‘उत्तर प्रदेश-अपराधों का सिलसिला’ ‘थमने वाला नहीं दिखता’

Edited By ,Updated: 17 Oct, 2020 01:30 AM

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विशेषकर उत्तर प्रदेश में चल रही अपराधों की आंधी को लेकर देश में बवाल मचा हुआ है। अपराधियों के हौसले इस कदर बढ़ गए हैं कि हाथरस जिले में सामूहिक बलात्कार की शिकार दलित युवती की दिल्ली के एक अस्पताल में 29 सितम्बर को मृत्यु के बाद मुख्यमंत्री योगी

विशेषकर उत्तर प्रदेश में चल रही अपराधों की आंधी को लेकर देश में बवाल मचा हुआ है। अपराधियों के हौसले इस कदर बढ़ गए हैं कि हाथरस जिले में सामूहिक बलात्कार की शिकार दलित युवती की दिल्ली के एक अस्पताल में 29 सितम्बर को मृत्यु के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा दोषियों को कठोरतम दंड देने की घोषणा के बावजूद अपराधी तत्वों के हौसले कम नहीं हुए हैं जो मात्र 10 दिनों की निम्र घटनाओं से स्पष्ट हैं :

* 6 अक्तूबर को अलीगढ़ के इग्लास थाना क्षेत्र में अपने मौसेरे भाई द्वारा बलात्कार की शिकार एक बच्ची ने दम तोड़ दिया। 
* 7 अक्तूबर को फतेहपुर के एक गांव में एक अध्यापिका से सामूहिक बलात्कार और हत्या के बाद उसका रक्तरंजित शव खेतों से बरामद हुआ। 
* 11 अक्तूबर को झांसी पॉलीटैक्निक के परिसर में चल रही एक परीक्षा के दौरान वहां भारी पुलिस फोर्स की मौजूदगी के बावजूद एक छात्र ने एक छात्रा के साथ बलात्कार कर डाला।  
* 11 अक्तूबर को ही देवरिया में कांग्रेस की एक महिला वर्कर द्वारा पिछले चुनावों में पार्टी द्वारा एक बलात्कारी को टिकट देने का आरोप लगाने पर उसके साथियों ने उसकी पिटाई कर डाली। 
* 12 अक्तूबर की रात को गोंडा के ‘पसका’ गांव में घर की छत पर सो रही तीन बहनों पर तेजाब से हमला किया गया जिससे वे बुरी तरह झुलस गईं। 

* 13 अक्तूबर को बरेली के ‘बहरोली’ गांव में सम्पत्ति विवाद में एक युवक ने गोलियां मार कर पूजा कर रहे अपने माता-पिता की हत्या कर दी। 
* 14 अक्तूबर को बाराबंकी जिले के एक गांव में 17 वर्षीय एक दलित युवती की लाश बरामद हुई। प्रारम्भिक जांच के अनुसार किशोरी की गला घोंट कर हत्या की गई है और उसके परिजनों ने उसके साथ बलात्कार किए जाने का आरोप लगाया है। आरोप है कि इस पीड़िता की लाश भी पुलिस द्वारा पोस्टमार्टम की रिपोर्ट आने से पहले ही उसी प्रकार जला दी गई जिस प्रकार 29 सितम्बर को हाथरस की पीड़िता के परिवार को घर में ताला लगाकर बंद करके रात अढ़ाई बजे पुलिस ने पीड़िता का जबरन अंतिम संस्कार करवा दिया था। 

* 14 अक्तूबर को हापुड़ के सिंभावली में एक युवती द्वारा छेड़छाड़ का विरोध करने पर एक आटो चालक ने उसके सिर में पाना मार कर उसकी हत्या कर दी। 
* 14 अक्तूबर को ही बांदा के गांव में बलात्कार की शिकार 9 वर्षीय बच्ची की गंभीर हालत देखते हुए उसे कानपुर के अस्पताल में भर्ती करवाया गया। 
* 15 अक्तूबर को बांदा जिले के ही एक गांव में छेडख़ानी से तंग आकर एक किशोरी ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। 

* 15 अक्तूबर को ही फतेहपुर के ‘कामापुर’ गांव में एक किन्नर की हत्या के बाद उसका शव एक दुकान के बाहर बांस से लटका दिया गया। 
* 15 अक्तूबर को ही जालोन के उरई में एक छात्रा से सामूहिक बलात्कार हुआ।
* 15 अक्तूबर को ही बलिया के ‘दुर्जनपुर’ में सरकारी सस्ते राशन की दुकान की अलाटमैंट को लेकर हुए झगड़े में पुलिस के सामने ही एक पक्ष की ओर से की गई अंधाधुंध फायरिंग में जय प्रकाश उर्फ गामा पाल नामक व्यक्ति मारा गया। इस कांड का मुख्यारोपित धीरेन्द्र प्रताप सिंह उर्फ ‘डब्ल्यू सिंह’ पुलिस की पकड़ में आने के बावजूद खिसक गया, परन्तु उसके भाई को गिरफ्तार कर लिया गया है। चर्चा है कि धीरेंद्र प्रताप सिंह ने बाहर से शूटर मंगवाए थे। धीरेंद्र भाजपा विधायक सुरेन्द्र सिंह का करीबी है। उसका सुरेन्द्र सिंह के साथ एक फोटो भी वायरल हुआ है जिसमें सुरेन्द्र सिंह उसे मिठाई खिलाते दिखाई दे रहे हैं। 

* 16 अक्तूबर को पुलिस ने कानपुर जिले में एक नाबालिग लड़की से बलात्कार के आरोप में 2 युवकों के विरुद्ध केस दर्ज किया। 
* 16 अक्तूबर को ही कानपुर में एक महिला ने एक सिपाही पर बलात्कार करने का आरोप लगाया। उसी दिन खुर्जा में एक युवती से बलात्कार किया गया। 

2018 के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में प्रतिदिन बलात्कार की 11 घटनाएं होती हैं जबकि अन्य अपराध इनके अलावा हैं। बेशक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपराधों पर लगाम लगानेे के प्रयास कर रहे हैं परन्तु इसके बावजूद अपराधों पर अंकुश न लग पाना इस बात का द्योतक है कि राज्य के कानून व्यवस्था ढांचे में कहीं न कहीं भारी गड़बड़ अवश्य है। 

प्रदेश में होने वाले अपराधों में पुलिस और राजनीतिज्ञों की संलिप्तता और उनको संरक्षण देने के मामले भी लगातार सामने आ रहे हैं, जैसा कि हाथरस, बाराबंकी और बलिया घटनाओं से स्पष्ट है। उत्तर प्रदेश और बिहार में अपराधी पृष्ठभूमि के अनेक विधायक और सांसद मौजूद हैं, अत: ऐसे लोगों के रहते हुए राज्य में अपराधों पर अंकुश लगा पाना काफी कठिन है। एसोसिएशन ऑफ डैमोक्रेटिक रिफॉम्र्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश में भाजपा के 36.54 प्रतिशत, सपा के 29.70 प्रतिशत, बसपा के 26.32 प्रतिशत तथा कांग्रेस के 14.29 प्रतिशत विधायक दागी हैं, जबकि बिहार में 41 प्रतिशत राजद, 40 प्रतिशत कांग्रेस, 37 प्रतिशत जद (यू) और 35 प्रतिशत भाजपा नेताओं पर आपराधिक आरोप लगे हुए हैं। 

अत: यदि योगी आदित्यनाथ राज्य में अपराधों पर नियंत्रण पाना चाहते हैं तो उन्हें अपराधियों के विरुद्ध अभियान तेज करने और अपराधी-राजनीतिज्ञ पुलिस के नापाक गठबंधन को तोडऩे के लिए बहुत ही प्रभावशाली कदम उठाने होंगे। इसके साथ ही राज्य में रोजगार के अवसर बढ़ाने की भी आवश्यकता है, ताकि प्रदेश के बेरोजगार युवाओं को कामकाज में व्यस्त करके अपराधों से विमुख करने का प्रयास किया जा सके।—विजय कुमार

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