‘आम आदमी पार्टी’ में यह सब क्या हो रहा है

Edited By ,Updated: 26 Jul, 2016 12:42 AM

whats going on kejriwal party

वैचारिक मतभेदों के आधार पर गांधीवादी समाजसेवी अन्ना हजारे से अलग होकर अरविन्द केजरीवाल ने शांति...

वैचारिक मतभेदों के आधार पर गांधीवादी समाजसेवी अन्ना हजारे से अलग होकर अरविन्द केजरीवाल ने शांति भूषण, प्रशांत भूषण, योगेंद्र यादव, मनीष सिसौदिया और किरण बेदी आदि को साथ लेकर 2 अक्तूबर, 2012 को ‘आम आदमी पार्टी’ (आप) का गठन किया था।

‘आप’ ने 28 दिसम्बर, 2013 को कांग्रेस के समर्थन से दिल्ली में सरकार बनाई पर 49 दिनों के बाद ही जन लोकपाल विधेयक पेश करने के प्रस्ताव को समर्थन न मिल पाने के कारण उनकी सरकार ने इस्तीफा दे दिया।

पार्टी में इसके बाद सब कुछ ठीक चल रहा था परन्तु नेताओं के एक वर्ग की विस्तार की योजना का केजरीवाल द्वारा विरोध करने पर पार्टी में पहली बार फूट पनपी। इस कारण 2014 में पहले विधायक विनोद बिन्नी को पार्टी से निकाला गया, फिर पूर्व विधायक नरेश बालियान के परिसरों से हजारों बोतल अवैध शराब बरामदगी के आरोपों से विवाद पैदा हुआ।

इसके बावजूद पार्टी ने दिल्ली में 2015 के चुनावों में 70 में से 67 सीटें जीतीं और केजरीवाल पुन: मुख्यमंत्री बने। कुछ ही समय बाद पार्टी में उनके विरुद्ध आवाजें उठने लगीं। शांति भूषण, प्रशांत भूषण व योगेंद्र यादव ने उन पर अनेक आरोप लगाए जिस पर केजरीवाल ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया।

फिर तत्कालीन कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर, विधायक सुरेंद्र सिंह, वरिष्ठï नेता कुमार विश्वास, स्वास्थ्य मंत्री सतेंद्र जैन, विधायक राखी बिड़ला, मनोज कुमार, विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल पर विभिन्न आरोपों में केस दर्ज हुए। पूर्व मंत्री सोमनाथ भारती को जेल की हवा खानी पड़ी तथा पर्यावरण मंत्री आसिम अहमद खान को भ्रष्टïाचार के आरोपों में बर्खास्त किया गया।

पंजाब के लोकसभा चुनावों में 4 सीटें जीत कर पैर जमा रही पार्टी में भी विद्रोह के स्वर उभरने लगे। इस कारण यहां ‘आप’ की राज्य अनुशासन समिति के प्रमुख डा. दलजीत सिंह चीमा को पार्टी से निकाला गया, वहीं अनेक असंतुष्टï नेताओं, कार्यकत्र्ताओं ने एक नए मोर्चे की घोषणा कर दी।

पार्टी के निलंबित सांसद धर्मवीर गांधी ने केजरीवाल को ‘तानाशाह’ बताते हुए कहा कि ‘‘आप मुलायम सिंह व मायावती की पाॢटयों से भिन्न नहीं है।’’  वहीं एक अन्य निलम्बित सांसद हरिन्द्र सिंह खालसा के अनुसार, ‘‘केजरीवाल अपने गिर्द ‘रीढ़विहीन’ लोगों को पसंद करते हैं और पंजाबी ऐसे नहीं हैं।’’

इस समय एक ओर पंजाब विधानसभा के आगामी चुनावों में सत्ता पर कब्जा करने के लिए ‘आप’ पूरा जोर लगा रही है तो दूसरी ओर इसके जनप्रतिनिधियों का विवाद पूरे जोरों पर है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के प्रधान सचिव राजेंद्र कुमार को 4 जुलाई 2016 को उनके चार साथियों के साथ सी.बी.आई. ने गिरफ्तार किया। उन पर एक कम्पनी को लाभ पहुंचाने के लिए रिश्वत लेने का आरोप है।

20 जुलाई को सोमनाथ भारती पर एक महिला से अभद्रता का केस दर्ज किया गया और 24 जुलाई को ‘आप’ के 2 विधायकों को गिरफ्तार किया गया। इनमें से दिल्ली के नरेश यादव पर मालेरकोटला में ‘कुरान’ की बेअदबी तथा अमानतुल्ला खान पर एक महिला से बदसलूकी के आरोप हैं। इसी दौरान सांसद भगवंत मान द्वारा संसद के बाहर से अंदर तक जाने का वीडियो बना कर फेसबुक पर पोस्ट कर संसद की सुरक्षा को खतरे में डालने का मामला तूल पकड़ गया है।

हालांकि मान ने माफी मांगने के बाद यह वीडियो अपने फेसबुक में से हटा दिया था परन्तु लोकसभा अध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा महाजन ने कहा कि माफी मांग लेना काफी नहीं है। अत: उन्होंने 25 जुलाई को एक 9 सदस्यीय समिति का गठन करने की घोषणा की जो 3 अगस्त तक अपनी रिपोर्ट देगी। इस बारे भगवंत मान को 26 जुलाई सुबह साढ़े 10 बजे तक जांच समिति के आगे अपना पक्ष रखने के लिए कहने के अलावा इसका फैसला होने तक सदन की कार्यवाही में भाग न लेने की सलाह दी गई है।

अरविन्द केजरीवाल और उनकी पार्टी से लोगों में देश में स्वच्छ राजनीति के एक नए युग के उदय होने की आशा का संचार हुआ था परन्तु उक्त कारणों से उनकी आशा धूमिल हो रही है। बेशक अरविन्द केजरीवाल अब भी देश को भ्रष्टï राजनीति से मुक्त करने के अपने संकल्प पर अडिग हैं परन्तु इस तरह की घटनाएं उनकी और उनकी पार्टी की छवि को आघात ही पहुंचा रही हैं जिनके जारी रहने पर उनके लिए अपना लक्ष्य प्राप्त कर पाना कठिन हो सकता है।           —विजय कुमार

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!