‘उत्तराखंड की दुर्घटना’‘अतीत से कोई सबक न सीखने का नतीजा’

Edited By ,Updated: 09 Feb, 2021 03:38 AM

uttarakhand crash   the result of not learning any lesson from the past

देवभूमि उत्तराखंड जहां वर्ष भर तीर्थयात्रियों का तांता लगा रहता है, शुरू से ही मानव जाति द्वारा पर्यावरण से छेड़छाड़ के दुष्परिणाम झेलती आ रही है। जून, 2013 में ‘चौराबाड़ी ग्लेशियर’ पिघलने से मंदाकिनी नदी में आई भयानक बाढ़ का पानी केदारनाथ धाम तक जा...

देवभूमि उत्तराखंड जहां वर्ष भर तीर्थयात्रियों का तांता लगा रहता है, शुरू से ही मानव जाति द्वारा पर्यावरण से छेड़छाड़ के दुष्परिणाम झेलती आ रही है। जून, 2013 में ‘चौराबाड़ी ग्लेशियर’ पिघलने से मंदाकिनी नदी में आई भयानक बाढ़ का पानी केदारनाथ धाम तक जा पहुंचा जिसमें 5000 से अधिक लोग मारे गए या लापता हो गए। 

...अब 7 फरवरी सुबह साढ़े 9 बजे उत्तराखंड के चमोली जनपद के उच्च हिमालयी क्षेत्र (नंदा देवी) में ग्लेशियर टूटने से ‘रैणी’ गांव से ऊपर ऋषिगंगा नदी में अचानक जबरदस्त बाढ़ आ जाने से धौली गंगा के किनारे बसे एक दर्जन से अधिक गांवों के अलावा रैणी गांव के निकट स्थित 2 पॉवर प्रोजैक्ट तबाह हो गए तथा अभी तक के समाचारों के अुनसार 26 शव मिल चुके हैं व 197 लोग लापता बताए जाते हैं। 

पानी का बहाव इतना तेज था कि चट्टानें और पेड़ ‘उड़ते’ दिखाई दे रहे थे। ऋषिगंगा नदी पर जहां हाइड्रो पावर प्रोजैक्ट कायम किया गया वह स्थान अत्यंत खतरनाक बताया जाता है। गांव वालों ने सन् 2000 में इसके विरुद्ध याचिका दायर की थी और आंदोलन किया था परंतु इसके बावजूद यह प्रोजैक्ट कायम किया गया। 

वर्ष 2019 की गर्मियों में गांव वालों ने उत्तराखंड हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका भी दायर करके कहा था कि ऋषिगंगा जल विद्युत परियोजना से इस क्षेत्र के लोगों के जान-माल को भारी खतरा हो सकता है। इसके बाद अदालत ने चमोली के जिला अधिकारियों तथा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सचिव को ग्रामीणों द्वारा लगाए गए आरोपों की पृष्ठïभूमि में ऋषिगंगा परियोजना के निरीक्षण का आदेश दिया था। 

वर्ष 2013 में सुप्रीमकोर्ट ने केदारनाथ धाम की घटना पर स्वत: संज्ञान लेते हुए 2014 में अलकनंदा और भागीरथी नदियों के निकट प्रस्तावित 39 में से 24 विद्युत परियोजनाओं पर रोक लगाते हुए चेतावनी दी थी कि राज्य में जल विद्युत परियोजनाएं कायम करना विनाशकारी सिद्ध हो सकता है परंतु उत्तराखंड सरकार ने राज्य में गंभीर बिजली संकट का हवाला देते हुए जलविद्युत परियोजनाओं तथा बांधोंका निर्माण जारी रखा। 

* 2014 में केंद्रीय पर्यावरण और ऊर्जा मंत्रालयों ने बांधों को सुरक्षित बताया था परंतु तत्कालीन जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने 2016 में इस खतरे के बारे में आगाह करते हुए कहा था कि उत्तराखंड में नदियों पर कोई नया बांध या पावर प्रोजैक्ट बनाना खतरनाक होगा। 
* 2017 में नोबेल पुरस्कार विजेता राजेंद्र सिंह ने भविष्यवाणी की थी कि निकट भविष्य में 2013 जैसी दुर्घटना फिर होगी।
* 2019 में प्रकाशित एक अन्य अध्ययन में कहा गया था कि तापमान बढऩे के कारण 21वीं शताब्दी के आरंभ से ही हिमालय के ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं जिससे अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। 
* उत्तराखंड के आसपास स्थित 1834 ग्लेशियर हिमालय पर जमा हो रही ‘ब्लैक कार्बन’ और पृथ्वी के बढ़ते तापमान के कारण दोगुनी तेजी से पिघल रहे हैं। राज्य के जंगलों की आग की तपिश भी ग्लेशियरों तक पहुंच कर तबाही का कारण बन रही है। हालांकि अब पानी का प्रकोप घट गया है तथा बचाव दलों के सदस्य अत्यधिक तेजी से काम कर रहे हैं, परंतु इस घटना ने एक बार फिर पर्यावरण संरक्षण में मानवीय चूकों तथा इस तथ्य को रेखांकित किया है कि सरकारों ने पिछली घटनाओं से कोई सबक नहीं सीखा।

अंधाधुंध और अनियोजित निर्माण इस क्षेत्र में पर्यावरण के लिए सबसे बड़ी चुनौती हैं। होटल और प्राइवेट रियल एस्टेट कम्पनियों द्वारा पर्यावरण की सुरक्षा संबंधी सिफारिशों की उपेक्षा करके निर्माण करने की शिकायतें आम हैं। यातायात बढऩे के अलावा इस क्षेत्र को विमानों से जोडऩे और बढ़े हुए ट्रैफिक से भी ग्लेशियर पिघल रहे हैं। ऐसी घटनाएं न हों इसके लिए जरूरी है कि पर्वतीय क्षेत्रों में इस समय चल रही सभी परियोजनाओं का पुनरीक्षण किया जाए, भविष्य में कोई भी परियोजना आरंभ करने से पूर्व उस स्थान की भौगोलिक और पर्यावरण की स्थिति को ध्यान में रखा जाए और सुरक्षा सम्बन्धी सब मापदंडों को पूरा करने के बाद ही किसी परियोजना को स्वीकृति दी जाए। 

यदि ऐसा नहीं किया गया तो जिस प्रकार वर्तमान घटना में दो बड़ी परियोजनाएं तबाह होने के अलावा 26 लोगों के शव मिल चुके हैं और 197 लोगों के अभी भी लापता होने के परिणामस्वरूप असंख्य परिवार उजड़ गए हैं, उसी प्रकार भविष्य में भी ऐसी दुर्घटनाओं में परिवार उजड़ते रहेंगे और देश का भी नुक्सान होता रहेगा।—विजय कुमार 

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!