तीर्थ पुरोहितों की नाराजगी देखते हुए उत्तराखंड सरकार ने भंग किया देवस्थानम बोर्ड

Edited By ,Updated: 02 Dec, 2021 04:17 AM

uttarakhand government dissolved devasthanam board

अगले वर्ष पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मणिपुर और गोवा के चुनावों में सफलता पाने के लिए सभी पार्टियां एड़ी-चोटी का जोर लगा रही तथा अनेक प्रकार की रियायतों की घोषणा कर रही हैं। इसी

अगले वर्ष पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मणिपुर और गोवा के चुनावों में सफलता पाने के लिए सभी पार्टियां एड़ी-चोटी का जोर लगा रही तथा अनेक प्रकार की रियायतों की घोषणा कर रही हैं। इसी सिलसिले में उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी की सरकार (भाजपा) ने फैसला लेते हुए पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत (भाजपा) द्वारा गठित  ‘चार धाम देव स्थानम प्रबंधन बोर्ड’ भंग कर दिया है। 

त्रिवेंद्र सिंह रावत ने 2019 में वैष्णो देवी श्राईन बोर्ड की शैली पर प्रदेश में ‘चार धाम देव स्थानम प्रबंधन बोर्ड’ बनाने का फैसला किया और इस आशय के अधिनियम को 14 जनवरी, 2020 को राजभवन ने स्वीकृति दे दी। इसके अंतर्गत प्रदेश के 51 मंदिरों का अधिग्रहण किया गया था। विधेयक लागू होने से पहले ही तीर्थ पुरोहितों तथा विभिन्न राजनीतिक दलों ने इसका विरोध शुरू कर दिया था। 

9 मार्च, 2021 को त्रिवेंद्र सिंह रावत के त्यागपत्र के बाद मुख्यमंत्री बने तीरथ सिंह रावत (भाजपा) के भी 4 जुलाई, 2021 को त्यागपत्र दे देने के उपरांत पुष्कर सिंह धामी मुख्यमंत्री बने। तीर्थ पुरोहितों का रोष देखते हुए इस बारे विचार करने के लिए उन्होंने एक उच्च स्तरीय समिति गठित कर दी व इसकी रिपोर्ट पर 30 नवम्बर को ‘देव स्थानम प्रबंधन बोर्ड’ भंग करने की घोषणा कर दी गई। 

इस संबंध में 2 वर्षों से जारी विरोध प्रदर्शनों में हरिद्वार का संत समाज भी शामिल हो गया जिसका मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सरकार पर काफी दबाव था तथा अगले वर्ष होने वाले चुनावों को देखते हुए उनकी सरकार के लिए ङ्क्षचता की स्थिति पैदा हो गई थी, जिसे दूर करने के लिए यह फैसला लिया गया।—विजय कुमार 

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