'हिंसा और राजनीतिक टकराव’ ‘यह क्या कर रहे हो’ : ‘यह क्या हो रहा है’

Edited By ,Updated: 13 Feb, 2021 04:48 AM

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हम समय-समय पर लिखते रहते हैं कि देश में हिंसा, असहिष्णुता, भेदभाव और राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता लगातार बढ़ने से सौहार्द और सद्भाव को आघात लग रहा है। मात्र 4 दिनों में सामने आई निम्र घटनाओं से स्पष्ट है कि देश के वातावरण में किस कदर अशांति और घृणा का...

हम समय-समय पर लिखते रहते हैं कि देश में हिंसा, असहिष्णुता, भेदभाव और राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता लगातार बढ़ने से सौहार्द और सद्भाव को आघात लग रहा है। मात्र 4 दिनों में सामने आई निम्र घटनाओं से स्पष्ट है कि देश के वातावरण में किस कदर अशांति और घृणा का जहर घुलता जा रहा है : 

8 फरवरी को महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के पंढरपुर में पूर्व भाजपा जिला अध्यक्ष शिरीष कटेकर द्वारा उद्धव ठाकरे के बारे में की गई टिप्पणी से भड़के कुछ शिवसैनिकों ने उससे मारपीट करने के बाद उसका मुंह काला करके और चप्पलों का हार तथा साड़ी पहना कर बाजार में घुमाया।

11 फरवरी को नई दिल्ली के मंगोलपुरी में राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता का एक उदाहरण सामने आया जब एक समुदाय के लोगों ने बजरंग दल के कार्यकत्र्ता रिंकू शर्मा के घर में घुस कर चाकू घोंप कर उसकी हत्या कर दी। जब लहूलुहान रिंकू शर्मा को उसके घर वाले अस्पताल लेकर जा रहे थे, उस समय भी हमलावरों ने रिंकू के शरीर पर वार किए और अस्पताल में दाखिल होकर उसकी मां को भी घायल कर दिया। 

11 फरवरी को ही कोलकाता में रोजगार की मांग को लेकर पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार के विरुद्ध नारेबाजी और प्रदर्शन कर रहे वाम मोर्चा कार्यकत्र्ताओं द्वारा पुलिस के लगाए हुए बैरीकेड तोडऩे और उन पर चढ़ कर आगे बढऩे की कोशिश करने पर उनकी पुलिस से झड़प हो गई जिसके दौरान वामदलों के 100 से अधिक कार्यकत्र्ता घायल हो गए। 

देश में इस तरह की राजनीतिक हिंसा के बीच सत्ता पक्ष और विपक्ष में रस्साकशी जारी है। जहां पश्चिम बंगाल में वामदलों की ममता बनर्जी की सरकार से ठनी हुई है वहीं भाजपा ने भी इसके विरुद्ध जोरदार अभियान चला रखा है। 11 फरवरी को राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने कहा, ‘‘लोकतंत्र को बचाने के लिए ममता सरकार का सफाया जरूरी है।’’ भारत के लोकतंत्र के इतिहास में संभवत: पहली बार किसी राज्यपाल ने सार्वजनिक तौर पर अपने राज्य की सरकार में बदलाव की जरूरत जताई है जिस पर टिप्पणी करते हुए तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मदन मित्रा ने कहा है कि ‘‘इस राज्यपाल को वापस भेजने की जरूरत है।’’

11 फरवरी को अमित शाह ने कोलकाता में भाषण करते हुए भरोसा जताया है कि ‘‘भाजपा 200 से अधिक सीटों के साथ पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने जा रही है।’’इसके जवाब में ममता ने भाजपा को चुनौती देते हुए कहा है, ‘‘हिम्मत है तो भाजपा उल्टे-सीधे हथकंडे न अपना कर सीधे हम से लड़कर दिखाए। मैं स्ट्रीट फाइटर हूं और किसी से नहीं डरती जबकि भाजपा सिर्फ गुंडागर्दी करती है और कभी सी.बी.आई. तो कभी ई.डी. का डर दिखाती है।’’’ 

11 फरवरी वाले दिन ही महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे (शिवसेना) के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार और राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के बीच पहले से ही जारी टकराव और बढ़ गया जब सुबह 9 बजे देहरादून जाने के लिए सरकारी विमान में सवार श्री कोश्यारी के विमान को राज्य सरकार ने उड़ान भरने की इजाजत नहीं दी और 20 मिनट इंतजार करने के बाद उन्हें सरकारी विमान से उतर कर प्राइवेट विमान से जाना पड़ा। 

भाजपा ने इस घटना के लिए राज्य सरकार से माफी मांगने को कहा है। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडऩवीस ने इसे महाराष्ट्र के इतिहास में काला दिन बताते हुए कहा, ‘‘मैंने आज तक ऐसी अहंकारी सरकार नहीं देखी। ऐसा जानबूझ कर किया गया। यह संविधान का अपमान है।’’ इससे पूर्व 10 फरवरी को छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने राज्यपाल ‘अनुसुईया उइके’ को भी राज्य का दौरा करने के लिए सरकारी विमान देने से मना कर दिया था जिसे भाजपा ने कांग्रेस के नेतृत्व का षड्यंत्र बताया है। नि:संदेह लोकतंत्र में असहमति का महत्वपूर्ण स्थान है परंतु असहमति के स्वर दबाने के लिए संविधान में दी गई व्यवस्थाओं का किसी भी राजनीतिक दल को उल्लंघन नहीं करना चाहिए। 

राज्यों में कार्यपालिका का दायित्व राज्य सरकार का अधिकार है और संवैधानिक तौर पर किसी भी राज्यपाल का इसमें तब तक दखल देना नहीं बनता जब तक कानून व्यवस्था की बड़ी समस्या नहीं खड़ी हो जाती। इसी प्रकार राज्य सरकारों को भी राज्यपाल के संवैधानिक पद की गरिमा का ध्यान रखने की जरूरत है और लोकतंत्र में हिंसा का भी कोई स्थान नहीं है तथा राजनीतिक दलों को कानून के दायरे में रह कर शांतिपूर्ण ढंग से ही अपनी बात कहनी चाहिए।—विजय कुमार   

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