-बार सदन की कार्रवाई में व्यवधान पहुंचाते रहे। 
* 8 मार्च को मध्यप्रदेश में मंत्रियों और विधायकों के विधानसभा में दाखिल होने के लिए अलग-अलग रास्ता निर्धारित किए जाने की नई व्यवस्था के विरुद्ध विपक्षी सदस्यों ने हंगामा किया और कहा कि ऐसा करके उनके साथ भेदभाव किया जा रहा है। 
* 10 मार्च को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का विधानसभा परिसर में घेराव करने और उन्हें काले झंडे दिखाने के आरोप में बिक्रम सिंह मजीठिया सहित 9 शिअद विधायकों के विरुद्ध हरियाणा सरकार की ओर से दी गई शिकायत के आधार पर केस दर्ज किया गया। 

* 12 मार्च को दिल्ली विधानसभा में दंगा पीड़ितों को क्षतिपूर्ति की समीक्षा के लिए गठित समिति की रिपोर्ट पेश करने के दौरान भारी हंगामा हुआ।
* 16 मार्च को राजस्थान विधानसभा में जन प्रतिनिधियों के फोन टैपिंग संबंधी 2 स्थगन प्रस्ताव विधानसभा अध्यक्ष सी.पी. जोशी द्वारा रद्द करने के विरुद्ध विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण सदन की कार्रवाई 4 बार रुकी।
* 18 मार्च को गुजरात विधानसभा में  कांग्रेस विधायक ऋत्विक मकवाना द्वारा वीर सावरकर के संबंध में आपत्तिजनक टिप्पणी के जवाब में उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल (भाजपा) द्वारा कांग्रेस के बारे में की गई आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद दोनों पक्षों के सदस्यों ने जम कर हंगामा किया जिससे काफी देर तक सदन में अफरा-तफरी का माहौल बना रहा। 

* 23 मार्च को कर्नाटक विधानसभा में भाजपा विधायक एवं पूर्व मंत्री रमेश जरकिहोली की संलिप्तता वाले ‘नौकरी के बदले सैक्स’ स्कैंडल को लेकर विपक्षी सदस्यों ने हंगामा और विरोध- प्रदर्शन किया जिससे कार्रवाई बार-बार स्थगित हुई। सरकार भी विपक्ष की मांग नहीं मानने पर अड़ी रही। 

* 23 मार्च वाले दिन ही बिहार विधानमंडल में सरकार द्वारा लाए गए पुलिस अधिनियम 2021 के विरोध में विरोधी दलों के विधायकों के जबरदस्त हंगामे के परिणामस्वरूप न सिर्फ 4 बार सदन की कार्रवाई स्थगित करनी पड़ी बल्कि विपक्षी विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा को उनके चैंबर में बंधक बना कर उनका मुख्य द्वार रस्सी बांधकर बंद कर दिया तथा राजद व कांग्रेस की 7 महिला विधायकों ने उनका आसन घेर लिया। 

इससे पहले सदन की कार्रवाई शुरू होते ही राजद व कांग्रेस के विधायकों ने आसन के पास पहुंच कर पुलिस अधिनियम की प्रति फाड़ दी, रिपोर्टर टेबल तोड़ दिया तथा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सामने कुर्सियां पटकीं। इस दौरान मंत्री अशोक चौधरी व राजद विधायक चंद्रशेखर में हाथापाई हुई व एक-दूसरे पर माइक फैंके गए। अंतत: विधानसभा चैंबर के बाहर मौजूद मार्शलों को विपक्षी विधायकों को हटाने के लिए बुलाना पड़ा जिन्होंने एक-एक करके विपक्ष के विधायकों को बाहर निकाला और इस दौरान 3 विधायक घायल हो गए। 

* संभवत: ऐसे ही घटनाक्रम को देखते हुए 23 मार्च को राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू ने सदन में सदस्यों के बातचीत करने पर नाराजगी जताई और नसीहत देते हुए कहा कि अधिकांश सदस्यों को लगता है कि मास्क पहन कर बात करने के कारण उनकी आवाज कम आ रही है इसलिए वे जोर-जोर से बात करने लगते हैं। उन्होंने रेल मंत्री पीयूष गोयल को टोका और कहा कि अगर कोई जरूरी बात है तो वे लॉबी में जाकर कर लें और वापस आ जाएं लेकिन सदन में बात न करें। श्री गोयल ने इस नसीहत के लिए श्री नायडू का धन्यवाद किया। श्री नायडू द्वारा दी गई यह नसीहत बिल्कुल सही है क्योंकि देश को दिशा दिखाने वाले माननीयों से ऐसे आचरण की कदापि आशा नहीं की जाती जिससे सदन के काम में बाधा पैदा हो। 

इससे न केवल सदन और सदस्यों का मूल्यवान समय और सरकारी धन नष्ट होता है, लोगों के आपसी रिश्ते खराब होते हैं बल्कि देश का विकास भी रुकता है और सदन के सदस्यों में आपस में कटुता पैदा होती है। विपक्षी सदस्यों को अपनी बात कहने और किसी भी मुद्दे पर असहमति व्यक्त करने का पूरा अधिकार है। अत: यदि सत्ता पक्ष भी ध्यानपूर्वक उनकी बात सुनकर उन्हें संतुष्ट करे तो इससे न सिर्फ सदन में जनहित से जुड़े काम तेजी से हो सकेंगे बल्कि सद्भाव भी बना रहेगा और इससे देश को लाभ होगा।—विजय कुमार

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